सपाक्स में भाजपा की सेंधमारी शुरू

भाजपा के खिलाफ दम ठोककर मैदान में आया सपाक्स अब पछाड़ खाता नजर आ रहा है। रतलाम जिले में सपाक्स की कोर कमेटी का जो नजारा दिखा, वह यही साबित कर रहा है। उम्मीदवार चयन के लिए, पर्यवेक्षकद्वय, सपाक्स संगठन महासचिव सुरेश तिवारी और संभागीय अध्यक्ष अजेंद्र त्रिवेदी उम्मीदों से लबालब यहां पहुंचे जरूर लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। होटल पलाश के हाल में लगी पचास कुर्सियों में से पैंतीस कुर्सियां खाली थीं। कुल जमा पंद्रह लोग देखकर सुरेश तिवारी जिला संयोजक पुष्पेंद्र जोशी की क्लास लेने लगे- इतने कम लोग क्यों हैं? जवाब आया- लोगों को खबर ही

नहीं की। तिवारी कुछ और कहते उससे पहले ही एक ने कहा-केवल कोर कमेटी के लोगों को खबर की थी। सुनकर तिवारी आपे से बाहर हो गए-कोर कमेटी में तो आठ-दस लोग ही हैं। फिर ये पचास कुर्सियां क्यों लगाईं? कोई जवाब नहीं आया। चरम तनाव के बीच पुष्पेंद्र जोशी, तिवारी और त्रिवेदी को एकांत में ले गए और साफ कहा कि उनकी रुचि केवल सर्व ब्राह्मण समाज और सनातन धर्म में है। चुनाव की राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। तिवारी और त्रिवेदी की दशा देखते ही बनती थी। उनकी हालत बिन दुल्हन लौटे बाराती जैसी थी।
दोनों पर्यवेक्षकों के आने की सूचना पूरे शहर में थी। दो दिनों से लगातार समाचार छप रहे थे। लगता था, पर्यवेक्षकों के सामने उम्मीदवारों की लाइन लग जाएगी लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत। और तो और फेसबुक, वाट्सएप, अखबारी विज्ञप्तियों के जरिए और चौराहे-चौराहे पर अपनी उम्मीदवारी का दावा करने वालों में से एक भी दावेदार पर्यवेक्षकों से मिलने नहीं पहुंचा। अजय तिवारी जरूर वहां थे वे लेकिन उनकी मजबूरी था क्योंकि होटल पलाश के मालिक वे ही हैं लेकिन उम्मीदवारों के लिए उन्होंने कहने-बताने को भी गर्मजोशी और आतुरता नहीं दिखाई।
मूणत और भरगट भी नहीं दिखे
खबर देने के बावजूद राजेश मूणत भी नहीं पहुंचे और न ही झमक भरगट। भरगट सराफा एसोसिएशन के प्रभावी आदमी है और अपने वक्तव्यों से भाजपा को हडक़ाते रहते हैं। वे भी सपाक्स के संभावित उम्मीदवार थे। लेकिन पर्यवेक्षकों के आने से पहले ही वीसाजी मेंशन से उनका वह चित्र जारी कर दिया जिसमें वे विधायक कश्यप के साथ चाय पीते नजर आ रहे थे। सपाक्स के एक मनमौजी ने हीरालाल त्रिवेदी बनकर उनसे फोन पर उम्मीदवारी की बात की तो भरगट ने पत्नी की बीमारी के नाम पर असमर्थता जता दी। पलाश का नजारा कह रहा था कि पहुंचने वालों के मुकाबले न पहुंचने वाले ज्यादा थे। सुरेश तिवारी रतलाम में जनसंपर्क अधिकारी रह चुके हैं। लेकिन उनसे शिष्टाचार भेंट करने भी कोई नहीं पहुंचा। उनके कार्यकाल में उनके अतिघनिष्ठ एक पत्रकार से पूछा तो सपाट जवाब मिला- वहां जाने पर सपाक्स का ठप्पा लग जाता। क्या पता, तिवारीजी अपनी विज्ञप्ति में मेरे नाम का हवाला दे देते। दोनों पर्यवेक्षकों के साथ जवारा से आए, सपाक्स के जिलाध्यक्ष हरिसिंह चंद्रावत भी, संभवत: निराशाजनक उपस्थिति के कारण ही अपनी उपस्थिति की खानापूर्ति करते नजर आए।