भाजपा में शिवराज तो कांग्रेस में आधा दर्जन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में मप्र एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर कई कांग्रेसी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इनमें कांग्रेस के आधा दर्जन शामिल हैं। इसके उलट भाजपा में सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व नरेन्द्र सिंह तोमर की ही प्रतिष्ठा दांव पर है। प्रदेश में कांग्रेस की ओर से जिन नेताओं की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है उसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं

प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और कांतिलाल भूरिया शामिल हैं। वहीं भाजपा में जीत या हार के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को ही जिम्मेदार माना जाएगा। यह बात अलग है कि भाजपा की ओर से इन दोनो ही नेताओं के पीछे पार्टी का संगठन और आरएसएस का कैडर खड़ा हुआ है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस के दिग्गजों को चुनावी समय में मनभेद व मतभेदों के बाद भी एकजुटता प्रदर्शित करनी पड़ रही है। वे जानते हैं कि एकजुट होकर ही शिवराज व तोमर को चुनाव में चुनौती दी जा सकती है।
भाजपा व शिवराज का रिकार्ड
इस बार भाजपा की जीत या हार कुछ भी हो लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार व शिवराज दो रिकार्ड अपने नाम कर चुके हैं। प्रदेश के गठन के बाद मध्यप्रदेश में पहली बार भाजपा ने लगातार अपने तीन कार्यकाल पूरे किए हंै। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
क्या अकेले पड़ गए शिवराज?
कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के नेताओं को सख्त हिदायत दी है कि किसी भी स्थिति में भाजपा मप्र में चौथी बार सत्ता में नहीं आना चाहिए। चूंकि इन नेताओं के क्षेत्रीय प्रभाव के चलते उनके चहेतों को टिकट दिया गया है, लेकिन उन्हें हिदायत भी मिली है कि यदि वे अपने समर्थकों को जीत नहीं दिखा सके तो परिणाम भी भुगतने होंगे। दूसरी तरफ इस चुनाव में भाजपा से अधिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अग्निपरीक्षा है क्योंकि पार्टी की जीत या हार उनके भविष्य पर असर डालेगी। हालांकि पिछले चुनावों की तरह इस बार भी उनके सामने बिखरी हुई कांग्रेस है। भाजपा एक बार फिर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराती है तो निश्चित ही शिवराज का राजनैतिक कद राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समकक्ष पहुंच जाएगा।