गश्ती दल और कैमरों को चकमा देकर लापता हुआ कान्हा का ‘मुन्ना’

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मंगल भारत  मंडला। कान्हा नेशनल पार्क का सबसे बुजुर्ग बाघ ‘मुन्ना’ गश्ती दल और कैमरों को चकमा देकर लापता हो गया है। उसका तीन-चार दिन से कहीं पता नहीं चल पा रहा है। अधिकारियों को आशंका है कि अन्य बाघों से संघर्ष को टालने के लिए वह बफर जोन में चला गया होगा।

पार्क के अधिकारी मुन्ना को लेकर इसलिए भी परेशान हैं क्योंकि हाल ही में शावकों की हत्या के दौरान बाघिन से हुए संषर्घ में वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसका निगरानी में इलाज किया जा रहा था। हाथियों का गश्ती दल निगरानी में लगाया गया था। प्रबंधन ने बताया कि मुन्ना अपने स्वभाव के अनुसार खतरे को भांपते हुए बफर जोन की ओर निकल गया होगा।

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क्योंकि किसली जोन के करई घाटी में टी-2 नर बाघ की उपस्थिति बनी हुई है। साथ ही टी-56 को भी देखा गया है। इन दोनों की उपस्थिति के चलते मुन्ना ने अपना क्षेत्र छोड़ दिया होगा। गत वर्ष अप्रैल माह में यह वर्चस्व की लड़ाई में घायल होकर बफर जोन में चला गया था। जहां लमना क्षेत्र में घाटी के किनारे रह रहा था। संभवतः इस बार भी ऐसा ही हुआ होगा। मुन्ना को चार दिन पहले तक दवाइयां दी गई हैं। प्रबंधन को उम्मीद है कि मुन्ना स्वस्थ हो जाएगा। दवाइयों के चलते उसकी लंगड़ाहट कम हुई है और घाव धीरे-धीरे सूख रहे हैं।

स्वभाव का उठाया फायदा

किसली जोन के करई घाटी क्षेत्र में टी 56 नर बाघ ने टी 83 बाघिन को मारकर उसका शव खा लिया था। इस खतरनाक बाघ की उपस्थिति तथा टी-2 नर बाघ की उपस्थिति के कारण उसने अपने स्वभाव का फायदा उठाया और सामंजस्य बनाते हुए यह क्षेत्र छोड़ दिया। इसी स्वभाव के कारण यह लंबी उम्र जी रहा है। किन्तु पिछले चार दिनों से बफर जोन क्षेत्र में किसी मवेशी के शिकार की सूचना न होने पर चिंता का विषय भी बन गया है। उसकी लंबी उम्र जिए इसके लिए देश और विदेश में प्रार्थनाओं का दौर भी चल रहा है।

करई घाटी क्षेत्र को छोड़कर मुन्ना टाइगर दूसरे क्षेत्र में निकल गया होगा, ताकि उसे मौजूदा बाघों से संघर्ष न करना पड़े। उसके इसी स्वभाव ने उसे लंबी उम्र दी है। आमतौर पर जंगलों में बाघ 8 से 10 साल तक ही जीवित रहते हैं। जबकि मुन्ना 15 साल का है और उसे चार दिन पूर्व तक दवाइयां दी गई हैं। उसके घावों में सुधार है।