Breaking: यहां हारी भाजपा, कांग्रेस बनी लोगों की पहली पसंद, कांग्रेस में खुशी की लहर

Breaking: यहां हारी भाजपा, कांग्रेस बनी लोगों की पहली पसंद, कांग्रेस में खुशी की लहर.

Breaking: यहां हारी भाजपा, कांग्रेस बनी लोगों की पहली पसंद, कांग्रेस में खुशी की लहर

भोपाल। पांच दिन बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले ही मध्यप्रदेश के रुख ने अलग ही मोड़ ले लिया है। 15 दिन पहले सट्टा बाजार ने भाजपा की जीत का दावा किया था, अब इसका रुख कांग्रेस की तरफ हो गया है। यानी सट्टा बाजार का मानना है कि भाजपा हार रही है और कांग्रेस जीत रही है।

मध्यप्रदेश में मतदान 28 नवंबर को होने वाला है। इससे पहले ही सट्टा बाजार में भाजपा और कांग्रेस के पक्ष में जमकर पैसा लगा है। ससटोरियों ने 15 दिन पहले भाजपा की जीत पर पैसा लगाया था, लेकिन हवा का रुख बदलते देर नहीं लगी। अब बाजार ने कांग्रेस को पहली पसंद बताते हुए कांग्रेस पर ज्यादा पैसा लगाना शुरू कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 15 दिन पहले मध्यप्रदेश के सट्टा बाजार में सटोरियों को भाजपा की जीत का अनुमान था। अब कांग्रेस के प्रचार अभियान और सियासी चाल को देखते हुए सटोरियों का रुख भी कांग्रेस की तरफ बढ़ गया है। सट्टेबाजों के मुताबिक अब परिस्थितियां बिल्कुल पलट गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भोपाल का सट्टा बाजार 230 सीटों में से कांग्रेस को 116 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा कर रहा है, जबकि भाजपा के पक्ष में 102 सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

15 दिन पहले यह थी स्थिति
सट्टा बाजार के ट्रेंड के मुताबिक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा के रेट से यह संकेत मिले थे कि दोनों राज्यों में बीजेपी मुश्किल के बावजूद वापसी कर सकती है। भाजपा पर 10 हजार रुपए लगाता है और यदि पार्टी फिर से सत्ता में आ जाती है तो उसे 11 हजार रुपए मिलेंगे। जबकि यदि कांग्रेस पर कोई 4,400 रुपए लगाता है, और वो सत्ता में आती है तो उसे 10 हजार रुपए मिलते हैं। ऐसी स्थिति 15 दिनों पहले तक थी। लेकिन, अब स्थिति पलट गई है। अब कांग्रेस पार्टी पर ज्यादा भाव लग रहे हैं।

सट्टा बुक करने वाले बुकी का मानना है कि इस बार भी उम्मीद है कि भाजपा मध्यप्रदेश में फिर से सरकार बना रही है, जबकि कांग्रेस की उम्मीद कम है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी भाजपा जीत हासिल कर सकती है। कांग्रेस राजस्थान में आ सकती है। बुकी का कहना है कि टिकट बंटवारे के बाद सट्टे के रेट में अंतर आ गया है।

यह भी कहते हैं सट्टेबाज
-इस चुनाव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस वापसी करे यह मुश्किल लगता है। क्योंकि भाजपा पर सट्टा लगाने वालों का प्राफिट मार्जिन कम है। क्योंकि भाजपा पर ज्यादा लोग सट्टा लगा रहे हैं।
-टिकट बंटवारे के बाद हुई उथल-पुथल के बाद रेट में अंतर आ गया है, लेकिन एमपी-छग में भाजपा और राजस्थान में कांग्रेस का ट्रेंड फिलहाल बदलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

मुश्किल है सटोरियों को पकड़ना
देश में किसी भी बात पर सट्टा लगाना गैर कानूनी है। सट्टा बाजार कभी दिखता नहीं है, इसलिए इसको पकड़ना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि यह दूर-दराज के स्थानों पर बैठे लोग लगाते हैं, यह मोबाइल फोन से या वेबसाइट के जरिए या आनलाइन मोबाइल एप्लीकेशन से भी लगाया जाता है।
-सट्टा लिखने वाले एक जगह से दूसरी जगह पर मूव करते रहते हैं। ऑनलाइन सट्टा चलती हुई कार, कैफे अथवा शहर के पब्लिक प्लेस से भी संचालित किया जा सकता है, जो किसी की नजर में नहीं आता है। हालांकि भोपाल में हर रोज सट्टेबाजों को पकड़ने की मुहिम चलती है, हर रोज एक-दो प्रकरण दर्ज भी होते हैं।

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