मतदाताओं को अंधेरे में रख तीर चला रहे प्रत्याशी

चुनाव मैदान में उतरे लगभग ढाई हजार में से 108 प्रत्याशी मतदाताओं को अंधेरे में रख जीत का गणित लगा रहे हैं। दरअसल, इन प्रत्याशियों के हलफनामे अधूरे, अस्पष्ट या इतने अधिक धुंधले हैं कि उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता है। मतदान से ठीक पहले निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर इन हलफनामों को आम जनता के लिए सार्वजनिक किया गया है, ताकि लोग अपने प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता, आपराधिक रिकॉर्ड, संपत्ति और आमदनी के बारे में जान सकें और समझदारी से वोट दें, लेकिन 108 प्रत्याशियों की सही जानकारी, आपराधिक और वित्तीय स्थिति का आकलन न तो सामाजिक संस्थाएं कर पा रही हैं, न ही जनता।


इन नेताओं पर उठ रहीं उंगलियां
भिंड से भाजपा उम्मीदवार और कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता राकेश चौधरी के हलफनामे में अचल संपत्ति की जानकारी वाला पूरा पेज गायब है। भोजपुर से भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पटवा और कांग्रेस उमीदवार सुरेश पचौरी के हलफनामे में हर पेज का आखिरी हिस्सा कटा हुआ है। अमरपाटन से कांग्रेस उमीदवार डॉ. राजेंद्र सिंह दादाभाई का पूरा हलफनामा ही चुनाव आयोग की वेबसाइट से गायब है। चित्रकूट से भाजपा उ मीदवार सुरेंद्र सिंह गहरवार की चल-अचल संपत्ति का इतना घटिया स्कैन किया गया है कि पढऩा ही मुश्किल है।
कटनी के बड़वारा से कांग्रेस उ मीदवार विजय राघवेंद्र सिंह का आपराधिक ब्यौरे से जुड़ा पूरा पेज ही हलफनामे से गायब है। इसी तरह बहोरीबंद से कांग्रेस उम्मीदवार सौरभ सिंह की एनेक्सर पेज ही गायब हैं। बालाघाट से सपा उम्मीदवार अनुभा मंजारे के हलफनामे के हर पेज का आखिरी हिस्सा कटा हुआ है।
नियमों में फंसा आयोग
मप्र इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में निर्वाचन आयोग से शिकायत की है। लेकिन आयोग के अफसरों का कहना है कि यह शपथपत्र अब फ्रीज हो चुके हैं, इसलिए चुनाव के बाद ही इन्हें दोबारा स्कैन किया जा सकेगा। गौरतलब है कि उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भरने के साथ ही फॉर्म-26 के साथ शपथपत्र देकर बताना होता है कि उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है, उन पर कितने आपराधिक प्रकरण लंबित हैं, इसके अलावा उन्हें अपनी सालाना आय, चल, अचल संपत्ति का भी संपूर्ण ब्यौरा देना पड़ता है।