चुरहट में भारी पड़ रहा वक्त है बदलाव का नारा, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह 5वीं बार अपनी पारंपरिक सीट से मैदान में

चुरहट में भारी पड़ रहा वक्त है बदलाव का नारा, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह 5वीं बार अपनी पारंपरिक सीट से मैदान में.

चुरहट में भारी पड़ रहा वक्त है बदलाव का नारा, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह 5वीं बार अपनी पारंपरिक सीट से मैदान में

मंगल भारत सलाहकार संपादक बलराम पांडे एवं मनीष द्विवेदी प्रबंध संपादक,चुरहट। कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय सिंह चुरहट से 7वीं बार चुनाव मैदान में हैं। दो उपचुनाव व चार चुनाव जीत चुके अजय की यह परिवारिक सीट रही है, 1993 को छोड़कर 1977 से इनके परिवार का ही कब्जा रहा। चार बार अर्जुन सिंह यहीं से विधायक रहे। पर इस बार यहां का चुनाव नेता प्रतिपक्ष के लिए सबसे कठिन नजर आ रहा है। प्रचार के अंतिम दिन जब हर चुनाव में वो निश्चिंत नजर आते थे, इस बार अपने ही क्षेत्र के रामपुर नैकिन से चुरहट तक सभाओं और रोड शो में व्यस्त रहे।

पत्थर वाली घटना से मन में मलाल
चुरहट से पहले मूर्तला गांव में घर के बाहर कुर्सी में बैठे 70 वर्षीय सोमेश्वर सिंह परिहार सरकार के कामकाज से खुश हैं। तो चुरहट में शिवराज पर पत्थर वाली घटना को लेकर उनके मन में मलाल भी है। पर, राजा (अजय सिंह) को खोना नहीं चाहते। वो कहते हैं, यहां कांटे का मुकाबला है। दाऊ साहब (अर्जुन सिंह) के कार्यों का फायदा मिल रहा है। तभी कपड़े धो रहीं उनकी पत्नी शांति सिंह बोल उठीं, दाऊ साहब ने हमारा बहुत किया। उनके नाम से बेटी का मुम्बई में इलाज हुआ। अब फर्ज तो निभाना पड़ेगा। कुछ लोग एक्ट में फंसाने की धमकी देते हैं। ऐसे में समस्या लेकर राहुल भैया के पास ही जाएंगे।

कांग्रेस ने दिया क्या है
रामपुर नैकिन बाजार में एक ऑटोमोबाइल दुकान के सामने बैठे तीन लोग चुनावी गुणा-गणित बैठा रहे थे। हमने माहौल पूछा तो विधायक के प्रति नाराजगी झलक उठी। प्रतीकधर द्विवेदी बोल उठे, जो विधायक अपने घर की सड़क नहीं बनवा सका वो हमें नहीं चाहिए। दिग्विजय सिंह पांच साल और होते तो हम लोगों को पैदल सीधी और रीवा जाना पड़ता। कांग्रेस ने दिया क्या है। रही बात वोट की, तो जो काम किया है, उसका समर्थन करेंगे। चुरहट बदलाव चाहता है।

जनता परिवर्तन के मूड में
दुकान में ही बैठे अमित विश्वकर्मा कहते हैं कि जैसे रावण ने सोने का हिरण दिखाकर सीता का अपहरण किया था, कुछ वैसा ही काम कांग्रेस ने किया है। इस सरकार ने 200 रुपए में बिजली बिल दिया, गरीबों को पीएम आवास दिया, राशन दिया। अब और क्या चाहिए। जनता परिवर्तन के मूड में है। तभी राजेश मिश्रा कहते हैं, यहां सड़क नहीं है। छींक आ जाए तो इलाज कराने रीवा जाना पड़ता है। जो विकास नहीं कर सकता उसे वोट मांगने का हक नहीं।

मन में विधायक के प्रति नाराजगी
कुआं और भितरी गांव के बार्डर से गुजरते वक्त कुछ आदिवासी महिलाएं सड़क किनारे बैठी मिलीं। चुनावी हालचाल पूछा तो पहले सभी ने बोला कि हम तो पंजे की तरफ हैं। उनसे बातचीत चल ही रही थी कि कुछ और ग्रामीण आ गए। उनके मन में विधायक के प्रति नाराजगी साफ झलक रही थी। बातों ही बातों में बोल उठे-अब तक राहुल भैया का साथ दिया पर कुछ नहीं मिला। इस सरकार ने रहने को घर तो दिया। 200 रुपए में बिजली दी। तभी वहां सपाक्स के अतुल मिश्रा और कांग्रेस कार्यकर्ता हीरा खान भी पहुंच गए।

भाजपा और कांग्रेस की नाकामियां गिनाईं
सरकार के कामकाज को लेकर दोनों में करीब 15 मिनट तक जुवानी संग्राम मचा रहा। अतुल ने भाजपा और कांग्रेस की नाकामियां गिनाईं। कहा, एट्रोसिटी एक्ट के प्रभाव से लोगों के मन में दहशत है। तो हीरो खान कांग्रेस का पक्ष मजबूत करते दिखे। तभी रोहित कुमार मिश्रा और राजू प्रसाद बोले-नेता प्रतिपक्ष होते हुए चुरहट बाजार की सड़क नहीं बनने दिया। जब उनके घर में ऐसा विकास है तो अन्य गांवों का हाल तो छोड़ दीजिए। चर्चा में करीब 20 मिनट तक चुपचाप बैठे दिनेश साकेत के सब्र का बांध भी टूटा और उनका दर्द झलक आया। बोले-काम के लिए बाहर जाने पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। वहीं दामोदर तिवारी का कथन है कि वक्त है बदलाव का.

फैक्ट फाइल
– 1967 व 72 चंद्र प्रताप तिवारी
– 1977 से 1990 अर्जुन सिंह
– 1993 गोविंद प्रसाद
– 1998 से 2013 अजय सिंह