60 नहीं 58 ही है सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र: हाई कोर्ट

प्रयागराज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि फंडामेंटल रूल्स 56 एक विधायी नियम है, जिसे विधानसभा के जरिए ही संशोधित किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 309 के अन्तर्गत नियम बनाने की राज्यपाल की शक्ति के तहत अधिसूचना जारी कर नियम 56 में संशोधन कर सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने कहा है कि, कानून की नजर में नियम 56 में संशोधन नहीं हुआ है। ऐसे में सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष ही है न कि 60 वर्ष। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस इफाकत अली खान की खण्डपीठ ने भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सहायक आर्किटेक्ट ओम प्रकाश तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि कि 28 नवंबर 2001 की राज्यपाल की अधिसूचना से सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु नहीं बढ़ाई जा सकती। विधायी नियम विधायी प्रक्रिया से ही संशोधित हो सकते हैं। याची का कहना था कि, उसे 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति किया जाए। कोर्ट ने कहा कि, 30 सितंबर 2012 के शासनादेश का लाभ याची को नहीं मिलेगा क्योंकि यह नोएडा के कर्मियों के लिए जारी हुआ है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष ही है।