*एक था चुरहट……* मंगल भारत

*एक था चुरहट……*

घटनाएं बोलती हैं और पीढियां सुनती हैं, वो इतिहास का पड़ाव भी होती हैं और जुबान भी ! देश के लोकतांत्रिक इतिहास में बहुत सी ऐसी घटनाएं घटीं जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर दफन हो चुकीं हैं, लेकिन ये घटनाएं कभी कभी बोलने लगती हैं ! विन्ध्य का चुरहट भी एक ऐसा इलाका है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर आज दफन हो गया ! यह वही इलाका है जिसकी रोशनी से कभी सम्पूर्ण मप्र रोशन हुआ करता था, इस क्षेत्र का क्या बूढ़ा क्या जवान हिंदुस्तान के किसी भी कोने में खड़े होकर अपने आपको चुरहट वासी होने का दंभ भर कर गौरवान्वित होता था उसी चुरहट ने अपने ही हांथों अपने एक ऐसे चिराग को बुझा दिया जिसकी रोशनी से एक बार फिर मप्र को रोशन होना था !
मित्रो मैंने *पैर में कुल्हाड़ी* जरूर सुनी थी लेकिन *गर्दन में कुल्हाड़ी* पहली बार सुनी ! चुरहट के परिणाम ने यह साबित कर दिया कि जनता ने *अपने पैर में नही गर्दन में कुल्हाड़ी मार ली है !* आज 15 वर्षों बाद जब मप्र में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है और उस सरकार में जिस चुरहट को शीर्ष पर बैठने का अवसर मिलने वाला था उस महान अवसर को क्षेत्र की जनता ने खो दिया ! *यह शायद किसी ने सपनों में भी नही सोचा रहा होगा कि चुरहट क्षेत्र की जनता विधायक चुनने के लिये एक जननायक की बलि ले लेगी !* एक ऐसा जननायक जिसने क्षेत्र की ज[checklist][/checklist]नता को भगवान की तरह माना, जिसने 24 घण्टो में 18 घण्टे केवल जनता के लिये दिये हों, जिसने अपना सारा जीवन क्षेत्र की जनता को समर्पित कर दिया हो उस जननायक के साथ क्षेत्र की जनता यह व्यवहार करेगी शायद यह किसी ने भी नही सोचा रहा होगा ! चुरहट क्षेत्र की जनता के इस व्यवहार ने हर किसी को विचलित कर दिया है ! आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है लेकिन मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता से लेकर मप्र के लाखों ऐसे कार्यकर्ता जो अपने जननायक के लिए सब कुछ कुर्बान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं वो चुरहट क्षेत्र की जनता के इस आत्मघाती निर्णय से बेहद दुखी और निराश हैं !
पराजय का स्वाद तो राष्ट्र नेत्री इंदिरा गांधी को भी चखना पड़ा है लेकिन वो हमेशा इंदिरा गांधी ही रहीं एक हार से कोई हार नही जाता राहुल भइया, राहुल भइया ही रहेंगे, वो अपराजेय थे और अपराजेय हमेशा रहेंगे ! भरोसा रखिये और यकीन मानिये आने वाले समय मे उस जननायक की ताकत हम आप सब जरूर देखेंगे जिस जननायक को मप्र की जनता अपराजेय योद्धा के रूप में जानती है !

अंत मे चुरहट की जनता से यही कहना चाहूंगा.

*न इधर उधर की बात कर, तू बता ये कारवां क्यों लुटा*
*मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी पे सवाल है !*