आगामी लोकसभा चुनाव जीतने के लिए अजय सिंह राहुल को बनाना होगा प्रदेश अध्यक्ष ,जनमत की मांग

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वरिष्ठ पत्रकार अंबुज तिवारी की सर्वे रिपोर्ट

विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी के पास अगला लक्ष्य आगामी लोकसभा चुनाव रहेंगे इसे मद्देनजर रखते हुए प्रदेश के कई महत्वपूर्ण पद पार्टी द्वारा फेरबदल किए जा सकते हैं लेकिन उस पद पर कौन काबिज होगा या महत्वपूर्ण होगा तथा किसके मार्गदर्शन में लोकसभा चुनाव जीते जा सकेंगे हमारे वरिष्ठ पत्रकार समाजसेवी अंबुज तिवारी द्वारा मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लगभग सभी सीटों से लोगों से चर्चा करके अपनी सर्वे रिपोर्ट तैयार की है जिसमें  उनका कहना है के अजय सिंह राहुल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जानी चाहिए क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि कुंवर दाऊ साहब अर्जुन सिंह के कार्यकाल में मध्य प्रदेश में लोकसभा की सभी सीटें जब छत्तीसगढ़ एक था 40 की 40 सीटें कांग्रेस की झोली में गई थी अगर इतिहास दोहराना हो तो अजय सिंह को एक बार फिर लोकसभा की कमान उनके हाथों में देनी होगी हालांकि विंध्य  में बगावती प्रत्याशियों के कारण समीकरण बदल गया और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि अजय सिंह राहुल ने पूरे प्रदेश में कितनी मेहनत की है अंबुज तिवारी  यहां तक कहना है कि अजय सिंह राहुल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए राहुल गांधी से मांग करनी चाहिए तभी जाकर लोकसभा चुनाव पूर्ण बहुमत के साथ जीते जा सकेंगे, हार का कारण पूछे जाने पर अंबुज  तिवारी ने कहा की इसमें अजय सिंह के विकास को मद्देनजर न रख कर भारतीय जनता पार्टी का गुस्सा स्थानीय विधायक के ऊपर उतार दिया हालांकि इसमें स्थानीय बगावती कार्यकर्ता भी शामिल रहे उनके नाम में नहीं गिराना जाता हूं लेकिन माना जा रहा है कि सूचीबद्ध है दूसरा सबसे बड़ा कारण क्योंकि अजय सिंह स्टार प्रचारक होने के नाते पूरे मध्यप्रदेश में प्रचार प्रसार के दौरान रहे और अपने क्षेत्र में समय नहीं दे पाए जिसका असर उनके क्षेत्र में देखने को मिला हालांकि उन्होंने हार का सामना किया  लेकिन उसे स्वीकार करना और पुनः अपने काम में लग जाना महत्वपूर्ण होगा

सलाहकार संपादक बलराम पांडे का कहना है कि अंबुज तिवारी की रिपोर्ट सही साबित होगी और प्रदेश अध्यक्ष की कमान अजय सिंह को सौंपी जा सकती है क्योंकि अजय सिंह राहुल प्रदेश के कद्दावर नेता माने जाते हैं और इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने जी तोड़ मेहनत करके यह सिद्ध कर दिया कि उनकी मेहनत रंग लाई और प्रदेश में सरकार उनकी बन गई हालांकि विंध्य में सीटें नहीं आई उसके कारण का समीक्षा जारी है जल्द ही रिपोर्ट तैयार हो जाएगी और आपके सामने प्रस्तुत की जाएगी कांग्रेस के वरिष्ठ जनों का कहना है अजय सिंह के भाषण के दौरान एक बात मुझे याद आती है  कि उन्होंने कहा था कि जब जब मैं हारा हूं तब  प्रदेश में सरकार आई है  एक उन्होंने कद्दावर नेता सुंदरलाल पटवा के गढ़ में जाकर  चुनाव लड़ा और उन्हें घर-घर दौड़ने पर मजबूर कर के  अन्य जगह प्रचार प्रसार में ना जाने देकर प्रदेश मैं अपनी सरकार बना ली थी उसी तरह इस बार भी  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को  अजय सिंह से टक्कर लेना भारी पड़ गया  क्योंकि  शिवराज सिंह विंध्य क्षेत्र में ही टिके रह गए  और सारे  भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज बिन क्षेत्र को केंद्र बिंदु बनाकर प्रचार प्रसार किया  जिसके कारण अन्य जगह पर समय नहीं दे पा ना उनके लिए  गलत साबित हुआ , अजय सिंह ने शिवराज सिंह को अपने घर में बैठाकर पूरे प्रदेश में  उस उनकी पार्टी को बैठा कर रख दिया

जानिए क्या है विधान परिषद और कैसे होता है इसका गठन

जिस तरह संसद में राज्यसभा ऊपरी सदन है और लोकसभा निम्न सदन है उसी तरह राज्यों में विधान परिषद को उच्च सदन और विधान सभा को निम्न सदन कहा जाता है देश के 7 राज्यों आंध्र प्रदेश बिहार जम्मू कश्मीर कर्नाटक महाराष्ट्र तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधानसभा परिषद है वहीं राजस्थान और असम को भारत की पसंद ने अपने स्वयं की विधान परिषद बनाने की मंजूरी दे दी है

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 170 171 एक एवं 171 2 में विधानसभा परिषद के गठन का प्रावधान है इसके गठन

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 170 171(1) एवं 171 (2) में विधानसभा परिषद के गठन का प्रावधान है इसके गठन के लिए संबंधित राज्य सभा की विधान सभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव को संसद के पास भेजा जाता है इसके बाद अनुच्छेद 171(2) के अनुसार लोकसभा एवं राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है जिसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु उनके पास भेजा जाता है राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही विधानसभा परिषद के गठन की मंजूरी मिल जाती है

 

राज्यसभा की तरह ही विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक 2 साल के बाद एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाता है राज्यसभा की तरह ही विधान परिषद भी एक स्थाई सदन है जो कि कभी भंग नहीं होती हैं

किसी भी राज्य की विधानसभा परिषद के सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधानसभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से ज्यादा नहीं होने चाहिए साथ ही किसी भी कारण से इसमें कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है लेकिन जम्मू और कश्मीर की विधान परिषद में जम्मू और कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 50 द्वारा 36 सदस्यों की व्यवस्था की गई है

विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्य नहीं है वहीं एक तिहाई सदस्यों को निर्वाचित का द्वारा चुना जाता है जिसमें नगर पालिकाओं के

 

विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्य नहीं है वहीं एक तिहाई सदस्यों को निर्वाचित का द्वारा चुना जाता है जिसमें नगर पालिकाओं के सदस्य जिला बोर्डों और राज्य प्राधिकरण के सदस्य शामिल रहते हैं

वहीं 1/12 सदस्यों का चुनाव ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम से कम 3 वर्षों तक राज्य के भीतर शैक्षिक संस्थाओं (माध्यमिक विद्यालयों से नीचे नहीं )अध्यापन किया है अन्य 1/12 का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो 3 वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर चुके हैं बाकी बचे सदस्यों को राज्यपाल द्वारा साहित्य विज्ञान कला सहकारिता आंदोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाता है

विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए किसी को भी भारत का नागरिक होना जरूरी है उसकी आयु कम से कम 30 साल की होना अनिवार्य हैएवं मानसिक रूप से असमर्थ और दीवाली या नहीं होना चाहिए इसके अतिरिक्त उस क्षेत्र जहां से वह चुनाव लड़ रहा है वहां की मतदाता सूची में उसका नाम होना चाहिए उस समय वह संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए

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