ग्राउंड रिपोर्ट: कासगंज में सड़कों पर सन्नाटा, गलियों में उबाल

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मंगल भारत:- कासगंज में शुक्रवार से जारी हिंसा अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि शुक्रवार के बाद किसी के हताहत होने की ख़बरें तो नहीं आईं, लेकिन गाड़ियों और दुकानों को आग के हवाले करने का क्रम शनिवार को देर रात तक चलता रहा. इस बीच हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों में एक दूसरे के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. साथ ही दोनों समुदाय में पुलिस प्रशासन से भी नाराज़गी है.

कासगंज में प्रवेश करते ही नदरई गेट से लेकर आगे क़रीब एक किलोमीटर दूर घंटाघर और बाराद्वारी तक जली हुई दुकानें, घंटों बाद भी वहां से निकल रहे धुएं के गुबार, जगह-जगह जली हुई गाड़ियां और मलबे का ढेर, पिछले दो दिन से यहां की सड़कों पर यही नज़ारा है.शनिवार की सुबह से रात भर कासगंज की सड़कों का सन्नाटा पुलिस की गाड़ियों और हूटरों की आवाज़ों से टूट रहा था.मुख्य सड़कों पर सिर्फ़ पुलिस और सुरक्षा बल के जवान दिख रहे थे तो गलियों के भीतर से कई बार लोगों के झुंड पुलिस की नज़रों से बचकर बाहर का नज़ारा देखने निकल पड़ते.

तिरंगा यात्रा
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इस बीच हम नदरई गेट के पास उस इलाक़े में पहुंचे जहां हिंसा सबसे ज़्यादा हुई थी. तब तक अँधेरा हो चुका था.गली शिवालय में अंदर कुछ दूर चलने पर एक घर के बाहर दस-बारह लोग बैठे आग ताप रहे थे. गुमसुम बैठे लोगों को देखकर ही लग रहा था यहां कि कोई हादसा हुआ है.

पता चला कि ये उसी युवक चंदन गुप्ता का घर है जिसकी शुक्रवार को हुई हिंसा में गोली लगने से मौत हो गई थी.बाहर बैठे लोगों के साथ चंदन गुप्ता के पिता सुशील गुप्ता भी गुमसुम बैठे हुए थे. बोले, “बच्चों का ग्रुप तिरंगा यात्रा लेकर जा रहा था. मुस्लिम इलाक़े में लोगों ने हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा लगाने से रोका, लेकिन जब बच्चे नहीं रुके तो उन लोगों ने पथराव किया, फिर गोली चलाई. उसी में मेरे बेटे की मौत हो गई. मुझे न्याय चाहिए.”कहते हुए सुशील गुप्ता रो पड़े. उनके रोते ही वहां बैठे लोगों का ग़ुस्सा जैसे फूट पड़ा हो, ‘हम अपने ही देश में तिरंगा यात्रा नहीं निकाल सकते?’, ‘हमें अपने घरों में क़ैद कर दिया गया है’, ‘हमें जबरन दूसरी जगह पर अपने बच्चे का दाह संस्कार करने पर मजबूर किया गया’ जैसी बातें लोग तेज़ आवाज़ में बोलने लगे.

आगजनी की घटनाएं
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वहीं बैठे एक बुज़ुर्ग राम दयाल बेहद ग़ुस्से में बोले, “कौन आग लगा रहा है, गाड़ियां जला रहा है, ये प्रशासन पता करे. हम यहां बच्चे के मरने के ग़म में बैठे हैं, क्या हम जाएंगे दंगा करने? प्रशासन के लोग हमें दूध और दवा जैसी ज़रूरी चीजें लेने के लिए भी बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं.”

दरअसल, शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद से ही पूरे शहर में कर्फ़्यू जैसे हालात बने हुए हैं. हालांकि शुक्रवार को कर्फ्यू की औपचारिक घोषणा की गई थी, लेकिन शनिवार को अलीगढ़ ज़ोन के एडीजी अजय आनंद ने बीबीसी से बातचीत में इस बात से इनकार किया.एडीजी अजय आनंद ने कहा, “हम हिंसा का तांडव करने वालों को बख़्शेंगे नहीं. दो एफ़आईआर दर्ज़ की गई हैं, उपद्रव करने वालों की तलाश की जा रही है.”

अजय आनंद ने बताया कि अब तक 49 लोगों को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया है और नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.अजय आनंद का कहना था कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन आगजनी की घटनाएं न सिर्फ़ शनिवार रात भर जारी रहीं, बल्कि रविवार सुबह भी ये सिलसिला चलता रहा.

प्रशासन और पुलिस
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लोगों में इस बात का ग़ुस्सा है कि प्रशासन और पुलिस के लोग उन्हें घरों में रहने को विवश कर रहे हैं, लेकिन किसी की कोई परेशानी सुनने को तैयार नहीं हो रहे हैं.जिस तरह का ग़ुस्सा गली शिवालय की ओर था, वैसा ही ग़ुस्सा क़रीब दो किमी दूर बिलराम गेट इलाक़े में भी था जहां से इस फ़साद की शुरुआत हुई थी.बिलराम गेट इलाक़े के बड्डूनगर मोहल्ले में लोगों की शिकायत थी कि उन्हें चुन-चुनकर परेशान किया जा रहा है.मोहम्मद असलम का कहना था, “हमारी दुकानें जलाई जा रही हैं. हम यहां बैठे हैं, पुलिस वाले हमें बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. हमें पता भी नहीं है कि किसकी दुकान जल गई है, किसकी बची है.”फ़रीद का कहना था कि हमारी कोई बात ही नहीं सुनी जा रही है, “बीच-बीच में पुलिस वाले आते हैं और दो-चार लोगों को उठा ले जाते हैं.”यहां लोग ये कहते हुए भी मिले कि कई लोग लापता हैं, लेकिन पुलिस की ओर से इन बातों की पुष्टि नहीं हुई.

माहौल गमगीन था…
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इस इलाक़े में लोगों का सीधा आरोप था कि प्रशासन ने हिन्दू समुदाय के लोगों को खुला छोड़ दिया है ताकि वो हमारा नुक़सान कर सकें.सलमान अहमद बताने लगे, “ये बोल रहे हैं कि स्थिति हमने सँभाल ली है, लेकिन कुछ नहीं सँभला है. हमें घरों में क़ैद कर दिया गया है और उन्हें पूरी छूट दे रखी है. सारी धारा 144 हमारे लिए ही लगी है. हमारे यहां न कोई नेता, न कोई सांसद, कोई हाल जानने भी नहीं आया.”बिलराम गेट इलाक़े के तिरछल्ला मोहल्ले में नौशाद के घर पर भी माहौल गमगीन था.नौशाद के पिता वलीउल्ला बोले, “बेटा सामान लेने बाहर गया था, लेकिन कुछ देर बाद ही भागता हुआ आया और बोला कि मुझे गोली लग गई है. हम लोग अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे गंभीर बताते हुए अलीगढ़ भेज दिया.”