कंप्यूटर डेटा पर एजेंसियों की पहुंच पर छिड़ी रार, विपक्ष बोला- अबकी बार निजता पर वार

दिल्ली केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 10 एजेंसियों को किसी के भी कंप्यूटर डेटा की जांच का अधिकार दिए जाने के विवादित आदेश पर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस आदेश पर तीखा अटैक करते हुए इसे निजता पर वार करार जिया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार के नारे की ही तर्ज पर ट्वीट किया, अबकी बार निजता पर वार। सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार अब आपके कंप्यूटर की जासूसी करना चाहती है। यह निंदनीय प्रवृत्ति है।’
आप नेता अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘मई 2014 से ही भारत अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है। बीते कुछ महीनों में तो मोदी सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं। अब नागरिकों के कंप्यूटर तक का कंट्रोल मांगा जा रहा है। क्या दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में मूलभूत अधिकारों का इस तरह से हनन स्वीकार किया जा सकता है?’
यही नहीं एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आदेश की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मोदी सरकार ने एक आदेश के जरिए राष्ट्रीय एजेंसियों को हमारे कॉम्युनिकेशंस की जासूसी करने का आदेश दे दिया है। कौन जानता है कि उनके घर-घर मोदी के नारे का क्या अर्थ था।’
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस आदेश को खतरनाक करार देते हुए जनता से राय मांगी है। कांग्रेस के सीनियर लीडर अहमद पटेल ने कहा कि इसका एजेंसियों की ओर से मिसयूज हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिना चेक ऐंड बैलेंस के एजेंसियों को इस तरह की ताकत देना चिंता की बात है।
एनसीपी लीडर माजिद मेमन ने कहा कि यह आम लोगों की निजता में दखल है। आखिर कैसे कोई भी एजेंसी किसी के भी घर में घुसकर उनके कंप्यूटर डेटा की जांच कर सकती है। एसपी लीडर रामगोपाल यादव ने भी इस आदेश को आम जनता की जासूसी करने का अधिकार देने वाला फैसला बताया है।
CPM पोलित ब्यूरो और पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने निजी कंप्यूटरों को भी जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए सवाल किया कि सरकार प्रत्येक भारतीय को अपराधी क्यों मान रही है? येचुरी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के 10 केंद्रीय एजेंसियों को सभी कंप्यूटरों पर निगरानी करने संबंधी आदेश को असंवैधानिक बताया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा ‘प्रत्येक भारतीय के साथ अपराधी की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है? यह आदेश असंवैधानिक है। यह सरकार द्वारा पारित किया गया है जो प्रत्येक भारतीय पर निगरानी रखना चाहती है।’ येचुरी ने इसके असंवैधानिक होने की दलील देते हुए कहा कि यह टेलिफोन टैपिंग संबंधी दिशानिर्देशों तथा निजता और आधार पर अदालती फैसले का उल्लंघन करता है।
गौरतलब है कि 20 दिसंबर, 2018 को गृह मंत्रालय की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार होगा। ये एजेंसियां इंटरसेप्शन, मॉनिटरिंग और डिक्रिप्शन के मकसद से किसी भी कंप्यूटर के डेटा को खंगाल सकती हैं।