कांग्रेस का आरोप- विधानसभा अध्यक्ष ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर कमाए 2 अरब रुपए

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर सीतासरण पर गंभीर आरोप लगाए है।कांग्रेस ने विस अध्यक्ष पर ज़मीन पर अवैध कब्ज़े करने के आरोप लगाए है। कांग्रेस का आरोप है कि होशंगबादा में 14-15 साल से शर्मा परिवार का ज़मीनों पर अवैध कब्ज़ा करके बैठा है। होशंगाबाद और इटारसी में कई जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है ।उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष झूठ बोल रहे हैं कि यह अतिक्रमण नहीं है। आज भी स्कूल और दुकानों की जमीन सरकारी रिकार्ड में नजूल भूमि दर्ज है। वर्तमान कलेक्टर द्वारा कराई गयी जांच में इस तथ्य की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने शासन से मांग की है कि शासकीय जमीन पर अतिक्रमण कर बनाये गये स्कूल और अवैध दुकानों को तत्काल तोड़ा जाये। कांग्रेस इस मामले में कलेक्टर को दस्तावेज सौंपेगी और जांच की मांग करेगी।

दरअसल, आज प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधानसभा अध्यक्ष को जमकर घेरा।उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सीता शरण शर्मा पर राजनीतिक हमले किए।अग्रवाल ने विधानसभा अध्यक्ष के परिवार पर सरकारी जमीन पर कब्जा किए जाने के गंभीर आरोप लगाए।उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने खेल मैदान पर अवैध कब्जे कर लिया और मैदान की जमीन पर दुकानें बनाई है। मंदिरों की जमीन पर भी दुकानें बनाकर अवैध कब्जा कर लिया। होशंगाबाद और इटारसी में कई जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है ।कांग्रेस इस मामले में कलेक्टर को दस्तावेज सौंपेगी और जांच की मांग करेगी।

उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के परिवार ने होशंगाबाद के सभी मंदिरों पर कब्जा कर रखा है। जब कब्जा हटाने जिला प्रशासन की टीम गई तो उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।यहां 70 दुकानें बनाकर एक-एक दुकान की सात-सात लाख रूपये पगड़ी ली गयी और चार हजार रूपये प्रतिमाह किराया लिया जा रहा है। कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार यहां जमीन की कीमत बीस हजार रूपये प्रति वर्गफुट है बीजेपी शासन के दौरान विधानसभा अध्यक्ष के परिवार का कब्जा बढ़ा है। अध्यक्ष के परिवार ने 3 स्थानों पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर 2 अरब रुपए कमाए है। सरकार को इसे भी जप्त कर सरकारी खजाने में जमा करना चाहिए, ताकि यह राशि लोकहित में खर्च की जा सके। यह तो केवल एक उदाहरण है जो कलेक्टर की जांच में सामने आया है। यदि सघन जांच की जाये तो ऐसी बहुत सारी बेनामी और सरकारी संपत्ति सामने आ सकती है, जिस पर शर्मा परिवार का कब्जा है।

ये है पूरा मामला

दरअसल, 17 अप्रैल को कलेक्टर जनसुनवाई में आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेंद्र यादव ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा के भाई एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भवानीशंकर शर्मा पर सरकारी भूमि पर कब्जा कर स्कूल और दुकानें बनाने का आरोप लगाया था।उन्होंने कहा था कि इस सरकारी जमीन पर शर्मा का 15 साल से कब्जा है। यहां तीन मंजिला स्कूल और 65 दुकानें बनाई गई है। दुकानें 7 लाख से लेकर 8 लाख रुपए की पगड़ी पर किराए से दी गई हैं। यादव ने शिकायत में आरोप लगाया कि इस सरकारी भूमि से अब तक भवानीशंकर शर्मा ने लगभग दो अरब रुपए का आर्थिक लाभ उठाया है। उन्होंने प्रशासन से इसकी वसूली की मांग भी की थी। इस शिकायत पर जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए थे ।प्रशासन की जांच में यह भूमि नगर पालिका की होना पाया गया। राजस्व निरीक्षक द्वारा इस मामले की जांच में अतिक्रमण होने की पुष्टि होने पर अतिरिक्त तहसीलदार ने नपा सीएमओ को पत्र लिखकर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।इस आधार पर जिला प्रशासन ने पंडित रामलाल शर्मा स्कूल और दुकानें तोडऩे के आदेश दिए है। इस संबंध में नगर पालिका का अमला अतिक्रमण के लिए वहां पहुंचा लेकिन रसूख प्रभाव के चलते कार्रवाई नही की गई और अमला वापस लौट गया। इस पूरे मामले को लेकर अब कांग्रेस ने सवाल खड़े किए है।

नजूल रिकार्ड के अनुसार,

अग्रवाल ने अपने दावे के समर्थन में नजूल रिकार्ड का हवाला देते हुए कहा कि पूर्व में भी तत्कालीन कलेक्टर आशीष उपाध्याय ने 29 जनवरी 2003 को मुख्यमंत्री के सचिव को सूचित किया था कि राजस्व अभिलेखों में नजूल की शीट नंबर 43 में प्लाट नंबर 15/3 ‘खेल का मैदान नजूल’ दर्ज है। इसका रकबा एक लाख 88 हजार 100 वर्गफुट है। यह जमीन एस.एन.जी. स्कूल से लगी होने के कारण इसे एस.एन.जी. स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। कलेक्टर ने लिखा था कि यहां स्टेडियम के निर्माण के लिये नर्मदा शिक्षा समिति (एनईएस) को कार्य एजेंसी बनाया गया था। समिति होशंगाबाद मंे विद्यालय चलाती है और कलेक्टर इसके पदेन अध्यक्ष हैं।

रिकार्ड में बताया गया है कि आजादी के पहले सन् 1929 की नजूल शीट क्रमांक 43 मेें प्लाट क्रमांक 15/1 रकबा 2 लाख 47 हजार 500 वर्गफुट हिन्दी स्कूल म्युनिस्पल के नाम से दर्ज था। इसी शीट में प्लाट क्रमांक 15/2 एक लाख 36 हजार 776 वर्गफुट एवीएम स्कूल के नाम से दर्ज था। सरकार ने यह जमीन 1949 में नर्मदा एजुकेशन सोसायटी, होशंगाबाद को दे दी। बाद में सन् 1955-56 में प्लाट क्रमांक 15/1 रकबा 2 लाख 47 हजार 500 वर्गफीट में से हिस्सा कर प्लाट क्रमांक 15/3 बनाया गया। इसका रकबा 1 लाख 88 हजार 100 वर्गफुट है। इस जमीन को सरकार ने नर्मदा एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित न्यू इंग्लिश हाई स्कूल होशंगाबाद को अपने नियम और शर्तों के अनुसार दिया गया। यह तथ्य राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया गया। इसके बाद शासन ने 18 मई 1960 को यह जमीन पुनः वापस लेकर नजूल में दर्ज कर ली। अब शासन 1949 में जो प्लाट नंबर 15/2 रकबा 1 लाख 36 हजार 778 वर्गफुट नर्मदा एजुकेशन सोसायटी को दिया था, उसे भी सन् 72-73 में नियमों का उल्लंघन करने के कारण वापस ले लिया जो आज की तारीख तक शासन के कब्जे में है। इस तरह 15/1, 15/2 और 15/3 तीनों रकबे नजूल के हैं। शासन की इस जमीन में से 15/1 के 32 हजार वर्गफुट पर अतिक्रमण कर भवन बनाकर पंडित रामलाल शर्मा स्कूल संचालित किया जा रहा है। इस पर तीन मंजिला भवन बनाया गया है, जिसका निर्माण एरिया एक लाख वर्गफुट है। यह बिना अनुज्ञा के किया गया अवैधानिक कार्य है।