भाजपा के दिग्गजों के सामने कांग्रेस चल सकती है आदिवासी कार्ड

कांग्रेस इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गजों को उनके ही घर में घेरने के लिए आदिवासी कार्ड चलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए बाकायदा एक रिपोर्ट तैयार कराई गई है। इसमें ऐसी सीटों की जानकारी जुटाई गई है जो सामान्य है, लेकिन वहां आदिवासी मतदाताओं की संख्या हार-जीत का फैसला करते हैं। प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जनजाति विभाग के अध्यक्ष अजय शाह द्वारा तैयार कराई गई इस रिपोर्ट को हाल ही में पार्टी हाईकमान को सौंप दिया गया है। इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का ध्यान तब गया जब बुधनी विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों का एक प्रतिनिधि मंडल उनसे मिला। इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व बलराम कर रहे थे। उनका कहना था कि एक बार बुधनी से आदिवासी वर्ग का प्रत्याशी उतार कर देखिए, असर आपको पता चल जाएगा।
मुख्यमंत्री के क्षेत्र में हैं 40 हजार आदिवासी मतदाता
कमलनाथ को बताया गया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 40 हजार आदिवासी मतदाता है। अब तक सामान्य वर्ग का प्रत्याशी होने से पूरा वोट सरकार अर्थात मुख्यमंत्री के साथ चला जाता है। यदि आदिवासी वर्ग का प्रत्याशी होगा तो इस वर्ग का एकमुश्त वोट कांग्रेस की झोली में आ सकता है। इतना ही नहीं इस प्रयोग से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के असर को भी कम किया जा सकता है।
दिग्गजों के इलाके में यह स्थिति
कांग्रेस अनुसूचित जनजाति विभाग के अध्यक्ष अजय शाह का कहना है कि बुधनी के अलावा मंत्री रामपाल सिंह के क्षेत्र सिलवानी में लगभग 48 हजार आदिवसी वोट हैं। इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा के भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में भी इस वर्ग के वोटों की संख्या 42 हजार बताई गई है। शाह का कहना है कि जिन सीटों में हम हार रहे हैं, वहां आदिवासी वर्ग का प्रत्याशी उतारने में क्या बुराई है।
प्रदेश में मिल सकता लाभ
आदिवासी वर्ग को साधने के उद्देश्य से ही इस बार कांग्रेस, गैर आदिवासी सीटों पर भी आदिवासी प्रत्याशियों को टिकट देने का मन बना रही है। वर्तमान में प्रदेश में 20 फीसदी आदिवासी वोट हैं। इसके लिए प्रदेश में कुल 47 विधानसभा सीट आरक्षित है। फिलहाल इन सीटों में से 32 सीटें भाजपा और शेष 54 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जो आदिवासी प्रत्याशी के लिए आरक्षित नहीं है, लेकिन इन इलाकों में आदिवासियों का दबदबा है। यहां 30 हजार से ज्यादा आदिवासी वोट हैं। आदिवासियों में 40 से ज्यादा उपजातियां हैं। कांग्रेस की कोशिश इन सभी को साधने की है।