चुनावी साल में युवाओं को रोजगार मेले के नाम पर धोखा दे रही शिवराज सरकार : कमलनाथ

भोपाल। चुनावी साल में युवा वर्ग को साधने शिवराज सरकार रोजगार मेले का आयोजन कर रही है। इसमें प्रदेशभऱ के 2 लाख 84 हजार बेरोजगारों को रोजगार/स्व-रोजगार देने की बात कही जा रही है। इसके लिए कई कम्पनियों द्वारा एक लाख 24 हजार युवाओं को लेटर ऑफ इंटेंट दिये जायेंगे। इसी के साथ प्रदेश की विभिन्न स्व-रोजगार योजनाओं में 60 हजार हितग्राहियों और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में एक लाख हितग्राहियों को लोन दिए जाएंगें।वही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इसे युवाओं के साथ धोखा बताया है। उनका कहना है कि चुनावी साल में सरकार युवाओं को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।बीते चौदह सालों में शिवराज सरकार ने सिर्फ नाम मात्र के लोगों को ही रोजगार दिया है और अब बड़े बड़े दावे कर रही है।
रोजगार मेले को लेकर कमलनाथ ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जो भाजपा सरकार पिछले साढ़े चौदह वर्षों में युवाओं को रोजगार देने के मामले में पूरी तरह से फैल साबित हुई है, जिसके कारण बड़ी संख्या में प्रदेश के युवा आत्महत्या कर रहे हैं, वह सरकार चुनावी वर्ष में, चुनाव के चार माह पूर्व, आज प्रदेश भर में रोजगार मेले लगाकर युवाओं को रोजगार के नाम पर झूठे सपने दिखाकर एक बार फिर गुमराह करने में लग गई है।
कमलनाथ ने कहा कि जिस भाजपा सरकार ने अपने साढ़े चैदह वर्षों के शासनकाल में प्रतिवर्ष दो लाख युवाओं को रोजगार देने का दावा किया था और दावे के विपरीत नाम मात्र के युवाओं को रोजगार दिया, वो अब अपनी असफलता को छुपाने के लिए चुनाव के चार माह पूर्व रोजगार मेले का स्वांग रच युवाओं को लुभाने का प्रयास कर रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अभी कुछ दिन पूर्व की युवाओं को सरकारी नौकरी छोड़ स्वरोजगार से जुड़ने की सलाह दे चुके हैं। जबकि दावा तो उन्होंने युवाओं को टाटा-अंबानी बनाने का किया था। आज प्रदेश का युवा रोजगार को लेकर भटक रहा है और मौत को गले लगा रहा है। युवा रोजगार के मामले में प्रदेश की स्थिति भयावह है। सरकार भले कितना ही दावा करे, लेकिन युवाओं की बेरोजगारी का वास्तविक कुछ और ही है।
कमलनाथ ने आकंडों से बताया कितनी बढ़ी बेरोजगारी
-आंकड़ों के अनुसार पिछले चैदह वर्षों में सरकार ने मात्र 17600 बेरोजगारों को नौकरी प्रदान की है, जबकि दिसम्बर 2017 तक मध्यप्रदेश में बेरोजगारों का पंजीकृत आंकड़ा 23.90 लाख था, जबकि वास्तविक बेरोजगारी का आंकड़ा 1.5 करोड़ के करीब है। इस सच के बाद सरकार का चुनावी वर्ष में बड़ी संख्या में रोजगार देने का दावा पूरी तरह से झूठा है।
-आंकड़ों के अनुसार दिसम्बर 2011 में 10 बेरोजगारों में से 7 शिक्षित थे और वर्ष 2017 में 10 में से 9 शिक्षित हैं, स्पष्ट तौर पर शिक्षित बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2016-17 में 19 लाख बेरोजगार बढ़े। जबकि वर्ष 2017 में मात्र 1750 युवाओं को नौकरी मिली।
-आज मध्यप्रदेश युवाओं की आत्महत्या के मामले में देश में शीर्ष पर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार पिछले 15 वर्षों में 1874 और वर्ष 2016 में 579 युवाओं ने बेरोजगारी के कारण आत्महत्या कर ली। पिछले 13 वर्षों में बेरोजगारी के कारण आत्महत्याओं की घटना में 20 गुना की वृद्धि हुई है। प्रतिदिन औसतन दो युवा आत्महत्या कर रहे हैं।
-प्रदेश में पिछले दोे वर्षों में बेरोजगारी 53 प्रतिशत बढ़ी है। शिवराज सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में वर्ष 2016 में 11.24 लाख पंजीकृत बेरोजगारों में से मात्र 422 लोगों को रोजगार देने का दावा किया गया, यह वास्तविकता है।
-प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर, पटवारी, जिला कोर्ट में चपरासी, पुलिस विभाग सहित अन्य विभागों में पिछले दिनों निकली नाम मात्र की भर्ती में हजारों आवेदन आये, उसमें से कई पीएचडी, एमबीए डिग्रीधारी, बीटेक और एमटेक परीक्षा पास उच्च शिक्षित अभ्यार्थी भी शामिल थे।
कमलनाथ ने कहा कि सरकार भले ही युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ने की बात कर युवा उद्यमी योजना की बात करे, लेकिन सच यह है कि प्रदेश के मंत्रियों के जिलों में भी युवा उद्यमी योजना में लोन नहीं मिल पा रहा है। यह सारे आंकड़े चैकाने वाले हैं, व रोजगार के दावों की वास्तविकता की पोल खोल रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को पहले पिछले साढ़े चौदह वर्षों में दिये रोजगार व वास्तविक स्थिति की हकीकत प्रदेश की जनता को बताना चाहिए, फिर चुनावी वर्ष में इस तरह के मेेले के आयोजन करना चाहिए। प्रदेश का युवा सारी हकीकत जानता है और वह यह भी जानता है कि चुनाव से चार माह पूर्व इन रोजगार मेलों को सिर्फ उन्हें गुमराह करने के लिये व झूठे सपने दिखाने के लिये आयोजित किया जा रहा है। वह इनके बहकावे में आने वाला नहीं है।