भाजपा संगठन में साठ फीसदी पदों पर स्वर्णों का कब्जा

भाजपा व उसकी मातृ संस्था भले ही सामाजिक समरसता की कितनी ही बात करे, लेकिन अभी भी भाजपा संगठन के मौजूदा साठ फीसदी पदों पर स्वर्णों का ही कब्जा है। इनमें राष्ट्रीय से लेकर जिलाध्यक्ष तक केे पद शामिल हैं। कमोवेश यही हालत सरकारों में भी है। इसमें भी खास बात यह है कि पार्टी के मुख्य संगठन में अगर प्रदेश की बात की जाए तो एक भी मुस्लिम ऐसा नहीं है जिसे जगह दी गई हो। लगभग यही हाल जिलाध्यक्षों को लेकर भी है। देशभर में पार्टी के पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों में से 60 फीसदी पदों पर ब्राहमण और क्षत्रियों का कब्जा है। 38 साल पुरानी पार्टी पर बनिया, ब्राह्मण पार्टी का टैग अब भी लगा हुआ है। जबकि मोदी-शाह की जोड़ी लगातार सोशल इंजीनियरिंग के जरिए चुनाव जीतने के दावे कर रही है, लेकिन यह बदलाव पार्टी में नजर नहीं आ रहा है।
मप्र में यह हैं हालात
मप्र में प्रदेश पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के पदों में से 60 फीसद पर क्षत्रिय, ब्राह्मण और बनिया काबिज हैं इसमें भी एक चौथाई पर सिर्फ क्षत्रिय हैं बाकी 40 फीसदी में प्रदेश की 87 फीसदी आबादी वालों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। जिसमें ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यक शामिल हैं। इसी तरह से प्रदेश पदाधिकारियों मे 30 पदों में से आठ पर क्षत्रिय, छह पर ब्राह्मण और तीन पर वैश्य-जैन हैं। ओबीसी प्रदेश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं , लेकिन उन्हें पार्टी ने महज आठ पदों तक ही सीमित रखा है। इनमेें सर्वाधिक खराब हालत एससी-एसटी की है। इस टीम में सिर्फ दो एससी और तीन एसटी के पदाधिकारी हैं। इसी तरह जिला अध्यक्षों के 56 पदों में से 14 पर क्षत्रिय, 11 पर वैश्य जैन और 10 पर ब्राह्मणों का कब्जा है।
एक सिख-दो सिंधी
भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों में एक भी मुस्लिम प्रतिनिधि नहीं है जबकि प्रदेश की 6.57 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। शहडोल जिले के अध्यक्ष की कमान सिख धर्म के इंद्रजीत सिंह छाबड़ा को दी गई है। उधर प्रदेश पदाधिकारियों में तो सिंधी समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है लेकिन प्रदेश के दो जिलों कटनी और बालाघाट में सिंधी जिला अध्यक्ष हैं।
एससी-एसटी अध्यक्ष इतिहास की बात
प्रदेश में एससी-एसटी वर्ग को प्रमुख पदों पर बैठाने की मांग हमेशा से उठती रही है लेकिन मप्र में भाजपा संगठन सिर्फ दावों तक सीमित हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग से नंदकुमार साय 18 साल पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। साय 1997 से 2000 तक अध्यक्ष रहे। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग से आखिरी अध्यक्ष 12 साल पहले सत्यनारायण जटिया बने थे। जटिया को भाजपा ने सिर्फ नौ माह तक अध्यक्ष रखा वे 27 फरवरी 2006 से 21 नवंबर 2006 तक ही अध्यक्ष रहे।