चीनी बैंक से बीस हजार करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी

कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार अब एक बार विकास के नाम पर बीस हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज विभिन्न योजनाओं के नाम पर चीन में स्थित बैंक से लिया जा रहा है। राज्य सरकार अभी तक इस तरह के लोन जापान और विश्व बैंक से लेती रही है, लेकिन अब सरकार ने चीन के शंघाई स्थित न्यू डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेने की तैयारी कर ली है। यह कर्ज सडक़-बिजली से लेकर मेट्रो टे्रन के नाम पर लिया जा रहा है। डेवलमेंट बैंक से 20000 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट पर कर्ज लेने की बात चल रही है। गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश का सालाना बजट 2.04 लाख करोड़ है, जबकि कैग रिपोर्ट के मुताबिक 1.83 लाख करोड़ का कर्ज है। हालांकि, सरकार 31 मार्च 2018 की स्थिति में 1.60 लाख करोड़ का कर्ज बता रही है।
हाल ही में बनाया गया है नया बैंक
ब्रिक्स देशों ने यूरोपीय देशों के आर्थिक जगत पर एकाधिकार तोडऩे के लिए न्यू डेवपलमेंट बैंक बनाया है। इसका मुख्यालय शंघाई में हैं। इसका पहला अध्यक्ष भारतीय है। इस बैंक से अधिकतर बड़ी चाइनीज कंपनियों जुड़ गई हैं। शंघाई में मुख्यालय होने के कारण बैंक पर चीन का प्रभाव बढ़ गया है। इसी कारण प्रदेश में निजी चाइनीज कंपनियां भी सरकार से लगातार निवेश को लेकर संपर्क में हैं। इसके अलावा कोरियाई कंपनियों के आने का सिलसिला भी बढ़ रहा है।
इन कामों के लिए कर्ज मंजूर
सडक़ निर्माण : पीडब्ल्यूडी हाइवे, जिला मार्गों और पुलों के लिए कर्ज लेगा। इसके लिए 1120 करोड़ के कर्ज की मंजूरी मिली है। इसमें 398 पुलों का निर्माण किया जाएगा। बाद में 3000 करोड़ का कर्ज लेंगे।
स्मार्ट सिटी : सरकार स्मार्ट सिटी के लिए 1600 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। इससे इंफ्रास्ट्रचर तैयार होगा। यह वह राशि होगी, जो केंद्र से अनुदान के अतिरिक्त प्रदेश सरकार को अपने हिस्से से मिलना है।
मेट्रो टे्रन : सरकार भोपाल-इंदौर मेट्रो के लिए करीब 3000 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। 40000 करोड़ वाले मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए करीब 7000 करोड़ की जरूरत है, जिसमें से अभी 3000 करोड़ कर्ज लिया जाएगा।
ढाई साल में लिया 18000 करोड़ कर्ज
प्रदेश सरकार ने बीते ढाई साल में विदेशी बैंकों से करीब 18000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इसमें वल्र्ड बैंक, जायका, जीईएफ, डीएफआईडी, ईआईबी, सहित अन्य बैंक शामिल हैं। इसमें ऑफ बजट गारंटी वाला कर्ज भी शािमल है। इसके बाद भी करीब 50000 करोड़ के कर्ज आधारित प्रोजेक्ट विभिन्न विभागों में लंबित है। अभी तक का सबसे महंगा कर्ज 2000 करोड़ का सडक़ों के लिए नाबार्ड का नीडा से लिया गया है। इसमें 9.5 फीसदी ब्याज दर हैं। जबकि वल्र्ड बैंक, एडीबी व न्यू डेंवपलमेंट बैंक को औसत ब्याज दर 4 से 4.5 फीसदी है।