श्री मिश्रा ने कहा कि एक ओर संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा विदिशा में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मकर संक्रांति पर सामाजिक समरसता के लिए तिल और गुड़ खिलाकर हर जाति और धर्म के लोगों से सद्भाव पैदा करने का मंत्र दिया गया,वहीं मुख्यमंत्री ने भागवत के मंत्र से उलट अपने ही सुरक्षाकर्मी को चांटा रसीद कर समरसता मंत्र की धज्जियां उड़ाकर संघ प्रमुख को चुनौती दे डाली है। मुख्यमंत्री का यह कृत्य शासकीय कार्य और उनकी ही सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी के शासकीय कार्यों में सीधी तौर पर बाधा डालने का स्पष्ट प्रमाण है। घटना से संबंधित वायरल हुए वीडियो को देखने के बाद किसी साक्ष्य की भी आवश्यकता नहीं है।*
श्री मिश्रा ने कहा कि सोमवार 15 जनवरी, 18 को ही जिस दिन मुख्यमंत्री ने अपने सुरक्षाकर्मी को चांटा मारकर धक्का दिया है, उसी दिन इंदौर जिला अदालत के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री मृणाल मोहित ने 12 साल बाद वाहन चैकिंग के दौरान एक नगर सेवा चालक नौशाद पिता अकबर को इसलिए धारा 332 और 353 के तहत 2 साल की सजा सुनाई है, क्योंकि उसने 22 जून 2006 को वाहन चैकिंग कर रहे पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक जी.के. मिश्रा और आरक्षक गणेश के साथ बदसलूकी कर सहायक उपनिरीक्षक को थप्पड़ मारा था। जिला न्यायालय द्वारा जिस दिन आरोपी को उक्त धाराओं में 2 साल की सजा और 6 हजार रू. का अर्थदण्ड दिया गया है, उसी आरोप में फैसला आने वाले दिन ही प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किये गये उसी अपराध पर संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा है, कानून की यह दोहरी व्याख्या क्यों ?*
*श्री मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस कृत्य से विपरीत परिस्थितियों और मानसिक तनावों के बावजूद भी अपने काम को अंजाम देने वाले पुलिसकर्मियों का मनोबल गिरा है। लिहाजा, मुख्यमंत्री के विरूद्व उक्त धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाये। (संलग्न-मामले में कोर्ट का फैसला)*