भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में व्हाइट टाइगर के नाम से मशहूर कांग्रेस के सीनियर लीडर श्रीनिवास तिवारी की दहाड़ हमेशा के लिए खामोश हो गई। 93 साल तिवारी को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद दिल्ली ले जाया गया था। जहां इलाज के दौरान उन्होंने आखिरी सांस ली। तिवारी के निधन की खबर लगते ही पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है।
इसलिए कहा जाता था व्हाइट टाइगर
-1980 और 90 के दशक में विंध्य की राजनीति सफेद शेर के नाम से मशहूर श्रीनिवास तिवारी के इर्द-गिर्द घूमती थी। उनकी पहचान प्रदेश में एक कद्दावर नेता के रूप में होती थी।-दिवंगत सीएम अर्जुन सिंह भी उनकी राजनीति के कायल थे। दिग्विजय सिंह तिवारी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
-रीवा जिले के तिवनी ग्राम का नाम लेते ही एक प्रखर एवं पुष्ठ पौरुष सम्मुख आता था। लम्बा-चौड़ा बलिष्ठ शरीर, सिर के धवल बाल घनी श्वेत भौंहें जो इनकी गंभीरता को प्रगट करती हैं।
असेंबली में पहली बार किया था मार्शल का प्रयोग
-उनके ही शासनकाल में वे मप्र विधानसभा के अध्यक्ष पर काबिज हुए। पहली बार उन्होंने विस अध्यक्ष के तौर पर विस में मार्शल का उपयोग किया।
-इसके बाद वे सख्त विधानसभा अध्यक्ष के रूप में जाने जाने लगे। तिवारी के कांग्रेसी ही नहीं बीजेपी में भी कई अच्छे मित्र हैं।
-इनमें सबसे पहला नाम वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का आता है।
1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीते
-1952 में मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद वे 1957 में 1972 से 1985, 1990 से 2003 तक लगातार जीते हैं।
-वे सन् 1980 में प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। 1990 से 1992 विधानसभा उपाध्यक्ष, और 1993 से 2003 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे।
इंदिरा गांधी की वजह से कांग्रेस से जुड़े
-पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने ही 1948 में समाजवादी पार्टी का गठन किया। जिसके बाद 1952 में समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बनकर विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
-श्रीनिवास जमींदारी उन्मूलन के लिए कई आंदोलन संचालित किए जिसमें कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा। सन् 1972 में समाजवादी पार्टी से मध्यप्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए। धीरे-धीरे उन्होंने राजनैतिक की ओर रूख करते हुए सन् 1973 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। -इंदिरा गांधी के कहने पर कांग्रेस ज्वाइन किया था।