मंगल भारत इंदौर। नगर निगम अब तक शहर में 317 पब्लिक और कम्युनिटी टॉयलेट बना चुका है। 90 टॉयलेट का रखरखाव निगम कर रहा है। साफ-सफाई और अन्य सुविधाओं का खर्च निकालने के लिए टॉयलेट के आसपास की जगह विज्ञापनों के लिए आरक्षित रखी है। अब तक 90 टॉयलेट के आसपास विज्ञापन के लिए जगह देने से निगम को सालाना 80 लाख रुपए की आय हो रही है, जिससे टॉयलेट संभालने के लिए अलग से राशि खर्च नहीं करना पड़ रही है।
जागरुकता के लिए पोस्टर : शहर में 189 पब्लिक और 128 कम्युनिटी टॉयलेट हैं। वर्ष 2017 में निगम ने शहर की महत्वपूर्ण सड़कों, चौराहों, प्रमुख बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर टॉयलेट बनाए ताकि लोग खुले में पेशाब या शौच नहीं करें। आज शहर की तकरीबन हर प्रमुख सड़क और महत्वपूर्ण इलाकों में टॉयलेट सुविधा है। राजवाड़ा और उसके आसपास अन्य संकरे और सघन बाजारों में जहां बड़े टॉयलेट बनाने की जगह नहीं थी, वहां पहले से मौजूद टॉयलेट का नवीनीकरण कर लाइट-पानी का इंतजाम किया गया है। जहां जगह उपलब्ध है, वहां महिलाओं के लिए अलग से यूरिनल बनाए गए हैं। सफाईकर्मी भी नियुक्त किए गए हैं, ताकि दिन में कम से कम चार बार वहां की सफाई हो सके। लोगों में जागरुकता लाने के लिए टॉयलेट के बाहर क्रिकेटर सुरेश रैना के पोस्टर लगाए गए हैं।
एनजीओ से भी ले रहे सहयोग : सफाई के मामले में नगर निगम के कंसल्टेंट अरशद वारसी ने बताया कि हर टॉयलेट के रखरखाव में कम से कम 15 हजार रुपए महीना खर्च होता है। टॉयलेट पर विज्ञापन लगवाए गए हैं ताकि निगम को आमदनी हो और टॉयलेट रखरखाव के लिए अलग से राशि का इंतजाम नहीं करना पड़े। शहर में बने 317 में से 227 टॉयलेट का रखरखाव निगम एनजीओ के साथ मिलकर कर रहा है। इनमें सुलभ कॉम्प्लेक्स का मेंटेनेंस सुलभ इंटरनेशनल और कुछ अन्य की व्यवस्थाएं लक्ष्य और साईं सेवा समिति जैसे एनजीओ संभाल रहे हैं।