राजनीति में सफलता और यश का स्वामी शुक्र को और शनि की कृपा पाने वाले के रूप में महारत्न हीरा को माना जाता है। वर्तमान में इसी हीरे की महादशा प्रदेश में हो रहे विधानसभा में दिखती नजर आ रही है। माना जा रहा है कि इस बार हो रहे चुनाव में यही हीरा भाजपा व कांग्रेस की सफलता की कुडंली में ग्रहण के रूप में दिख रहा है। दरअसल बीते कुछ समय में प्रदेश की राजनीति में तीन नए दलों का उदय हुआ है। खास बात यह है कि इन तीनों
ही क्षेत्रीय दलों की कमान संभालने वाले लोगों का नाम हीरा से ही शुरू होता है। हीरा नाम के इन तीनों ही नेताओं की चुनावी रणनीति के चलते प्रदेश की दो दलीय राजनीति बीजेपी व कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी हुई है। दरअसल जयस के डॉ. हीरालाल अलावा, गोंगपा के हीरालाल मरकाम और सपाक्स के हीरालाल त्रिवेदी प्रदेश की राजनीति में तेजी से उभरे हैं। यह एक संयोग ही है कि इस बार विरोध का तीसरा मोर्चा संभाल रहे तीनों नेताओं के नाम हीरा होने से राशि, राजनीतिक गुण धर्म और विचारधारा सत्ता के विरोध में लगभग एक जैसी ही दिखती है। तीनों कद काठी में भी समान हैं और कर्क राशि के जातक हैं जो राजयोग की राशि शुक्र से मेल नहीं खाता है। वर्तमान सरकार और कांगे्रस के साथ इन तीनों और उनके संगठनों की स्थिति भी यही है।
डॉ. हीरालाल अलावा
डॉ हीरालाल अलावा वे शख्स हैं जिन्होंने 2016 एम्स में डाक्टर रहते आदिवासियों की राजनीतिक और सामाजिक उपेक्षा देख नौकरी छोड़ दी है। इसके बाद वह समाजसेवा में कूद पड़े और जयस नाम का एक संगठन खड़ा किया। जयस मालवा-निमाड़ के आदिवासी अंचल की करीब 25 सीटों पर चुनाव प्रभावित करने दावे के साथ चुनावीरण में है। खास बात यह है कि डॉ. अलावा की ताकत उनके साथ खड़े हजारों युवा हैं।
हीरालाल त्रिवेदी
हीरालाल त्रिवेदी मूलत: ब्यूरोके्रट रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद वे एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ प्रदेश में चल रहे सवर्णों के आंदोलनों से जुड़ गए। इस बीच सपाक्स के अन्य कर्मचारियों की मिलती विचारधारा और सीनियर आईएएस होने की वजह से वे सपाक्स के आंदोलन से सक्रिय तौर पर जुड़ गए। इसके बाद सपाक्स का आंदोलन नेताओं के विरोध में चर्चा में रहने वाला है।
दादा हीरा सिंह मरकाम
दारा हीरासिंह मरकान गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मुखिया और महाकौशल अंचल में आदिवासियों के स्थापित नेता हैं। जिनकी एक आवाज पर आदिवासी अंचल के लोग एकतरफा वोट करते आए हैं। संविधान की 20 अनुसूची लागू कराने और आदिवासियों को वन में विकसित करने के लिए लंबे अरसे से आंदोलन चला रहे हैं। खास बात ये है कि मरकाम इस विस चुनाव में फिर महाकौशल और जबलपुर में नर्मदा कछार से सटे इलाके में अपने समर्थकों की फौज के साथ भाजपा और कांगे्रस की हवा बिगाड़ते नजर आएंगे।