मंगल भारत संपादकीय
भारत भ्राता,लाल बल्देव सिंह और गवर्नमेंट प्रेस
……………………………. ……………………..आज वसंत पंचमी के साथ ही भारत की राजनीतिक पत्रकारिता भीष्मपितामह लाल बल्देव सिंह की जयंती है। गए साल 20 जनवरी को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने रीवा के जयस्तंभ के पास गवर्नमेंट प्रेस की जर्जर इमारत औऱ उजड़े परिसर के रिडेन्सीफिकेशन का शिलान्यास किया है। यहाँ गवर्नमेंट प्रेस के साथ ही खूबसूरत व्यवसायिक परिसर भी बनेगा। मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल की यह स्वागत योग्य पहल है। पर नई पीढ़ी को शायद ही यह मालूम हो कि इस परिसर के साथ पत्रकारिता जगत का यशस्वी इतिहास जुड़ा है। रीमाराज्य के सेनापति रहे लाल बल्देव सिंह (देवराज नगर घराना) ने रीवा का सबसे पहला प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया और ..भारत भ्राता.. नामक अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। भारत भ्राता का रीवा से प्रकाशन हिंदी पत्रकारिता जगत की एतिहासिक घटना थी। अपने राष्ट्रवादी सोच औऱ ओजस्वी तेवर के चलते इसे देश का पहला राजनीतिक समाचारपत्र कहा गया है। महान संपादक धरमवीर भारती ने धर्मयुग में लिखा था कि आने वाली पीढी शायद ही यकीन करे कि रीवा जैसी छोटी जगह से इतना तेजस्वी व यशस्वी अखबार एक सेनापति ने निकाला जिसने देश की राजनीतिक चेतना को झंकृत कर दिया। भारत भ्राता का प्रकाशन अप्रैल १८८७ से१९०२ तक अनवरत जारी रहा। यह अखबार क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक था जिसमें ब्रिटेन में भारत को लेकर लिए जाने वाले फैसलों की समालोचना भी छपती थी।
भारत भ्राता प्रेस बाद मे दरबार प्रेस के नाम से जाना गया अब इसे ही गवर्नमेंट प्रेस कहा जाता है जो रीवा के जय स्तंभ चौक के समीप स्थित है। हम कृतघ्न विन्ध्यवासी न तो भारत भ्राता की स्मृति को संजो सके,न ही कलम के अमर सेनानी लाल बल्देव सिंह के योगदान को। धन्य है भोपाल का माधवराव सप्रे संग्रहालय और उसके निदेशक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर (Vivek Shridhar) जो उनकी याद को अक्षुण बनाए हुए हैं। पत्रकारिता के स्वर्णिम इतिहास के इस खंडहर पर अब नवनिर्माण होने जा रहा है यदि लाल बल्देव सिंह व उनके भारत भ्राता की स्मृति को किसी बहाने फिर जीवंत किया जाए तो यह स्तुत्य पहल होगी।
पुनश्चः मेरा सुझाव है कि परिसर का नाम ..भारत भ्राता..परिसर रखा जाए व वहाँ पर लाल बल्देव सिंह जी की प्रतिमा लगवा कर संक्षिप्त साइटेशन दिया जाए।