कांग्रेस अब तक प्रत्याशियों की दो सूची जारी कर चुकी है। फिर भी प्रदेश की 59 सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। खास बात यह है कि इनमें भोपाल की तीन और इंदौर की पंाच सीटें शामिल हैं। पार्टी की पहली सूची में राहुल गांधी के फॉर्मूले पर पहली बार बनाए गए चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों में से तीन को तो जगह मिल गई थी, लेकिन सीट बदलने के फेर में एक कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष व
वरिष्ठ नेता रामनिवास रावत का नाम नदारत था, लेकिन दूसरी सूची में उनका नाम आ गया। इसमें भी उनकी सीट बदलने की मंशा पूरी नहीं हो पायी। यही नहीं इस सूची में राजनगर से मौजूदा विधायक कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा का नाम आने के बाद उनके विद्रोह की स्थिति समाप्त हो गई हालांकि अब भी दमोह से पूर्व मंत्री राजा पटैरिया के नाम पर पेंच फंसा हुआ है। दरअसल भाजपा की तरह कांग्रेस में भी शहरी इलाके की अधिकांश सीटों पर लंबी कवायद के बाद भी कोई फैसला नहीं कर पा रही है। इनमें भोपाल की मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर सीट शामिल है। इसी तरह से इंदौर में क्रमांक-1,2,4 और 5 तथा देपालपुर में भी अभी प्रत्याशियों की घोषणा अटकी हुई है। यही हालात उज्जैन उत्तर और दक्षिण के अलावा महिदपुर सीट पर भी बने हुए हैं।
इन सीटों पर विवाद की स्थिति – भाजपा में शामिल हुए प्रेमचंद गुड्डू के कारण आलोट सीट भी कांग्रेस के लिए मुश्किल वाली बन गई है। यहां प्रत्याशी चयन करना मुसीबत वाला हो गया है। खंडवा, खरगोन और पंधाना सीट पर भी विवाद की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो बची हुईं 59 सीटों को लेकर कांग्रेस भाजपा की बची हुई सूची का इंतजार कर रही है।
चाचा-भतीजों में है मुकाबला : बड़वानी से कांग्रेस विधायक रमेश पटेल और उनके चाचा पूर्व विधायक प्रेम सिंह पटेल मैदान में हैं। भगवानपुरा से कांग्रेस विधायक विजय सोलंकी और उनके सामने भाजपा के पूर्व विधायक जमुना सिंह सोलंकी मैदान में हैं। वहीं टिमरनी में भाजपा से संजय शाह और कांग्रेस से अभिजीत शाह मैदान में हैं।
दो अल्पसंख्यक उतारे मैदान में : कांग्रेस ने पहली सूची में दो अल्पसंख्यकों को भी मौका दिया है। इनमें भोपाल उत्तर से आरिफ अकील और बुरहानपुर से हामिद काजी को प्रत्याशी बनाया है। काजी 2003 से 2008 तक एनसीपी से विधायक रहे हैं।
दलबदल की संभावनाओं के चलते अटकी तीन सीटें: कांग्रेस चार सीटों पर दलबदल की स्थिति को भांपते हुए इन पर प्रत्याशियों की घोषणा को होल्ड कर लिया है। ये सीटें गोविंदपुरा, रतलाम शहर और हुजूर हैं। पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी के कांग्रेस में आने की खबरें दिनभर चर्चा में रहीं। वहीं हुजूर में भाजपा के पूर्व विधायक जितेंद्र डागा का रुख पर कांग्रेस की नजर है। इसी तरह गोविंदपुरा पर भी बाबूलाल गौर और उनकी बहू कृष्णा गौर के रुख का पार्टी को इंतजार है।
दो शासकीय कर्मचारी : रतलाम ग्रामीण सीट पर दिलीप मकवाना भाजपा से और लक्ष्मण सिंह आमने-सामने हैं। लक्ष्मण जनपद के सीईओ हैं। दोनों शासकीय सेवा में कार्यरत हैं। चुनाव लडऩे के लिए दोनों को सरकारी सेवा से इस्तीफा देना पड़ेगा।