गांव में पूजा से शिवराज का चुनावी शंखनाद, बुधनी से भरा पर्चा

भोपाल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धनतेरस के शुभ मुहूर्त पर नामांकन दाखिल किया. सोमवार को शिवराज अपने परिवार के साथ बुधनी विधानसभा सीट पर नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे. नामांकन दाखिल करने से पहले उन्होंने नर्मदा देवी के दर्शन किए.
शिवराज ने यहां कहा कि कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकाल में सड़कों के गड्ढे भी नहीं भरवा पाई, मैं आज अपने अभियान की शुरुआत यहां से कर रहा हूं. हमारा मुख्य मुद्दा विकास का रहा है, हमने राज्य में कृषि को बढ़ावा दिया है.
शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ सुबह अपने पैतृक गांव जैतपुर पहुंचे हैं. शिवराज ने अपने पैतृक गांव में पूजा अर्चना की. इसके बाद वो नामांकन दाखिल करने अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी गए. नामांकन दाखिल करने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के अलावा बीजेपी के तमाम बड़े नेता भी उनके साथ मौजूद रहे.
बता दें कि राज्य में 28 नवंबर को मतदान होना है जिनकी गिनती 11 दिसंबर को होगी. वहीं नामांकन प्रक्रिया दो नवंबर से शुरू हो गई है और 9 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे.
 शिवराज सिंह तीन बार से मुख्यमंत्री हैं. वो चौधी बार सत्ता पर काबिज होने के पूरी ताकत लगा रहे हैं. बीजेपी को इस राज्य में राज करते हुए 15 साल हो गए, लेकिन बीते 13 साल से शिवराज सीएम हैं.
बता दें कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नाम पर ही बीजेपी चुनाव लड़ती आई है और इस बार भी पार्टी को उनसे से काफी उम्मीदें हैं.
शिवराज ने बीजेपी की राह तो जरूर आसान बनाते रहे हों, लेकिन खुद शिवराज का राजनीतिक सफर उतना आसान नहीं रहा है. शिवराज ने मध्य प्रदेश में उस वक्त सत्ता संभाली जब यहां पर 3 साल के अंदर बीजेपी को 2 मुख्यमंत्री बदलना पड़ा. पहले उमा भारती और फिर बाबूलाल गौर. फिर इसके बाद जब से शिवराज सत्ता पर काबिज हुए उसके बाद बीजेपी को किसी दूसरे चेहरे की तरफ नहीं देखना पड़ा.
रह चुके हैं टॉपर
5 मार्च 1959 को ‘किरार राजपूत’ परिवार में जन्मे शिवराज सिंह चौहान में शुरू से ही लीडरशीप की क्षमता थी. 16 वर्ष की उम्र में शिवराज को एबीवीपी से लगाव हुआ और उन्होंने छात्रसंघ चुनाव में किस्मत आजमाई. वह भोपाल के मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष बने.
बरतकुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से दर्शनशास्त्र में मास्टर्स की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान मिलने पर गोल्ड मेडल से नवाजे गए.
1972 में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. इमरजेंसी का विरोध करने पर 1976-1977 के दौरान शिवराज भोपाल जेल में बंद रहे.  शिवराज बाद में भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश के सयुंक सचिव बन कर अपनी राजनेतिक यात्रा को नई दिशा दी. इसके बाद 1988 में शिवराज पहली युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने.