समय के साथ तकनीक भी तेजी से बदल रही है। अब यही तकनीक आज संदेशों के आदान प्रदान व अपनी बात रखने का सशक्त माध्यम बन गई है। यही वजह है कि अब इसका उपयोग भी राजनैतिक दल भी खूब कर रहे हैं। प्रदेश में चुनावी रणभेरी बज चुकी है, लिहाजा सभी पार्टियों के साथ ही उनके प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए पूरा जोर लगा दिया है। यही वजह है कि अब चुनाव के समय दिखने वाले बैनर – पोस्टर अब
नदारत की स्थिति में पहुंच गए हैं। हालात यह है कि लगभग सभी दल और उनके उम्मीदवार अब पूरी तरह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के तहत वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को अपने प्रचार का हथियार बनाकर उसका उपयोग कर रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए जनता को प्रभावित करने में तो कुछ हद तक ये राजनीतिक पार्टियां कामयाब भी हो रही हैं। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस सोशल मीडिया पर कोई किसी से कम नजर नहीं आना चाहता। इन पार्टियों ने जो हाईटेक मीडिया सेंटर बनाए हैं, वहां इनकी टीम दिन-रात पार्टी नेताओं की पोस्ट, वीडियो और फोटो को आमजन तक पहुंचाने में लगी रहती है।
आए दिन वायरल हो रहे वीडियो
हाल ही में ये भी देखने में आया था कि प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले कभी कांग्रेस की प्रत्याशी सूची वायरल हो रही थी तो कभी भाजपा की। दोनों ही दल के राजनेता भी एक-दूसरे की सोशल मीडिया टीम (आईटी) पर फर्जी सूची जारी करने के आरोप लगा रहे थे, लेकिन फेक बयानों, ऑडियो, वीडियो और फोटोज को सोशल मीडिया पर वायरल करने का दौर जारी है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, तमाम नेताओं के ऐसे कई एडिटेड या कहें फेक (झूठी) पोस्ट सोशल मीडिया पर लगातार शेयर किए जा रहे हैं। 2014 के चुनावों में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई थी, इस बात से कांग्रेस-भाजपा भी अछूती नहीं है। यही वजह है कि इन प्रमुख दलों ने सोशल मीडिया की ताकत को भांपते हुए सोशल मीडिया और आईटी सेल का गठन कर अपने तमाम नेताओं को भी सोशल मीडिया पर सक्रिय होने के फरमान जारी कर दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी हों, राहुल गांधी हों, सीएम शिवराज हों, कमलनाथ हों या सिंधिया हों, सभी नेता छोटे से छोटे प्रोग्राम में सोशल मीडिया पर लाइव नजर आते हैं।