भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर को अधिकृत तौर पर अपनी सीमाओं में मिलाने के लिए लगातार नई चाल चल रहा है। पाकिस्तान सरकार ने एक समिति गठित की, जो गिलगित-बाल्टिस्तान (पीओके) के कानूनी स्थिति की समीक्षा करेगी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह समिति इस बात की रिपोर्ट देगी कि गिलगित-बाल्टिस्तान को कैसे अंतरिम राज्य के तौर पर पाकिस्तान में शामिल किया जा सकता है।
बता दें कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र भारतीय जम्मू-कश्मीर का ही एक हिस्सा है, जिस पर पाकिस्तान ने 1948 में कबाइली हमले के दौरान कब्जा कर लिया था। उत्तरी क्षेत्र के नाम से पहचाने जाने वाले इस क्षेत्र को पाकिस्तान अपना 5वां राज्य घोषित करना चाहता है, जिसका भारत की तरफ से प्रबल विरोध किया जा रहा है। इस क्षेत्र का मुद्दा दोनों देशों की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में भी लंबित है।
पाक सरकार ने गठित की 10 सदस्यीय समीक्षा समिति
पाकिस्तान सरकार की तरफ से 10 सदस्यीय समीक्षा समिति गठित करने का कदम वहां के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उठाया गया है। चीफ जस्टिस साकिब निसार की अध्यक्षता वाली 7 जजों की पीठ ने अक्तूबर में इस क्षेत्र को पाकिस्तान का राज्य बनाने के लिए कानूनी स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश 32 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूर्ववर्ती नवाज शरीफ की सरकार की तरफ से विशेष पैनल गठित करने की सिफारिशों के आधार पर दिया था। इनमें से मुख्य संवैधानिक याचिका गिलगित-बाल्टिस्तान बार काउंसिल के वाइस-चेयरमैन जावेद अहमद की है, जिसमें उन्होंने एक विवादित क्षेत्र को संवैधानिक दर्जा देने पर सवाल खड़ा किया था।