जबलपुर। विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है। प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है। सभी प्रत्याशी जीत का समीकरण साधने हर कोशिश कर रहे हैं। जिला प्रशासन भी मतदाताओं को जागरुक करने का अभियान चला रखा है। जिले में 17.67 लाख के लगभग मतदाता 28 नवम्बर को प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला सुनाएंगे। मगर लोकसभा 2014 सहित पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो जिले में हर
बार मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। इसके साथ ही नतीजों में भी फेरबदल दिखा। जिले में हर चुनाव के साथ एक से मतदान का प्रतिशत एक से दो प्रतिशत तक बढ़ता गया। पिछले तीन चुनावों की बात करें तो पाटन विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता मताधिकार का प्रयोग करते रहे हैं।
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लोकसभा सहित पिछले तीन चुनावों की तस्वीर
मतदान का प्रतिशत बढ़ा तो बदल गए परिणाम
तीनों चुनावों में यहां 75 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। वर्ष 2008 में जिले की आठ सीटों में कांग्रेस ने एक पर तो भाजपा को सात सीटों पर सफलता मिली थी। तब जिले में औसतन 65.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं वर्ष 2013 में लगभग दो प्रतिशत मतदान अधिक हुआ तो कांग्रेस की सीटों की संख्या बढकऱ दो हो गई। छह महीने बाद लोकसभा चुनाव में जिले में 69.47 प्रतिशत मतदान हुआ तो भाजपा प्रत्याशी ने सभी आठों सीटों पर बढ़ता बना ली।
इस तरह बदला नतीजा-
वर्ष 2008 में कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा पर जीत हासिल किया था। पांच साल बाद 2013 में चुनाव हुआ तो यहां मतदान का प्रतिशत 62 से बढकऱ 66 हो गया। इसका नतीजा यह रहा कि यह सीट भाजपा के कब्जे में चली गई। इसी तरह पश्चिम में जहां 2008 में मतदान का प्रतिशत 58.81 था। 2013 में तुलनात्मक रूप से पांच प्रतिशत अधिक मतदान हुआ तो सीट भाजपा से छिन कर कांग्रेस के पास चली गई। एक मात्र पाटन ऐसी सीट रही जहां 2008 की तुलना में वोट प्रतिशत में 2013 में 0.76 की बढ़ोत्तरी होने पर भाजपा हार गयी थी।
युवा मतदाता होंगे टर्निंग प्वाइंट
जिले में इस बार 17.67 लाख मतदाताओं में 43 हजार 654 मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। ये संख्या कुल मतदाताओं का 2.47 प्रतिशत है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो युवा मतदाताओं को लेकर यह माना जाता है कि वे पार्टी की बजाय अपनी पसंद-नापंसद को कहीं अधिक तवज्जों देते हैं। यही कारण है कि सभी प्रत्याशी युवा मतदाताओं को रिझाने की कोशिशों में लगी हैं।