भोपाल, मनीष द्विवेदी प्रबंध संपादक। अयोध्या नगर के खूबसूरत सरयू पार्क की बैंच पर वरिष्ठों की महफिल सजी है। इस बैठक में भी चुनाव की चर्चा ही मुख्य केंद्र है। और हो भी क्यों न, इस बार पूरे प्रदेश की नजर इस सीट पर है। भाजपा के कद्दावर नेता बाबूलाल गौर, जो पिछले चार दशकों से इस सीट और जीत का पर्याय बन चुके थे, इस बार अपनी उम्र के चलते घर बैठा दिए गए हैं। 1980 में पहली बार उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा था। हालांकि बगावती तेवर के बाद उनकी बहू कृष्णा गौर को इस सीट से प्रत्याशी बना दिया गया। बस यही बात पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं और लोगों को हजम नहीं हो रही। बदलाव की बातें यहां आम हैं। सड़कें, सीवेज की समस्या अभी भी वैसी ही बनी हुई है और पानी की समस्या में भी कोई खास बदलाव नहीं आया।
जनता की मंशा है कि बदलाव होना चाहिए। शायद लोगों की इसी भावना को परखते हुए पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदला, फिर भले ही वो बाबूलाल गौर की बहू के रूप में हो। जो भी हो पर इस सीट पर परिवर्तन तो निश्चित है। यदि कृष्णा गौर जीतीं तब भी और यदि गिरीश शर्मा जीते तब भी। हालांकि नब्बे के शुरुआती दौर में सुंदरलाल पटवा सरकार के नेतृत्व में बाबूलाल गौर ने ही हाउसिंग बोर्ड के इस बड़े प्रोजेक्ट अयोध्या नगर की नींव रखी थी और सरयू पार्क की इस बैठक को भी उन्होंने ही आबाद करवाया था।
क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
खराब सड़कें, सीवेज, बेतरतीब कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं की कमी। जेके रोड भी एक मुद्दा है, जो बड़ी आबादी को जोड़ता है। इसकी स्थिति बहुत खराब हो गई है, जबकि इसे शहर की आदर्श सड़क का दर्जा दिया गया था।
क्यों चर्चित
यहां से वर्तमान विधायक बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। 1980 से बाबूलाल यहां के विधायक हैं।
कई बड़े नेता थे सक्रिय
चालीस साल बाद यह सीट विधायक के रूप में नया चेहरा देखेगी। यह सीट भाजपा के सबसे मजबूत किलों में शुमार है इसीलिए इसे हथियाने के लिए पार्टी के बड़े नाम पिछले कई साल से सक्रिय थे। इस बार इस सीट की भी यह परीक्षा होगी कि बाबूलाल गौरविहीन समर में यह भाजपा को कितना आशीर्वाद देती है या फिर यह अपनी परंपरा तोड़ते हुए कांग्रेस के युवा रणबांकुरे को चुनती है। कांग्रेस ने पहले की तरह ही इस बार भी नया उम्मीदवार उतारा है, लेकिन इस बार युवा चेहरा और सक्रिय व्यक्तित्व है। गिरीश शर्मा की शख्सियत का सबसे ताकतवर पहलू पार्षदी के दौरान उनके द्वारा कराए गए काम हैं। इलाके की राजनीति की थोड़ी समझ रखने वाले लगभग सभी लोग इस बात को मान रहे हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्र में अच्छा काम किया है। पिछले कई वर्षों से वे इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।