इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को कई मोर्चों पर कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। इस बार कांग्रेस के रणनीतिकारों द्वारा तैयार किए गए चुनावी चक्रव्यू से अब भाजपा का अभेद माने जाने वाला मालवा निमाड़ का किला भी सकंट में पड़ गया है। यही वजह है कि इस अंचल में मतदान के ऐन पहले अब भाजपा की मदद के लिए संघ को मैदान में उतरने को मजबूर होना पड़ रहा है। दरअसल सरकार की नाकामियों व भाजपा नेताओं की कारगुजारियों के साथ ही सूबे के मुखिया की दंभोक्ति पूर्ण आरक्षण के पक्ष में माई के लाल के रुप में दी गई चुनौती से उसके परंपरागत वोट बैंक टूटता नजर आ रहा है। इससे उसके प्रत्याशियों पर हार का खतरा मडऱा रहा है। इससे परेशान भाजपा की मदद के लिए अब संघ को मैदान में आकर मोर्चा संभालने पर मजबूर होना पड़ रहा है। अगर भाजपा सूत्रों की माने तो उसके आंकलन में अंचल के 9 जिलों की 46 सीटों पर उसके प्रत्याशियों पर हार का खतरा बना हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए ही अब संघ के स्वयंसेवकों को मदद के लिए उतारना पड़ा है। दरअसल इस अंचल में किसान किसान आंदोलन की
वजह से पहले ही सरकार के खिलाफ माहौल बना हुआ था। ऐसे में भाजपा के प्रदेश में प्रभावशाली नेताओं ने जिस तरह से टिकट देने में अपने लोगों को उपकृत किया है उससे प्रत्याशियों के जातिगत समीकरण बुरी तरह से बिगड़ गए। पार्टी नेताओं की इस मनमानी से नाराज पार्टी के कई प्रभावशाली कार्यकर्ता बागी होकर मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इसका लाभ उठाने के लिए कांगे्रस लगातार प्रयास में लगी हुई है। जिसकी वजह से अंचल के इंदौर, देवास, उज्जैन, रतलाम, नीमच, मंदसौर, शाजापुर, आगर और धार जिले में भाजपा की मदद के लिए संघ को मोर्चा स हाना पड़ रहा है। अगर बीत चुनाव की बात करें तो इन इलाकों से कांगे्रस को 4 सीटें ही मिली थीं , लेकिन इस बार फिलहाल सिथति उलट दिख रही है। हालांकि अपने इस गढ़ को बचाने के लिए भाजपा ने अपने दोनों बड़े नेताओं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को भी मैदान में उतारा, लेकिन फिर भी पार्टी पर सकंट के बादल छाए हुए हैं।
चंदर सिंह का टिकट काटना पड़ रहा भारी
गरोठ से भाजपा ने विधायक चंदर सिंह सिसौदिया का टिकट काट दिया, जो अब पार्टी के लिए भारी पड़ रहा है। पार्टी ने यहां से देवीलाल धाकड़ को उम्मीदवार बनाया। सिसौदिया ने नाराज होकर निर्दलीय नामांकन भर दिया था और बाद में उठा भी लिया। सिसौदिया सौंधिया समाज से आते हैं और यह समाज भाजपा का परंपरागत वोट है। इससे यह समाज भाजपा से नाराज बताया जा रहा है।
धाकड़ों की नाराजगी दूर करने में जुटा संघ
नीमच जिले की जावद क्षेत्र में 50 हजार से अधिक धाकड़ हैं लेकिन भाजपा ने इस जाति से किसी को टिकट नहीं दिया। यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट है। जिस पर पूर्व सीएम स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सखलेचा परिवार का कब्जा है। पांच बार सखलेचा ने प्रतिनधित्व करने का मौका मिला तो 15 साल से उनके बेटे ओमप्रकाश सखलेचा विधायक हैं। वे फिर से मैदान में हैं, लेकिन इस बार धाकड़ समाज से निर्दलीय समंदर पटेल मैदान में है। अब संघ धाकड़ों को मनाने में लगा है।
यहां बागी मुसीबत
शाजापुर में विधायक अरुण भीमावद की उम्मीदवारी के विरोध में जेपी मंडलोई मैदान में हैं। शुजालपुर में विधायक जसवंत सिंह हाड़ा का टिकट काटकर कालापीपल विधायक इंदर सिंह परमार को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है इसके विरोध में राजेंद्र सिंह राजपूत ने मैदान संभाल लिया है।
धार-अपनों से घिरे
धार जिले की सात में से दो सीटों पर भाजपा अपनों से घिरती दिखाई दे रही है। सरदारपुर में टिकट काटे जाने से नाराज वेलसिंह भूरिया पार्टी के खिलाफ मैदान में है। बदनावर में राजेश अग्रवाल ने बगावत कर दी।
नीमच- ब्राह्मण आहत
नीमच जिले की तीनों सीटों पर दो वैश्य और एक राजपूत समाज का प्रत्याशी उतारा है। इससे सबसे बड़ा ब्राह्मण समाज आहत है।
एक नजर
35 किसान लड़ रहे चुनाव
आगर और शाजापुर सीट से 47 उ ाीदवार चुनाव मैदान में है लेकिन इसमें से 35 किसान है।
साध्वी-संत भी मैदान में
शुजालपुर से प्रीतम महाराज और शाजपुर से शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में भगवती साध्वी चुनाव मैदान में हैं।
निर्दलीय के पास सिर्फ 10 हजार नगद
आगर सीट से निर्दलीय राजेश गोयल के पास सिर्फ 10 हजार रुपए नगद हैं उन्होंने कुल 77 हजार की संपत्ति बताई।