प्रदेश की भाजपा सरकार में लगातार मंत्री रहने के बाद भी अपनी ही सरकार में लगातार उपेक्षा का शिकार होती रहीं यशोधरा राजे को राजस्थान में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तीन पहले प्रदेश में हुए निर्वाचन के दौरान हालांकि पार्टी ने उन्हें बतौर स्टार प्रचारक नहीं माना था। यही नहीं पार्टी ने उन्हें स्वयं की सीट तक ही सीमित रखते हुए कहीं भी प्रचार करने नहीं भेजा। हालांकि ग्वालियर चंबल
अंचल की कई सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है। दरअसल राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ ऐटीइनकमवेंसी के अलावा मतदाताओं खासतौर पर राजपूत समाज में जमकर नाराजगी है। यही वजह है कि अब पार्टी को यशोधरा राजे की याद आयी है। पार्टी ने इसके साथ ही एक और क्षत्रिय नेता नरेन्द्र सिंह तोमर को भी राजस्थान भेजने का फैसला किया है। राजस्थान में यशोधरा की बड़ी बहन वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पार्टी चुनावी मैदान में है। गौरतलब है कि बीते चुनाव के दौरान भी यशोधरा राजे राजस्थान में बहन के लिए प्रचार करने गर्इं थी। दरअसल सरकार से नाराज राजपूत समाज सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं। कांग्रेस यहां पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरी है। यही वजह है कि भाजपा द्वारा इस समाज के नेताओं को वहां बड़े पैमाने पर भेजा जा रहा है। यह वे नेता हैं जो राजस्थान की सीमा के जिलों से आते हैं। मप्र के चुनाव में राजस्थान से कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं आया था, लेकिन आईटी सेल से लेकर संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाला था। मंदसौर में हुए गोलीकांड के बाद उपजी किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए इन कार्यकर्ताओं को भेजा गया था। पार्टी सूत्रों ने बताया कि केद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को राजपूत वोट बैंक साधने के लिए राजस्थान इसलिए भेजा जा रहा है, क्योंकि पिछले साल उनके पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह का विवाह जयपुर में हुआ है। तोमर को समाज में बैठकें करने की जिम्मेदारी दी जा रही है। इसी तरह केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत की राजस्थान में रिश्तेदारी है। मप्र की सीमा से लगे बांसवाड़ा के अलावा उदयपुर में उनकी खासी पकड़ है।
ये सांसद विधायक भी जाएंगे
सांसद मनोहर ऊँटवाल शाजापुर, सुधीर गुप्ता मंदसौर, रोडमल नागर राजगढ़ व चिंतामणि मालवीय तथा विधायक चेतन कश्यप रतलाम, दिलीप सिंह परिहार नीमच, यशपाल सिसोदिया मंदसौर व ओमप्रकाश सखलेचा जावद को राजस्थान भेजा जा रहा है।