इस बार विधानसभा नहीं पहुंच पाएंगे भाजपा के यह दिग्गज नेता, कांग्रेस बनाएगी सरकार.
भोपालः मध्य प्रदेश में जहां एक सत्र में शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा चुनावों के लिए मतदान हुआ।, जिसके बाद सभी राजनीतिक दल आगामी 11 दिसबर का इंतेज़ार कर रहे हैं। खैर, पंद्रहवीं विधानसभा के लिए में इस बार कोई भी पार्टी सरकार में आए, लेकिन वर्तमान के कुछ ऐसे विधायक हैं जिनके चेहरे आगामी कार्यकाल में देखने को नहीं मिलेंगे। इनमें से कई सदस्य तो भाजपा की जड़ों से जुड़े हुए नेता माने जाते हैं। यह सदस्य पार्टी में पुराने तो हैं ही। इसके अलावा यह कई बार विधायक चुने जाकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। आइये जानते है, भाजपा के उन खास विधायकों के बारे में जो इस बार विधानसभा में नज़र नहीं आएंगे।
-बाबूलाल गौर
फेहरिस्त में पहले नंबर पर प्रदेश की सियासत का सबसे बड़ा नाम है पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का। वह लगातार 10 बार विधायक चुने गए। बाबूलाल गौर कई अहम पदों पर रह चुके हैं। प्रदेश की राजनीति में उन्हें कद्दावर नेता माना जाता है। फिर चाहे संगठन हो या संघ बाबूलाल की दोनों ही जगहों पर अच्छी पड़क है। हालांकि, कुछ दिनों से पार्टी में उनके लिए खास महत्व दिया जाता हुआ नहीं दिख रहा है। उन्हें दो साल पहले गृह मंत्री पद से हटाए जाने के बाद, इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया। उनकी जगह पर उनकी बहू कृष्णा गौर को उन्हीं की सीट (गोविंदपुरा) से चुनावी दंगल में उतारा है।
-कैलाश विजयवर्गीय
वहीं, दूसरा सबसे चर्चित नाम हैं इंदौर की महू विधानसभा से वर्तमान विधायक और पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का। उन्हें जनता लगातार 1990 से विधायक चुनकर विधानसभा भेजती आई है, लेकिन इस बार उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लेते हुए अपने बेटे को इंदौर तीन विधानसभा से मैदान में उतारा है। उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय को पार्टी ने इंदौर-तीन विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी चुना गया है। इसी कारण वह इस बार टिकट से वंचित रह गए।
-गौरीशंकर शेजवार
प्रदेश विधानसभा में अपनी व्यंग्यात्मक शैली के लिए चर्चा में रहने वाले सांची से विधायक रहे गौरीशंकर शेजवार की भी इस बार विधानसभा में मौजूदगी दर्ज नहीं होगी। शेजवार के स्थान पर भी उनके बेटे मुदित शेजवार को टिकट दिया गया है। सात बार के विधायक शेजवार को साल 2013 में वन मंत्री बनाया गया था।
-कुसुम मेहदेले
इसके अलावा अंत में अपनी बेबाकी के कारण हमेशा चर्चा में रहने वाली प्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम मेहदेले का नाम भी इस सूची में शामिल है। वे 1990, 1998, 2003 में जनप्रतिनिधि निर्वाचित होने के बाद 2013 में एक बार फिर विधायक चुनी गईं थीं। पार्टी ने इस बार उन्हें भी टिकट नहीं दिया है।
कांग्रेस कर चुकी है 150 सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा
इधर भाजपा के सूत्रों की माने तो, पार्टी सर्वे के दौरान कांग्रेस की पकड़ भी मज़बूत रही। इसलिए हालात के मद्देनज़र भाजपा ने इन नेताओं की चयनित सीटों पर युवा चेहरों को मौका देने में सत्ता की कुंजी तलाशी है। हांलांकि, मतदान के बाद से ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने जीत का दावा करना शुरु कर दिया था, इनमें अरुण यादव, अजय सिंह, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने तो यह तक कह दिया कि, मतप्रतिशत और लोगों में कांग्रेस के प्रति उत्साह देखते हुए इस बार पार्टी करीब 150 सीटों के साथ प्रदेश में सत्ता हासिल करेगी।