प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना तय होते ही अफसरों द्वारा किसान कर्ज माफी पर अफसरों द्वारा माथापच्ची शुरू कर दी गई है। अफसरों का अनुमान है कि प्रदेश में कमलनाथ के नेत्तृव में सरकार का गठन होते ही सबसे पहले सरकार का लक्ष्य किसानों की कर्ज माफी पर होगा। दरअसल कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में प्रदेश में पार्टी की सरकार बनने पर दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज
माफ करने का वादा किया हुआ है। यही वजह है कि प्रदेश में चुनाव परिणाम आते ही कृषि उत्पादन आयुक्त पीसी मीना ने संबंधित विभागों के अधिकारियों और बैंक अफसरों की बैठक बुलाई। बैठक में सहकारिता विभाग के अफसरों और बैंक अधिकारियों से किसानों के कर्ज का डाटा मांगा है। बैंकर्स और अफसरों ने मिलकर किसानों की कर्ज माफी का फार्मूला तैयार किया। एपीसी मीना ने अफसरों से कहा कि वे बताएं कि प्रदेश के किसानों पर कितना कर्ज है और उसे माफ करने की या प्रक्रिया होगी। इस पर रिपोर्ट जल्द देने को कहा गया है।
किसानों पर 60 हजार करोड़ का खर्च: नेशनल ब्यूरो ऑफ इंडिया की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में छोटे-बड़े किसानों की संख्या करीब 85 लाख है। इनमें से करीब 50 लाख किसान कर्जदार हैं। वहीं 17 लाख किसान कर्ज के चलते डिफॉल्टर हो चुके हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि इन किसानों का 2-2 लाख रुपए का कर्ज उनकी सरकार बनने पर माफ किया जाएगा। अगर कांग्रेस यह कर्ज माफ करती है, तो करीब 60 हजार करोड़ खर्च होंगे।