प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ की शपथ के चार
दिन बाद 21 दिसंबर को मंत्रिमंडल का गठन किया जाना संभावित है। जिसमें
करीब तीन दजन से अधिक मंत्री शपथ ले सकते हैं। माना जा रहा है कि कमलनाथ की कैबिनेट में आधे मंत्री सिंधिया समर्थक हो सकते हैं। खास बात यह है कि सिंधिया कोटे से इस बार प्रदेश में उपमुख्यमंत्री पद भी किसी विधायक को दिया जा सकता है। इस कैबिनेट में कमलनाथ को जातिगत, क्षेत्रिय और राजनीतिक
समीकरणों को भी साधना है, जिसकी वजह से मंत्रिमंडल के गठन में समय लिया जा रहा है। इस बार स्पष्ट बहुमत न मिलने की वजह से दो निर्दलीय विधायकों को भी मंत्री बनाया जाना संभावित है। मंत्री पद के दावेदारों की संख्या को देखते हुए पहली बार के विधायकों को कैबिनेट में स्थान मिलना मुश्किल बताया जा रहा है। सिंधंया समर्थकों के बाद शेष बचे पदों पर
कमलनाथ के सात समर्थकों व छह पदों पर दिग्विजय समर्थकों को मंत्री बनाए
जाने के आसार हैं। यही वजह है कि कमलनाथ के लिए मंत्रिमंडल का गठन
चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।
ये हैं सिंधिया समर्थक दावेदार
तुलसी सिलावट, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभुराम
चौधरी, इमरती देवी, केपी सिंह, लाखन सिंह यादव, रणवीर जाटव, महेंद्र सिंह
सिसोदिया और गोल सिंह चौहान डग्गीराजा। इनकी संख्या अधिक होने के कारण
कैबिनेट में सिंधिया का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
ये भी बन सकते हैं मंत्री
डॉ. गोविंद सिंह, बाला बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा, बृजेंन्द्र सिंह राठौर,
विजयलक्ष्मी साधौ, आरिफ अकील, पीसी शर्मा, तरुण भनोट, सुखदेव पांसे, दीपक सक्सेना, जयवर्धन सिंह या लक्ष्मण सिंह, ओमप्रकार सिंह मरकाम, कमलेश्वर पटेल, निर्दलीय प्रदीप जायसवाल और सुरेंद्र।