मंगल भारत भोपाल।
विशेष विश्लेषण सलाहकार संपादक बलराम पांडेय मंगल भारत राष्ट्र समाचार पत्रिका
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तमाम तरह की कवायदों के बाद आखिरकार कमलनाथ सिंधिया का पीछे छोड़कर सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए। जिसके तुरंत बाद ही एमपी कांग्रेस में फिर एक नया मुद्दा सामने आ गया।
दरअसल जानकारों के अनुसार कमलनाथ के सीएम बने ही अब उन्हें एमपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना होगा। ऐसे में सिंधिया समर्थक विधायक तक ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए अड़े बैठे हैं। पूर्व में यहां तक की 11 विधायकों ने सिंधिया को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग पर दिल्ली में हंगामा तक कर दिया था।
वहीं सिंधिया समर्थकों का यहां तक कहना है कि जब MP का चुनाव ही सिंधिया और शिवराज के बीच रहा (‘माफ करो महाराज हमारा नेता शिवराज’) तो ऐसे में सिंधिया को चुनाव के बाद पीछे कैसे धकेला जा सकता है।
वहीं राजनीति के जानकारों की माने तो सिंधिया के लिए ये राह भी इतनी आसान नहीं दिख रही है। क्योंकि सिंधिया विरोधी गुट इस गद्दी पर अजय सिंह या वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह को बैठाना चाहते हैं।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार दरअसल वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह को शुरू से ही सिंधिया विरोधी माना जाता है।
सिंधिया विरोधियों द्वारा अजय सिंह या गोविंद सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने की मुहिम को तेज करने से सिंधिया समर्थकों को सिंधिया की मजबूती कांग्रेस में कमजोर होती हुई दिख रही है। ऐसे में वे किसी भी कीमत पर सिंधिया या उनके किसी समर्थक को ही प्रदेशाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं।
शर्मा के अनुसार सीएम की कुर्सी के बाद अब कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के लिए खीचतान शुरू हो गई है। अभी रेस में मुख्य रूप से केवल 2 नाम सामने आ रहे हैं, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के हैं। ऐसे में यह कहने की जरूरत नहीं कि अजय सिंह को दिग्विजय सिंह का आशीर्वाद प्राप्त है।
वहीं जानकारों का यह भी मानना है कि सीएम पद मामले में सिंधिया का पार्टी आदेश को आसानी से मान लिया जाना, उनके कद तो बढाएगा ही साथ ही अब इसके चलते राहुल गांधी उन्हें या उनके द्वारा बताए किसी व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बना सकते हैं।
वहीं यह भी चर्चा है कि तमाम तरह की उलझने सामने आने के बाद अब सिंधिया सीधे तौर पर खुद नहीं बल्कि अपने समर्थक को भी अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे पहले तब सामने आया था। जब सिंधिया समर्थक विधायकों ने भी उनके आवास पर प्रदर्शन करके हाईकामन तक यह संदेश भेज दिया था कि यदि मध्यप्रदेश में सिंधिया को शक्तिशाली नहीं बनाया, तो वो कमलनाथ को कमजोर कर देंगे।
इसके बाद माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर या तो सिंधिया खुद बैठेंगे या फिर उनके नजदीकी पूर्व विधायक एवं कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत।
वहीं दूसरी ओर कमलनाथ ग्रुप से जीतू पटवारी एक दमदार दावेदार थे परंतु माना जा रहा है कि कमलनाथ को कैबिनेट में पटवारी की जरूरत ज्यादा होगी। वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह चुरहट से चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में अब वह प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बैठना चाहते हैं। जबकि चर्चा है कि कांग्रेस के चाणक्य दिग्विजय सिंह भी सिंधिया विरोध के चलते उन्हें प्रमोट कर रहे हैं।
इधर, इन दिग्गजों का बढ़ सकता है कद… राजनीति के जानकारो की माने तो आमतौर पर चुनाव हारने के बाद नेताओं का कद घट जाता है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन दिनों कांग्रेस में चुनाव हारने वाले नेता का कद बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं।
ऐसे में यदि मौजूदा हालात रहे तो फिर हाल ही में विधानसभा चुनाव हारने वाले कांग्रेस के 5 दिग्गज नेताओं को सत्ता और संगठन में बड़ा औहदा मिल सकता है। जिसमें अजय सिंह, रामनिवास रावत, राजेन्द्र सिंह, अरुण यादव एवं मुकेश नायक शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव हारे अजय सिंह को सत्ता एवं संगठन में शामिल करने पर हाल ही में मंथन हुआ है। ऐसे में नेताओं के समर्थक मांग उठा रहे हैं कि यदि एक नेता को मंत्री बनाया जाता है तो अन्य को भी बनाया जाए।
वहीं ये भी चर्चा है कि शपथ लेने के बाद कमलनाथ पर हारे हुए दिग्गज कांग्रेस नेताओं से सरकार में एडजस्ट करने का दबाव है। इनमें रामनिवास रावत, राजेन्द्र सिंह, मुकेश नायक और अरुण यादव के नाम शामिल हैं।
विधानसभा चुनाव में अजय सिंह चुरहट से चुनाव हारे। जबकि रामनिवास रावत विजयपुर, राजेन्द्र सिंह अमरपाटन, मुकेश नायक पवई और अरुण यादव बुदनी से चुनाव हारे हैं।
इन्हें मिल सकती है प्रदेशाध्यक्ष की कमान… अजय सिंह और रामनिवास रावत में से किसी एक नेता को भी प्रदेशाध्यक्ष की कमान मिल सकती हैं। रामनिवास रावत का नाम सिंधिया खेमे की तरफ से आगे हैं और प्रदेशाध्यक्ष के लिए रावत का नाम दौड़ में आगे भी है। यदि अजय सिंह और रामनिवास रावत को एडजस्ट किया जाता है तो फिर अरुण यादव और राजेन्द्र सिंह को भी सरकार में एडजस्ट करना पड़ेगा। जबकि अन्य नेताओं को निगम-मंडल में मलाईदार विभाग मिल सकता है।हालांकि अभी तक प्रदेशाध्यक्ष के लिए किसी भी नेता के नाम पर हाईकमान ने मुहर नहीं लगाई है।