प्रदेश में नवगठित कांग्रेस की नई सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां दिख रही हैं। इसकी वजह है राज्य का खाली खजाना। जिसकी वजह से शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई आधी अधूरी योजनाओं को पूरा करने के लिए नई सरकार के लिए राशि जुटाना बड़ी चुनौती के रू प में देखा जा रहा है। दरअसल सरकार के सामने दोहरी चुनौती बन गई है। सरकार इन योजनाओं को अधूरा छोड़ती है तो उस पर विकास कार्यों को रोकने का आरोप लगना तय है और पूरा करती है तो उसके लिए राशि जुटाना मुश्किल होगा। शिवराज सरकार ने 31 अक्टूबर तक अनेक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन
राशि के अभाव मे यह काम बीच मे ही अटक गए। अब सरकारी खजाना खाली होने से नई सरकार के सामने इनको पूरा करना बड़ी चुनौती होगी।
प्रमुख योजनाओं का लेखा-जोखा
पीएम आवास : पीएम आवास योजना के तहत 350 लाख मकानों को 31 अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। पिछली सरकार इसके मंजूरी प्रमाण-पत्र तक बांट चुकी है, इसलिए नई सरकार इसे रद्द भी नहीं कर सकती। वहीं अब तक 40 प्रतिशत मकान भी नहीं बन पाए हैं।
गरीबी मुक्त पंचायत : गरीबी मुक्त पंचायत की सूचियां तैयार की गई थी। केंद्रीय प्रोजेक्ट के तहत बजट भी मंजूद है। प्रदेश में यह काम भी 31 अक्टूबर तक होना था पर ऐसा नहीं हुआ।
बिजली कनेक्शन : 43 लाख बिजली कनेक्शन 31 मार्च तक देने का लक्ष्य था। 80 प्रतिशत लक्ष्य 31 अक्टूबर तक पूरा होना था, लेकिन अब तक 40 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हुआ है।
बदलेंगे योजनाओं के नाम : माना जा रहा है कि नई सरकार इन प्रोजेक्ट में योजनाओं के नाम में फेरबदल करेगी। मौजूदा प्रोजेक्ट को नए वित्तीय सत्र में मोडीफाई किया जाएगा, फिलहाल इस सत्र में यही स्वरूप चलेगा, लेकिन मार्च 2019 तक लक्ष्य पूरा होना मुुश्किल है।
ये हैं प्रोजेक्ट की प्रमुख अड़चनें
– पैसे की कमी और कर्ज का भी इंतजाम नहीं
– ठेकेदारों का भागना, पुराना बकाया भुगतान
– कई जगह गड़बड़ी, वहां जांच बैठने के आसार
– अनेक जगह ठेका निरस्त करने की स्थिति
– लोकसभा चुनाव नजदीक होने का भी असर