टीम कमलनाथ: इन नामों पर लगने जा रही है मुहर! जानिये कौन-कौन होगा कमलनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल.
मंगल भारत भोपाल:-कैबिनेट गठन को लेकर सदगर्मी अब शांति प्रतीत हो रही है. संभावित सूची देखिए नाथ के कैबिनेट गठन की मनीष द्विवेदी प्रबंध संपादक मंगल भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के साथ.
भोपाल। वरिष्ठ नेताओं और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांघी से दो दिनों की चर्चा के बावजूद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल में किसको जगह मिलेगी यह अभी तक तय नहीं हो पाया है।
वहीं नामों को तय करने के लिए शनिवार को एक बार फिर सीएम कमलनाथ फिर राहुल और ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करेंगे। यानि मंत्रिमंडल को लेकर एक राय नहीं बनने के चलते एक बार फिर बैठक होंगी, जिसके बाद नाम तय होने के बाद कमलनाथ भोपाल लौटेंगे।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष के साथ मुलाकात के बाद बैठक कक्ष से बाहर निकले कमलनाथ ने मीडिया को बताया कि मंत्रिमंडल के बारे में अभी चर्चा पूरी नहीं हो पाई है। शनिवार को गांधी और सिंधिया के साथ पुन: विचार विमर्श होगा।
वहीं उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि पहली बार के विधायकों को मंत्री बनाने की संभावना कम ही है।
यहां अटक रहा है मामला…
वहीं पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा हो सकती हैं। इसको लेकर सिंधिया ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा भी की है। हालांकि अभी तक मंत्रिमंडल को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
क्षेत्र में जारी चर्चाओं की बीच जरूर कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि नामों पर सहमति अब तक बनती नहीं दिख रही है। इसके पीछे का कारण अपने गुट के विधायकों को ज्यादा त्वज्जों दिया जाना बताया जाता है।
दरअसल कमलनाथ ने शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बैठक की। देर रात तक चली इस बैठक में तीनों नेताओं के बीच मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों पर चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ विचार मंथन किया लेकिन मंत्रियों के लिए मापदंड तय नहीं हो पाए। कमलनाथ गुरुवार की रात दिल्ली पहुंचे थे| जहां उन्होंने केंद्रीय पर्यवेक्षक एके एंटोनी, भंवर जितेंद्र सिंह और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के साथ अलग से भी चर्चा की।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ चर्चा…
कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी लंबी चर्चा की, दिग्विजय सिंह भी दिल्ली में ही हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल गठन को लेकर कांग्रेस में जबर्दस्त खींचतान चल रही है। यही वजह है कि मंत्रियों के नामों का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दखल से होगा।
वहीं मंत्री पद के दावेदार विधायक अपने-अपने नेताओं के यहां डेरा डाले हुए हैं। इनमें से ज्यादातर विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं । क्योंकि दिल्ली में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अरुण यादव समेत अन्य नेता भी मौजूद हैं। ऐसे में केवल कमलनाथ समर्थक विधायक ही भोपाल में डटे हुए हैं।
इनका रखा जाएगा ध्यान
बताया जाता है कि सिंधिया द्वारा उपमुख्यमंत्री पद भी स्वीकार नहीं किए जाने के बाद अब सिंधिया खेमे के ज्यादा से ज्यादा लोगों को मंत्री बनाने के फार्मूले पर सहमति बनाई जा रही है।
माना जा रहा है कि शनिवार की बैठक में संभवत: यह तय हो जाएगा कि कितने और किन विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। इसमें गुटीय व क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सदस्यों को शामिल किया जाएगा। इसके अतिरिक्त चार निर्दलियों में से दो को मंत्रिमंडल में स्थान दिए जाने पर भी चर्चा हुई।
23, 24 या 25 दिसम्बर शपथ लेने की संभावना…
जहां एक ओर मुख्यमंत्री नाथ ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अभी मंत्रिमंडल के गठन की कोई जल्दी नहीं, अभी एक दो दिन का समय हमारे पास है। वहीं राज्यपाल आनंदी बेन के दो तीन दिन बाद से अवकाश पर जाने के चलते अब चर्चा है कि मंत्रियों का शपथग्रहण समारोह 23 या 24 या 25 दिसम्बर को हो सकता है।
सिंधिया खेमे से ज्यादा विधायक बनेंगे मंत्री…
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लगातार वरिष्ठ नेताओं से मंत्रिमंडल के प्रारूप पर चर्चा की है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में भी कोई रास्ता नहीं निकला।
सूत्र बताते हैं कि सबसे ज़्यादा अड़चन पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से आ रही है। अभी तक उन्हें कोई पद नहीं दिया गया है, जिसके चलते भविष्य की रणनीतियों के तहत मंत्रिमंडल में भी सिंधिया खेमे से ज्यादा विधायकों को मंत्री बनाकर सिंधिया को साधा जा सकता है। ग्वालियर-चंबल अंचल की 34 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटें जाती है, इसलिए इस क्षेत्र का खासा प्रतिनिधित्व तय माना जा रहा है।
इन्होंने भी मांगी मंत्रिमंडल में जगह!…
वहीं बताया जाता है कि जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) के अध्यक्ष और कांग्रेस से विधायक डॉ. हीरा अलावा ने गुरुवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलकर मंत्रिमंडल में जगह देने की मांग की है।
पेशे से डॉक्टर अलावा ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनाए जाने की मांग की है। अलावा ने मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठन की उम्मीद है कि जयस को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। डॉ. हीरा अलावा ने बताया कि जब जयस की राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी, तब उन्होंने सरकार में भागीदारी दिलाने की बात कही थी।
यदि मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलती है तो फिर राहुल गांधी से बात करेंगे। फिलहाल मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. अलावा को मनावर से टिकट दी थी। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता रंजना बघेल को बड़े बहुमत से हराया है।
ये विधायक बन सकते हैं मंत्री- समझें जातीय समीकरण…
चर्चा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ पर पहली बार जीतकर आए दो विधायकों को मंत्री बनाने का दबाव है। खास बात यह है कि ये दोनों विधायक वैश्य वर्ग से आते हैं।
पिछली सरकार में वैश्य वर्ग से 5 मंत्री थे, इनमें से 4 मंत्री जैन थे। कांग्रेस सरकार में जैन समाज के इकलौते विधायक निलय डागा हैं, जो वरिष्ठ कांग्रेस नेता विनोद डागा के बेटे हैं। विनोद डागा लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर पार्टी की लंबे समय तक आर्थिक मदद भी की है।
वहीं ग्वालियर से पहली बार चुने गए मुन्नालाल गोयल को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। गोयल को मंत्री बनाने के लिए सिंधिया पैरवी कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक मंत्रिपरिषद् में गुटों को साधने के अलावा क्षेत्र को साधने की भी कोशिश होगी।
सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ मंत्रिमंडल में लाखन यादव,डॉ. गोविंद सिंह, केपी सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ, आरिफ अकील, एंदल सिंह कंसाना, बाला बच्चन, बिसाहूलाल सिंह, इमरती देवी, तुलसीराम सिलावट,लक्ष्मण सिंह, पीसी शर्मा, गोविंद सिंह राजपूत, हुकुमसिंह कराड़ा, नर्मदाप्रसाद प्रजापति जैसे अनुभवी तो जीतू पटवारी, हिना कांवरे, प्रियव्रत सिंह, उमंग सिंघार, तरुण भनोत, संजय शर्मा, सुखदेव पांसे, कमलेश्वर पटेल, सचिन यादव जैसे युवा विधायकों को मौका मिल सकता है। वहीं, निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल गुड्डा व सुरेंद्र सिंह शेरा भैया भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं।
कांग्रेस में जबर्दस्त खींचतान!…
मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल का आकार कैसा होगा, यह अभी तक तय नहीं है। न ही मंत्रिमंडल को शपथ कब दिलाई जाएगी यह तय हो पाया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि मंत्रिमंडल गठन को लेकर कांग्रेस में जबर्दस्त खींचतान चल रही है।
यही वजह है कि मंत्रियों के नामों का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दखल से होगा। कमलनाथ दिल्ली में हैं और महत्वूपूर्ण बैठकों के बाद नाम तय होंगे। मंत्री पद के दावेदार विधायक अपने-अपने नेताओं के यहां डेरा डाले हुए हैं। मंत्रिमंडल को लेकर हाईकमान से चर्चा के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली के लिए गुरूवार देर शाम रवाना हुए।
नाम लेकर ही लौटेंगे कमलनाथ…
चर्चा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ संभवत: आज या कल में भोपाल लौट आएंगे। वे दिल्ली से अपने मंत्रिमंडल के संभावित चेहरों के नाम लेकर आएंगे।
मंत्रिमंडल में कितने सदस्य होंगे, यह भी दिल्ली से तय होगा। हालांकि कमलनाथ अभी मंत्रिमंडल को सीमित रखना चाहते हैं। इसके बाद में विस्तार भी किया जा सकता है|
सिंधिया-दिग्विजय के बीच मंत्रणा!…
चर्चा है कि मंत्रिमंडल के गठन से पहले दिल्ली में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच बंद कमरे में चर्चा भी हो चुकी है। दिग्विजय सिंह अपने विधायक बेटे जयवर्धन सिंह से सिंधिया के निवास पर मिलने पहुंचे थे।
विजयलक्ष्मी साधौ स्पीकर और भार्गव हो सकते हैं प्रोटेम स्पीकर
चर्चा है कि मंत्री रहे गोपाल भार्गव सबसे वरिष्ठ विधायकों में शामिल हैं। ये 8वीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। परम्परा के अनुसार सदन के वरिष्ठ विधायकों को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। इसलिए भार्गव के प्रोटेम स्पीकर बनने की संभावना ज्यादा है। वहीं विजयलक्ष्मी साधौ को स्पीकर बनाया जा सकता है।
मंत्रिमंडल के गठन को लेकर दिल्ली में सीएम कमलनाथ ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। सुरेश पचौरी और अरुण यादव भी वहीं हैं। इन नेताओं के साथ कमलनाथ ने नए मंत्रियों के नामों पर विचार किया। इस संबंध में सीएम ने प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और केंद्रीय पर्यवेक्षक एके एंटोनी से भी फोन पर चर्चा की.