मध्य प्रदेश की इस स्कूल में तीन बच्चे पांच शिक्षक.
रीवा. सरकार द्वारा बच्चों को शासकीय स्कूल तक लाने के लिए भले ही लाख जतन किए जा रहे हैं, लेकिन विद्यालयों में व्याप्त अव्यवस्था और स्टाफ की लापरवाही के चलते हर कोशिश नाकाम हो रही है। अभिभावक सरकारी स्कूलों की ओर रुख नहीं कर रहे। यही वजह है कि प्रवेश उत्सव जैसे तमाम प्रयास एवं पर्याप्त स्टाफ के बाद भी बच्चों का प्रवेश नहीं कराया जा सका। हालत यह है कि जिस स्कूल में पांच शिक्षक पदस्थ हैं वहां महज तीन बच्चों का ही प्रवेश कराया जा सका।
शा.प्रा.बालक अमहिया
कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम की चकाचौंध के सामने बच्चों की शिक्षा का यह मंदिर अपनी चमक खोता जा रहा है। इस स्कूल की खस्ता हालत का अंदाजा बस इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष पहली कक्षा में यहा महज तीन बच्चों ने प्रवेश लिया है। कुल 31 बच्चों पर 5 शिक्षक पदस्थ हैं। इस प्रकार करीब छह बच्चों पर एक शिक्षक।
पहली कक्षा में महज तीन छात्रों ने प्रवेश लिया है।
कुल छात्र – 31
पदस्थ शिक्षक – 5
कक्षा दर्ज बच्चे
एक 3
दो 10
तीन 10
चार 3
पांच 5
शा.प्रा.बालक सिकरमखाना
शहर में बड़ी पुल से 100मी. आगे जाने पर ठीक सडक़ के किनारे स्थित यह विद्यालय अपनी दुर्दशा के लिए आंसू बहा रहा है। हालत यह है कि विद्यालय बंद होने की कगार पर है। इस प्राथमिक विद्यालय में महज 20 बच्चे पंजीकृत हैं। तीन शिक्षकों की पदस्थापना है। सात छात्र – छात्राओं के बीच एक शिक्षक। कक्षा में बच्चों की संख्या जानेंगे तो सिर पर हाथ रख लेंगे। किसी भी कक्षा में छात्रों की संख्या दहाई अंक तक नहीं पहुंची है।
पहली कक्षा में तो महज तीन छात्रों ने प्रवेश लिया है।
कुल छात्र – 20
पदस्थ शिक्षक – 3
कक्षा दर्ज बच्चे
एक 3
दो 4
तीन 5
चार 4
पांच 4