मंगल भारत मुंबई। भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल ने पदमावत के विरोध को राजनीतिक साजिश का हिस्सा करार दिया है और कहा कि विरोध और प्रदर्शन के पीछे राजपूत वोट बैंक के तुष्टीकरण की कोशिश की जा रही है।
फिल्म के विरोध के नाम पर आम आदमी को निशाना बनाया जा रहा है और स्कूली बच्चों की बसों पर भी पथराव और आगजनी की जा रही है।
पदमावत के विरोध के पीछे राजनीति-
बेनेगल ने शुक्रवार को कहा, कि संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को लेकर हो रहा विरोध सहिष्णुता और असहिष्णुता का मामला नहीं है। यह पूरी तरह से राजनीतिक साजिश का मामला है।
उन्होंने कहा, मैंने,1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘भारत एक खोज’ के लिए विभिन्न कथाओं पर एपीसोड बनाए थे। इसी क्रम में मलिक मोहम्मद जायसी की काव्य रचना पद्मावत को छोटे पर्दे पर पेश किया था।
जायसी की कविता के मुताबिक ही कहानी का तानाबाना बुना और उसे बिना कांट-छांट के फिल्माया था। दिवंगत अभिनेता ओम पुरी ने उसमें अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका निभाई थी। उस समय तो इसका कोई विरोध नहीं हुआ था।
बेनेगल ने ‘भारत एक खोज’ का दिया हवाला-
हालांकि मैंने भंसाली की फिल्म को अभी तक नहीं देखा है, लेकिन मेरा मानना है कि उन्होंने अपनी फिल्म में ‘भारत एक खोज’ के पद्मावत वाले एपिसोड को ही रखा होगा। बेनेगल ने कहा, संजय लीला भंसाली उस धारावाहिक के निर्माण के समय सहायक निर्देशक थे। उनकी बहन बेला और बहनोई दीपल सहगल ने संपादन की जिम्मेदारी निभाई थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या आज के दौर में वह इस विषय पर फिल्म बनाने में हिचकेंगे, बेनेगल ने कहा, कतई नहीं। मैं जब किसी विषय को फिल्म बनाना शुरू करता हूं तो इन सब बातों को तवज्जो नहीं देता।
उल्लेखनीय है कि संजय लीला भंसाली की इस फिल्म के विरोध को लेकर राजपूत संगठनों ने पहले फिल्म जगत खासकर भंसाली और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को धमकी दी है।
धमकी के आगे झुकी राज्य सरकारें-
हिंसक प्रदर्शनों के जरिये कुछ संगठनों ने राज्य सरकारों और सिनेमा घर के मालिकों को दबाव में ले लिया। राज्य सरकारों ने कानून व्यवस्था के नाम पर फिल्म दिखाने पर पाबंदी लगाई तो निर्माता संजय लीला भंसाली सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
अदालत ने राज्यों के फैसले को गलत ठहराने के साथ ही नसीहत भी दे डाली कि कानून व्यवस्था बरकरार रखना उनकी जिम्मेदारी है। इस पर मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार फिर अदालत में पहुंची लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
इसके बाद करणी सेना ने भी फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाए जाने की मांग की, लेकिन कोई बात नहीं बन
15वी सदी का कथानक है पदमावत-
भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के पूर्व अध्यक्ष श्याम बेनेगल ने कहा, मलिक मोहम्मद जायसी ने 15वीं सदी में काव्य रचना पद्मावत लिखी। इसमें कवि ने खिलजी के चित्तौड़ की रानी के प्रति पागलपन भरे लगाव को सामने रखा है।
उन्होंने कहा, जायसी की रचना दुर्लभ प्रेम पर आधारित है। वह कहते हैं कि प्रेम कुछ ऐसा है जिसकी अभिलाषा तो की जा सकती है लेकिन कभी पूरी नहीं हो पाती।