मंगल भारत ,चुनाव के पहले एकजुटता को अपनी ताकत बताने वाली कांग्रेस अब गुटों और खेमें की लड़ाई में उलझ गई है. कमलनाथ और दिग्विजयसिंह एक तरफ तो सिंधिया दूसरे मोर्चे पर डटे हुए दिखाई दे रहे हैं
मध्य प्रदेश सरकार बनने से पहले कांग्रेस में जिस एकजुटता का ताना-बाना बुना गया था वह अब पूरी तरह से छिन्न-भिन्न होता दिखाई दे रहा है. मध्यप्रदेश में सरकार बना चुकी कांग्रेस को 2019 की बड़ी लड़ाई लड़ना है लेकिन उसके पहले ही एक-दूसरे को निपटाने के अपने पुराने दौर में पहुंच गई है.
सिंधिया दूसरे मोर्चे पर
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर कमलनाथ की घोषणा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के साथ एक यादगार तस्वीर साझा करते हुए लियो टॉल्सटॉय के विख्यात कोट को लिखा था-दो सबसे शक्तिशाली योध्दा समय और धैर्य. लेकिन एक पखवाड़ा भी नहीं हुआ है जब मध्यप्रदेश कांग्रेस में यह मंत्र भुला दिया गया है. चुनाव के पहले एकजुटता को अपनी ताकत बताने वाली कांग्रेस अब गुटों और खेमें की लड़ाई में उलझ गई है. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक तरफ दिखाई दे रहे हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया दूसरे मोर्चे पर डटे हुए दिखाई दे रहे हैं.
कमलनाथ फ्री हैंड नहीं
कैबिनेट में विभागों के बंटवारे को लेकर हुई प्रेशर पॉलिटिक्स ने कांग्रेस के अंदरूनी हालातों की पोल खोल कर रख दी है. और उसने एक मैसेज दिया है कि कमलनाथ भले ही मुख्यमंत्री बनाए गए हैं लेकिन वे फ्री हैंड नहीं है. सिंधिया गुट के दबाव में वे अपने स्वयं के फैसले नहीं ले सकते.