कांग्रेस सरकार में नहीं थम रही रार

प्रदेश में सरकार कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही उसमें रार थमने का नाम नहीं ले रही है। हालात यह है कि पहले मंत्री फिर विभाग और अब प्रभार के जिलों को लेकर खींचतान मची हुई है। हालात यह है कि मंत्री बंगलों की पसंद व नापंसद उलझे रहे। यह विवाद पूरी तरह से सुलझ भी नहीं पाया था कि अब प्रभार वाले जिलों को लेकर रार शुरु हो गई है। दरअसल अधिकतर मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र वाले जिले का प्रभार चाहते हैं। इसमें गुटों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री अब तक प्रभार के जिलों की घोषणा नहीं कर पर रहे हैं। प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां से दो-दो मंत्री हैं। ऐसे में एक मंत्री दूसरे मंत्री को गृह जिला देने का

विरोध कर रहे हैं। माना जा रहा है कि विस सत्र शुरु होने के पहले लिों के प्रभार की घोषणा कर सकते हैं। गौरतलब है कि पिछली भाजपा सरकार मंत्रियों को उनके विधानसभा क्षेत्र वाले जिले नहीं देती थी, लेकिन इस बार कांग्रेस सरकार में मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले ही मांगे हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अभी क्षेत्रीय नेता को जिले का प्रभार देना तय नहीं किया है, लेकिन इस फॉर्मूले के लिए कई नेताओं ने सुझाव दिए हैं। इस बीच मंत्रियों द्वारा अपने जिले का प्रभार मांगने से रस्साकसी के हालात बन गए हैं।
इसलिए चाहते हैं जिले का प्रभार
दरअसल, प्रभारी मंत्री जिले की योजना समिति से लेकर विभिन्न विकास योजनाओं के फैसले में शामिल होता है। इस कारण नए मंत्री अपने जिले में राजनीतिक वजूद बढ़ाने के लिए इस रस्साकसी में जोर लगा रहे हैं। प्रत्येक जिला योजना समिति की बैठक में प्रभारी मंत्री के हस्ताक्षर से ही जिले का रोडमैप मंजूर होता है, इसलिए अपने जिले में मंत्री महत्वपूर्ण भूमिका रखना चाहता है।
– इन जिलों में ज्यादा मंत्री, इसलिए खींचतान ज्यादा
ग्वालियर जिले से तीन मंत्री बने हैं। इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी और लाखन सिंह यादव हैं। तीनों ही सिंधिया गुट के हैं। इनमें तोमर अपने जिले का प्रभार चाहते हैं। गुना जिले से दो मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया व जयवद्र्धन सिंह हैं। इनमें सिसौदिया सिंधिया गुट से हैं, जबकि जयवद्र्धन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे हैं। यहां दोनों ओर से एक-दूसरे पर रजामंदी नहीं होना है। सागर में दो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और हर्ष यादव हैं। इनमें गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले का प्रभार चाहते हैं। वे सिंधिया गुट से हैं, जबकि हर्ष यादव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय खेमे से हैं, इसलिए दोनों में तकरार होना है।
जबलपुर जिले से दो मंत्री तरुण भनोत और लखन घनघोरिया हैं। दोनों ही कमलनाथ खेमे से हैं, इसलिए यहां संतुलन बन सकता है। यदि क्षेत्रीय नेता को प्रभार दिया जाता है, तो तरुण की प्राथमिकता रहेगी। भोपाल जिले से आरिफ अकील और पीसी शर्मा मंत्री बने हैं। इन दोनों ही दिग्विजय व कमलनाथ गुट के हैं। दोनों में से अभी किसी ने प्रभारी जिला नहीं मांगा है। खरगौन जिले से विजय लक्ष्मी साधौ और सचिन यादव मंत्री बने हैं। साधौ अपने जिले का प्रभार चाहती हैं। यदि क्षेत्रीय नेता को प्रभार देने का फॉर्मूला आता है, तो उनकी ही प्राथमिकता रहेगी।
इंदौर जिले से जीतू पटवारी और तुलसी सिलावट मंत्री बने हैं। दोनों अलग-अलग गुटों से हैं। जीतू दिग्विजय खेमे के माने जाते हैं, जबकि तुलसी सिंधिया खेमे से हैं। दोनों ही एक-दूसरे पर राजी नहीं होते हैं।