मप्र की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक ही नाम चर्चा में है। वह है प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ का। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के कुछ घंटे बाद से ही मुख्यमंत्री ने जिस तरह ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू किए हैं, उससे उनकी छवि एक नायक के तौर पर उभरी है। कमलनाथ के पास बड़ा कारोबारी साम्राज्य है लेकिन उनके खिलाफ घोटाले या जांच का कोई मामला सामने नहीं आया है। वह ऐसे केंद्रीय मंत्री रहे हैं जिनकी तारीफ उनके राज्यमंत्रियों ने भी खुलकर की थी। इसकी वजह यह है कि कमलनाथ अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को काम सौंपते भी रहे हैं। उनका नेटवर्क काफी दूर तक फैला हुआ है। कमलनाथ कांग्रेस संगठन में भी अनेक दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। कमलनाथ ने दिवंगत नेता संजय गांधी के साथ भी काफी काम किया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और
राजीव गांधी के अलावा सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी के साथ भी अनेक दायित्व निभाए हैं। देश के विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के प्रतिनिधि के रूप में भी वे दर्जनों बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। उनके पास सुदीर्घ संसदीय अनुभव है और वे सोलहवीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर का दायित्व भी निभा चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए इसी वर्ष 27 अप्रैल को कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व सौंपा और कांग्रेस ने पंद्रह वर्षों बाद मध्यप्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने में सफलता हासिल कर ली है। अब राज्य के अठारहवें मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश के लोगों को उनसे काफी उम्मीदें हैं।
लेखक मनीष द्विवेदी मंगल भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका प्रबंध संपादक हैं.
भोपाल (मंगल भारत)। किसानों की कर्ज माफी, चार संभागों में टेक्सटाइल/गारमेंट पार्क की स्थापना करने के आदेश, औद्योगिक इकाइयों को सत्तर फीसदी रोजगार मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासियों को देना अनिवार्य करना, कन्या विवाह-निकाह योजना की राशि 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार का फैसला, पुलिसकर्मियों को नए साल से वीकली ऑफ और बड़ी प्रशासनिक सर्जरी से कमलनाथ ने यह संकेत दे दिया है कि सरकार जनहितैषी फैसले लेने में कोई कोताही नहीं करेगी। मुख्यमंत्री की अब तक की कार्यप्रणाली और उनके फैसले कैसे रहे हैं इसको जानने के लिए बिच्छू डॉट कॉम ने राजनेताओं, डॉक्टरों, वकीलों, आर्किटेक्ट, ज्योतिषियों और आम जनता से चर्चा की। इनमें किसी को प्रदेश के नए मुख्यमंत्री नायक दिखे तो किसी को अधिनायक। प्रस्तुत है कुछ चुनिंदा लोगों से की गई चर्चा के मुख्य अंश…
मध्य प्रदेश के विकास के लिए मुफीद हैं कमलनाथ: नरेंद्र सलूजा
मध्यप्रदेश के सियासी परिदृश्य पर एक नए नायक का उदय हुआ है। वो नायक कोई और नहीं प्रदेश में 15 साल पुराने कांग्रेस के वनवास को खत्म कर नई सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ जी हैं। कमलनाथ जी ने प्रदेश की कमान अपने हाथों में लेते ही जिस तरह तबाड़तोड़ फैसले लिए हैं, उससे प्रदेश की जनता में खुशी की लहर है। यह कहना है प्रदेश कांग्रेस मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का। सलूजा का कहना है कि प्रदेश में 15 साल से भाजपा सरकार ने जनता से विकास के नाम पर छलावा किया है। अब मप्र के विकास के लिए कमलनाथ जी मुफीद हैं। जंबूरी मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दो घंटे के अंदर मुख्यमंत्री ने ताबड़तोड़ चार बड़े फैसले लेकर प्रदेश की जनता को दिए अपने वचन को पूरा कर दिया है। शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे वल्लभ भवन पहुंचे। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पहले आदेश में सूबे के किसानों को बड़ी सौगात देते हुए दो लाख तक के कर्ज माफी के आदेश की फाइल पर दस्तखत किए। सरकार के इस फैसले का मध्यप्रदेश के 34 लाख किसानों को फायदा होगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने टैक्सटाइल्स इंडस्ट्री में रोजगार सृजन की अधिक संभावनाओं को देखते हुए राज्य के चार संभागों में टैक्सटाइल/ गारमेंट पार्क की स्थापना करने के आदेश जारी किए। इसके साथ ही सूबे के युवाओं को अधिक रोजगार मिले, इसके लिए बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निर्णय लिया है कि अब सरकार से वित्तीय और अन्य सुविधाएं लेने वाली औद्योगिक इकाइयों को सत्तर फीसदी रोजगार मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासियों को देना अनिवार्य होगा। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बेटियों को बड़ी सौगात देते हुए कन्या विवाह-निकाह योजना की राशि 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार का फैसला किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सौगात देते हुए उनके वेतन में दो हजार रुपए का इजाफा कर दिया। इसके बाद पुलिस मुख्यालय में बैठक के दौरान डीजीपी को निर्देश दिए कि सूबे के पुलिसकर्मियों को नए साल से वीकली ऑफ दिए जाएं। मुख्यमंत्री के इस निर्देश से सूबे के करीब एक लाख पुलिसकर्मियों में खुशी का माहौल है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ताबड़तोड़ फैसले लेकर ये संदेश दे दिया है कि उनके काम करने का स्टाइल अलग है। सलूजा कहते हैं कि मध्यप्रदेश संभावनाशील प्रदेश है। मध्यप्रदेश को कमलनाथ जी के रूप में एक ऐसा अनुभवी नेता मिला जिनके पास लम्बा अनुभव है। वे उस मिथक को तोडऩे में भी कामयाब रहेंगे जो अब तक बना हुआ है कि सरकार को नौकरशाही चलाती है। वे केन्द्र में मंत्री रहे हैं और कांग्रेस संगठन में उनकी जवाबदारी हमेशा बड़ी रही है। नौ बार के सांसद रहे कमलनाथ जी की ताजपोशी प्रदेश में बदलाव का संकेत है। पंद्रह साल से जो अपेक्षा आम आदमी ने पाल रखी है, उसे पूरा करने की शुरूआत उन्होंने पहले ही दिन से कर दी है। हम जानते हैं प्रदेश की जनता को उनसे काफी उम्मीद है। कमलनाथ जी अपेक्षा और चुनौती के बीच रास्ता निकाल लेंगे और मध्यप्रदेश के विकास के लिए जो रोडमेप कांग्रेस ने तैयार किया है, उसे हर हाल में पूरा करेंगे। कमलनाथ जी समन्वयवादी नेता हैं। वे सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं। अपने ही दल के लोग नहीं बल्कि विपक्षी दलों का साथ भी। उन्होंने इस बात का संकेत दे दिया है कि वे शिवराज सिंह सरकार के कार्यकाल में जो विकास कार्य आरंभ किया गया है, उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे। नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ का यह बयान इस बात का संदेश है कि ना काहू से बैर, ना काहू से दोस्ती को अंजाम देंगे। कमलनाथ जी के पास लगभग साठ वर्षों का लम्बा सार्वजनिक जीवन का अनुभव है। 20 वर्ष की उम्र में राजनीति में आ गए थे। ऊर्जावान नेता के रूप में उन्होंने जो काम शुरू किया, वह नेतृत्व आज एक अनुभवी राजनेता के रूप में मध्यप्रदेश को मिला है। उनका मिजाज सख्त नहीं है तो वे नरम भी नहीं हैं। वे जो ठान लेते हैं, उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही आराम करते हैं।
कमलनाथ वचन के पक्के हैं हर वादा पूरा करेंगे: दुर्गेश शर्मा
कांग्रेस ने चुनाव के दौरान वचन पत्र में किए गए कर्ज माफी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि, कन्या विवाह में 51 हजार रुपए देने जैसे वादे पूरे कर यह साबित कर दिया प्रदेश के मुखिया कमलनाथ जी वचन के पक्के है, शिवराज सिंह चौहान की तरह घोषणा वीर नहीं। यह कहना है प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का। शर्मा कहते हैं कि मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री कमलनाथ जी परिपक्व, ठोस प्रशासनिक क्षमता, प्रबंधन विशेषज्ञ और सभी से तालमेल बिठाकर काम करने वाले वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उनके संसदीय ज्ञान और अनुभव की विरोधी दल के नेता भी सराहना करते हैं। उनकी प्रशासनिक दक्षता के सभी कायल हैं और देश-विदेश के औद्योगिक जगत में भी उनकी खासी पैठ मानी जाती है। इसलिए मप्र में अब असल में विकास का राज कायम हो गया है। शर्मा कहते हैं कि कमलनाथ जी ने एक ओर लोगों को ताबड़तोड़ सौगात देकर तो दूसरी ओर प्रशासनिक कसावट के लिए अफसरों के साथ मैराथन बैठक कर यह दिखा दिया है कि प्रदेश का भविष्य कितना सुखद होने वाला है। कमलनाथजी ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा यह मानती है कि उसने कांग्रेस को खाली खजाना सौंपा है, मगर कांग्रेस सरकार अपने वचन पर खरी उतरेगी। कमलनाथजी की राजनीति का अंदाज अन्य नेताओं से अलग है। उनका चुनाव लडऩे का मामला हो या विकास की बात, हर मसले पर अपने ही तरह से सोचते हैं और किसी को भी नाराज करने में भरोसा नहीं करते। यही उनकी सफलता का राज है। कमलनाथ जी के स्तर की राजनीतिक और प्रशासनिक समझ का नेता फिलहाल राज्य में दूसरा आसानी से खोजा नहीं जा सकता। शर्मा के अनुसार, मध्यप्रदेश में उद्योगों के विस्तार की असीम संभावना है। मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की इस दिशा में दृष्टि साफ है क्योंकि प्रदेश में बेरोजगार हाथों को काम देना है तो उद्योगों का विस्तार अहम है। साथ में वे कुटीर और लघु उद्योगों को भी बढ़ावा देंगे ताकि गांधीजी का स्वरोजगार का सपना पूरा हो सके। कमलनाथजी केन्द्र से मिलने वाली सहायता का प्रदेश के विकास में भरपूर उपयोग करेंगे। अपने गृह जिला छिंदवाड़ा में उन्होंने जो विकास मॉडल बनाया है, वह पूरे प्रदेश में लागू होगा। इस छिंदवाड़ा विकास मॉडल में नए उद्योग, पानी, बिजली, सडक़, पर्यावरण और स्वच्छता का एक ऐसा समग्र स्वरूप है जो प्रदेश को नई पहचान देगा। मध्यप्रदेश को विकास के आगे ले जाने के लिए अभी कई चुनौतियों का सामना मुख्यमंत्री कमलनाथजी को करना पड़ेगा क्योंकि राज्य का खजाना खाली है और निवृत्तमान सरकार ने घोषणाओं का पुलिंदा आम आदमी को थमा दिया है। यह तय है कि कमलनाथजी एक व्यवहारिक व्यक्ति हैं अत: वे लोकलुभावन घोषणाओं के स्थान पर ठोस काम को स्थान देंगे। खाली खजाने को भरना, प्रदेश की कर्जमुक्ति और वचनपत्र में किए गए वायदे पूर्ण करना उनकी प्राथमिकता है।
वचन निभाओ, बरगलाओ नहीं और लड़ाओ भी नहीं: रजनीश अग्रवाल
अंग्रेजी में कहावत है वेल बिगेन इज हाफ डन। लेकिन कमलनाथ की मुख्यमंत्री के तौर पर शुरुआत ही धोखाधड़ी और ठगी के साथ हुई है। उन्होंने अभी तक जो भी कदम उठाए हैं, वे परिणामकारी नहीं हैं। यह कहना है भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का। अग्रवाल कहते हैं कि कांग्रेस अभी से जनता के साथ धोखाधड़ी करने लगी है। आगे क्या होगा? अग्रवाल कहते हैं कि किसानों की कर्जमाफी का जो निर्णय उनके द्वारा लिया गया है, वह किसानों के साथ धोखे का पर्याय है। उन्होंने किसानों के साथ जो वादा किया था, उस पर खरे नहीं उतर रहे हैं। अब हम सजग और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने युवाओं के साथ भी धोखाधड़ी की है। उन्होंने रोजगार सृजन करने की बजाय लोगों को लड़ाने की कोशिश की है। उन्हें सबसे पहले रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए थे। लेकिन बिना रोजगार के अवसर पैदा किए हुए उन्होंने उत्तरप्रदेश और बिहार से युवाओं के साथ मध्यप्रदेश के युवाओं को लड़ाने की कोशिश की है। एक तरफ वे स्थानीयता की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ दिल्ली में जो वकील रखे गए हैं, वे बाहरी हैं। मेरी उनसे अपील है कि वे वचन निभाएं, दंगा न भडक़ाएं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ बताएं कि क्या कांग्रेस पार्टी और उनकी सरकार ने व्यापमं के आरोपियों के मददगार रहे लोगों को पार्टी और प्रशासन में विभिन्न पदों पर नियुक्त नहीं किया? क्या व्यापमं के आरोपियों के वकीलों को अतिरिक्त महाधिवक्ता नहीं बनाया गया? यह कांग्रेस का दोगलापन है। अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री को इनका जवाब देना चाहिए। अग्रवाल कहते हैं कि सरकार का खजाना खाली बताने वाली कांग्रेस ने किस नैतिकता के तहत जंबूरी मैदान में लाखों खर्च कर शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया। क्या यह फिजुलखर्ची नहीं है। क्या यह नैतिक अपराध और राजनैतिक पाप नहीं है?
कमलनाथ सरल और सहज नीति पर काम करें: एबी दुबे
राजधानी भोपाल के एडवोकेट एबी दुबे कहते हैं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अभी तक लो भी निर्णय लिए हैं वे संतोषजनक नहीं हैंं। शासन सत्ता में आने पर व्यक्ति को निष्पक्ष होना चाहिए। लेकिन कमलनाथ के निर्णय निष्पक्ष नहीं हैं। उन्होंने किसानों की कर्जमाफी का जो निर्णय लिया है वह असंतोषकारी है। उन्होंने किसानों के साथ जो कमिटमेंट किया था, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है। किसानों के लिए पोर्टल बनाए जा रहे हैं। प्रदेश का किसान इतना पढ़ा-लिखा नहीं है कि वह पोर्टल को समझ सके। इसलिए सरकार सरल और सहज नीति बनाकर काम करे ताकि आमजन भी समझ सके। वह कहते हैं कि अभी तक कमलनाथ ने जो निर्णय लिए हैं उसमें बहुत विसंगतियां हैं। मुख्यमंत्री किसानों की कर्जमाफी जिस तरीके से करना चाहते हैं, वह प्रदेश के किसानों के साथ वादाखिलाफी है। कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में प्रदेश के सभी किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने का वादा किया था, अब सरकार बन जाने पर मुख्यमंत्री सिर्फ 31 मार्च, 2018 तक के कर्जदार किसानों के कर्ज माफ करने की बात कर रहे हैं। वह कहते हैं कि कांगे्रस सरकार से लोगों की अपेक्षाएं अपार हैं। इसलिए मुख्यमंत्री कठोर निर्णय लें। कांगे्रस 15 साल के वनवास के बाद सत्ता में आई है, लेकिन उसके पास बड़ा जनाधार नहीं है। इसलिए उसके सामने चुनौतियों का पहाड़ है। ऐसे में सरकार को पारदर्शी नीति बनानी होगी। कमलनाथ के सामने कुछ अन्य चुनौतियांं भी हैं। मध्य प्रदेश मानव विकास सूचकांक में काफी नीचे है। वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में यह राज्य सबसे ऊपर है। आम तौर पर कानून का पालन करने वाले किसानों में भी असंतोष गहराता जा रहा है। लेकिन ढांचागत विकास और कारोबार के क्षेत्र में अपने अनुभव के चलते वह मध्य प्रदेश की कमान संभालने के लिए शायद सबसे मुफीद शख्स हैं।
यह कैसी नीति, जनता हो रही भ्रमित: डॉ. अजय पिल्लई
प्रदेश के ख्यात डेंटिस्ट डॉ. अजय पिल्लई कहते हैं कि कमलनाथ की अब तक की कार्यप्रणाली समझ में नहीं आई है। उन्होंने किसानों की कर्ज माफी की घोषणा तो कर दी है। लेकिन इसे भुगतेगी तो आम जनता ही तो। अत: यह नहीं कहा जा सकता है कि उनका अभी तक का निर्णय क्रांतिकारी है। डॉ. पिल्लई कहते हैं कि कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही जिस तरह से त्वरित फैसले लिए हैं उससे उनका उतावलापन दिखता है। सत्ता की बागडोर संभालते ही उन्होंने संदेश दिया है कि वह राज्य में ठीक उसी तरह धुंआधार बल्लेबाजी करने जा रहे हैं, जैसे कोई युवा खिलाड़ी अपने करियर की शुरुआत में करता है। उनके जैसी राजनीतिक और प्रशासनिक समझ रखने वाला नेता को समझबुझ कदम उठाना चाहिए। राज्य लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। ऐसे में उन वादों पर अमल कैसे संभव होगा, जो कांग्रेस ने वचन-पत्र में किए हैं। वह कहते हैं कि कमलनाथ के सामने चुनौतियों का पहाड़ है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए ठोस नीति होनी चाहिए। उनको कोशिश करनी होगी की सरकार के किसी कदम का भार जनता पर न पड़े। प्रदेश में बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए सरकार सचेत होकर इस दिशा में आगे न बढ़े। कांग्रेस को राज्य में मामूली अंतर से मिले बहुमत को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार पर हमेशा अस्थिरता का साया मंडराता रहेगा।
अगर टॉप बेहतर तो शासन-प्रशासन बेहतर होगा ही: राजेश चौरसिया
कमलनाथ जी के पास शासन-प्रशासन का सुदीर्घ अनुभव है। वे सुलझे हुए समझदार राजनेता हैं। वेे केंद्र सरकार में कई महत्चपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं। लेकिन आजतक उन पर किसी भी तरह का आरोप नहीं है। उन्होंने कभी भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दिया है। इसलिए प्रदेश में विकास की बड़ी उम्मीद जगी है। यह कहना है कि प्रदेश के मशहूर आर्किटेक्ट राजेश चौरसिया का। चौरसिया कहते हैं कि जिस भी संस्था, संगठन और सरकार का टॉप नेतृत्व बेहतर होता है वहां का शासन-प्रशासन बेहतर होगा। वर्तमान में प्रदेश में कमलनाथ जी जैसा बेहतर व्यक्ति टॉप पर है, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रदेश में सब बेहतर होगा। प्रदेश में जो समस्याएं हैं, उससे मुक्ति मिलेगी या नहीं मिलेगी या तो टॉप पर बैठ व्यक्ति की कार्यप्रणाली पर निर्भर करता है। और कमलनाथ जी ने यह दिखा दिया है कि प्रदेश की बेहतरी का दौर शुरू हो गया है। राजेश चौरसिया कहते हैं कि किसानों की कर्जमाफी का फैसला क्रांतिकारी है, लेकिन सरकार को यह कोशिश करनी होगी कि यह आदत न बन जाए। बुजुर्ग किसानों के लिए पेंशन अच्छी पहल है। लेकिन सरकार को एक कोशिश यह भी करनी चाहिए कि वह यह तय करे कि इतनी जमीन व संपत्ति वालों को ही पेंशन मिलेगी। इससे वाजिब जरूरतमंद किसान को लाभ मिलेगा। एक सवाल के जवाब में चौरसिया कहते हैं कि प्रदेश में सुशासन की झलक मिल गई है। मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर संकेत दे दिया है कि अब कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। इससे सहज में अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था अब बेहतर हो जाएगी। वह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में बदलाव की बयार ना केवल राजनीति मंच पर हुई है बल्कि प्रदेश के हित मेें भी इसे देखा जाना चाहिए। लोक-लुभावन नीतियों से ऊपर उठकर कमलनाथ सरकार प्रदेश के सभी वर्गों की भलाई के लिए प्रयासरत रहेगी। किसानों की बेहतरी की दिशा में न केवल कर्जमाफी बल्कि उन्हें स्वयं के पैरों में खड़ा करने की कोशिश होगी। महिलाओं को सशक्त बनाने की बात हो, उनकी सुरक्षा की चर्चा की जाए, बच्चों के समग्र विकास की बात हो, शिक्षा का स्तर बनाए रखने की चिंता हो, भ्रष्टाचार और भयमुक्त समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करने की बात हो या कि सत्ता में जनता की भागीदारी की बात हो। युवाओं को रोजगार और लघु एवं मध्यम वर्ग के व्यापारियों को राहत देेने के ठोस प्रयास होंगे। कमलनाथजी की तासीर में उतावलापन नहीं है। वे धीर-गंभीर हैं। वे शांत हैं और सादगी से जीवन जीते हैं। उनकी संवाद शैली मोहक है और वे भाषा की मर्यादा में हमेशा बंधे होते हैं। चौरसिया कहते हैं कि राज्य में चुनौतियां बहुत हैं, अब कमलनाथ की असली परीक्षा का समय आ गया है।
कल्याणकारी हाथों में मप्र की बागडोर: शरद द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य
सतना निवासी प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य शरद द्विवेदी कहते हैं कि ज्योतिषीय आकलन के अनुसार मप्र की बागडोर कल्याणकारी हाथों में है। प्रदेश में विकास की नई उम्मीद दिख रही है। क्योंकि मप्र के कमलनाथ ने जिस दिन यानी 17 दिसम्बर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली उस समय तिथि शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। उस समय वरीयान योग था। वरीयान योग के बारे में ये कहा गया है कि यदि कोई मंगलदायक कार्य करने जा रहे हैं तो वरियान नामक योग में करें, निश्चित ही सफलता मिलेगी। इसका प्रभाव भी दिखने लगा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ क्रांतिकारी फैसले लेकर प्रदेश की जनता का कल्याण कर रहे हैं। द्विवेदी के अनुसार, राजनीति वाकई ट्वेंटी-टवेंटी नहीं बल्कि टेस्ट मैच क्रिकेट है जिसमें संयम और धैर्य की लंबी पारी शिखर तक ले जाती है। चार दशक तक राष्ट्रीय राजनीति की पिच पर बैटिंग करने वाले मध्यप्रदेश की सियासत के नये शहंशाह बने कमलनाथ की सूबे की नई पारी इसी बात को साबित करती है। मध्यप्रदेश की सत्ता की कप्तानी कमलनाथ को सौंपे जाने में सियासी समीकरणों के साथ हाईकमान विशेषकर गांधी परिवार से दशकों पुरानी निकटता की भी अहम भूमिका है। वह कहते हैं कि राजनीति के रण में आज पार्टियां नए चेहरों पर दांव लगाने को ज्यादा मुफीद मान रहीं। ऐसे दौर में भी कमलनाथ जैसे कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी के नेता को सूबे की सत्ता की कप्तानी सौंपे जाना सहज बात नहीं है। वह भी तब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे नई पीढ़ी के चेहरे अपनी राजनीतिक लोकप्रियता के दायरे का विस्तार करते दिखाई दे रहे हों। मध्यप्रदेश की सत्ता के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ की छवि वैसे जननेता की नहीं रही है। मगर प्रशासनिक व प्रबंधन क्षमता के साथ विरोधियों को भी साथ लेकर चलने में उन्हें बेहद कुशल माना जाता है। भाजपा के भी कई बड़े नेताओं से भी उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं जिसमें शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं। द्विवेदी कहते हैं कि मध्यप्रदेश के विकास के मुद्दे पर राजनीति को आड़े नहीं आने देने का कमलनाथ का नजरिया भी उनके विरोधी खेमे में अच्छे रिश्ते की वजह मानी जाती है। यूपीए की दस साल की सरकार के दौरान प्रदेश के विकास के मुद्दे पर कमलनाथ ने शिवराज के अनुरोध पर अलग-अलग मंत्रालयों के मसले का समाधान निकालने में भूमिका निभाई। सडक़ परिवहन राजमार्ग मंत्री रहने के दौरान मध्यप्रदेश को कुछ अहम सडक़ परियोजनाएं भी दी। अब तो प्रदेश के विकास की जिम्मेदारी खुद कमलनाथ के हाथ में है। इसलिए उनसे काफी उम्मीद है। ज्योतिषीय आकलन के दौरान इसके संकेत भी मिल रहे हैं। आकलन में यह भी संकेत मिल रहे हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पांच साल चलेगी। लेकिन नेतृत्व परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं।
मप्र में दिखने लगी रामराज्य की झलक: विनय श्रीवास्तव, एडवोकेट
कमलनाथ जी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही ऐसा लगने लगा है, जैसे मप्र में रामराज्य की स्थापना हो गई है। उन्होंने चुनाव के दौरान जो वादे किए थे और कांगे्रस ने अपने वचन पत्र में जो घोषणाएं की है, उसको पूरा करने में वे जुट गए हैं। उन्होंने शुरुआत भी अन्नदाता, बुजुर्गांे, महिलाओं और युवाओं के साथ की है। यह प्रदेश के विकास की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। कमलनाथ जी वृद्धाओं के लिए पेंशन, किसानों की कर्जमाफी और बुजुर्ग किसानों को पेंशन, बेरोजगारों के लिए रोजगार के सृजन के लिए जो कदम उठाए हैं, वह सराहनीय है। जनता को अब लगने लगा है कि उनके अच्छे दिन आ गए हैं। यह कहना है राजधानी के समाजसेवी और एडवोकेट विनय श्रीवास्तव का। श्रीवास्तव कहते हैं कि कमलनाथ जी की जैसी कार्यशैली है, उसे जनता देख रही है और खुश भी है। कमलनाथ जी ने सत्ता की कमान संभालते हुए एक तरफ किसानों की कर्जमाफी का फैसला कर डाला तो दूसरी ओर कन्या विवाह की अनुदान राशि बढ़ाकर 51 हजार रुपये कर दी। उन्होंने प्रदेश में सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने का भी निर्णय लिया। इतना ही नहीं अफसरों को भी चेतावनी भरे लहजे में कहा दिया कि गांव, विकासखंड व जिलों की समस्याएं भोपाल के मंत्रालय या वल्लभ भवन तक नहीं आनी चाहिए। ऐसा हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार अफसर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे अधिकारियों में अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निर्वहन करने की भावना जगी है। वे राजनीति के मंझे हुए राजनेता हैं अत: उन्हें इस बात का इल्म है कि पटरी से उतरी गाड़ी को वापस कैसे पटरी पर लाया जाए। वे परिणाममूलक योजनाओं को तरजीह देंगे और इसके लिए वे प्रशासनिक कसावट भी करेंगे। कसौटी पर जो खरा उतरेगा, वह सरकार के साथ होगा, इस बात का भी खयाल मुख्यमंत्री कमलनाथजी करेंगे। वे उत्सवधर्मी नहीं हैं सो किफायत के साथ बजट का खर्च प्लान करेंगे। वे केन्द्र और राज्य के बीच सौहाद्र्रपूर्ण संबंध बनाने में वे कामयाब रहेंगे और मध्यप्रदेश की योजनाओं के लिए केन्द्र से मिलने वाली धनराशि लाने में कामयाब रहेंगे। इस समय मध्यप्रदेश कई संकटों से जूझ रहा है और इसका एकमात्र कारण है बजट का अभाव। एक उद्योगपति के नाते उनकी प्लानिंग परिणामदायी होती है और केन्द्र से मध्यप्रदेश के हक का बजट प्राप्त करने के लिए प्लानिंग की जरूरत होती है जिसमें वे कामयाब होंगे।