मड़वास/सीधी. जिले में आज भी कुछ गांव हैं, जहां लोग नदी-नालों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जनप्रतिनिधि आश्वासन देकर चले जाते हैं, बाद लौटकर नहीं देखते। मड़वास क्षेत्र के सोनवर्षा गांव में भी कुछ आदिवासी परिवार सेहरा नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। कुछ लोग स्किन व संक्रामक बीमारियों सहित अन्य समस्याओं से ग्रसित हो गए हैं। लगातार गुहार लगाने के बाद भी इन इन्हें शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की ठोस पहल नहीं की गई।
धनौर में बाउली का पानी पीने को मजबूर
सोनवर्षा ही नहीं क्षेत्र के कई गांव पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। ग्राम पंचायत अमहिया के धनौर गांव में रहने वाले आधा सैकड़ा से ज्यादा लोग बाउली का पानी पीने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि बांध से कुछ दूर एक गड्ढा बना लिया है, जिसमें बांध से रिसकर पानी भर जाता। जिसे बर्तनों में भरकर घर ले आते हैं। उसी का उपयोग पीने के लिए किया जाता है। गत वर्ष से इस गड्ढे का पानी हरा पड़ गया था। लेकिन दूसरा विकल्प न होने के कारण यही पानी पीना पड़ रहा है। आदिवासी महिलाओं ने शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी कोई पूछ परख ही नहीं है।
रहवासी बोले
सोनवर्षा निवासी संतोषी कोल ने बताया कि 20 बरिश होइगा होई नदी केर पानी पियत। चुनाव के समय नेता आवत हें वादा कयि के चले जात हैं, लेकिन आज तक हैंडपंप नहीं लगा। वहीं, धनौर निवासी आशमा खातून ने कहा कि पानी ढोउत-ढोउत मरे जइथे। चुनाव के समय राजा साहब (जिपं अध्यक्ष) आए रहे। कहि के गे रहे हैं काकी अपना का हैंडपंप मिल जई लेकिन भूल गे।