भ्रष्टाचार एक फिर अलग अलग “जांच” क्यों ?. जनपद पंचायत रामपुर नैकिन आजकल अपने भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों पर रहता है और यहां की हर सुर्खियां किसी ना किसी माध्यम से यहां के सीईओ प्रभात मिश्रा से जुडी होती है |ताजा मामला ग्राम पड़खुरी 588 का है इस ग्राम पंचायत में पीसीसी सड़क ,चबूतरा निर्माण ,सुदूर सड़क निर्माण शांति धाम निर्माण, कल्वर्ट पुलिया निर्माण, सार्वजनिक समतलीकरण ,स्वच्छ भारत मिशन अभियान एवं अन्य के तहत ग्राम पंचायत मे भारी भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनियमितता की गई थी जिसमें जिला कलेकटर ने प्रदीप शुक्ल PO मनरेगा भूपेन्द्र पांडेय APO PMAY और वाई एस परिहार SDO जिला पचायत सीधी को जाच दी गई इस टीम ने जाच किया और पाया कि व्यापक भ्रष्टाचार और 23 लाख राशि का दुरपयोग पाया और भ्रस्टाचार तथा राशि गबन भी सिद्ध हुआ | जांच कर रही टीमें अलग अलग थी और सभी जांच अधिकारियों ने अलग-अलग प्रतिवेदन पेश किए| गौर करने वाली बात यह रही कि जिस भ्रष्टाचार को एक जांच टीम के अधिकारी 22 लाख से ऊपर का भ्रष्टाचार बताया और दूसरी जांच टीम ने उसी भ्रष्टाचार को बिना कोई काम कराए सरपंच सचिव एसडीओ इंजीनियर के दबाव में जनपद सीईओ के दबाव में आकर उक्त भ्रष्टाचार का आकार छोटा कर दिया और कुल वित्तीय अनियमितता 22 लाख से घटाकर 160000 कर दिया गया दूसरी जांच के आधार पर जनपद पंचायत और जिला पंचायत की निष्क्रियता से निलंबित सचिव रवि शंकर पांडे को लेनदेन करके बहाल हो गए उनके स्थान पर अब ग्राम पंचायत मोहनिया में कार्यरत सचिव दिलीप सिंह को पड़खुरी 588 ग्राम पंचायत का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया दूसरे सचिव आ जाने के चलते ग्राम पंचायत में विकास कार्य अवरुद्ध ना रहे इसके चलते ग्राम पंचायत का कोड जारी कर दिया गया | जिसका फायदा उठाते हुए तुरंत दिलीप सिंह ने ₹32000 से अधिक की राशि की निकासी करके लागत मूल्य को ज्यादा दिखा कर लाइट फिटिंग के नाम पर घोटाला कर दिया इसके बाद नए सचिव दिलीप सिह ने खेत तालाब निर्माण के नाम पर घोटाला करवाया और अपने खास चहेतो को कमीशन लेकर लाभ दिलाया गया खेत तालाब की लीपापोती सिर्फ़ कागज में कर दी गई है | ग्रामीणो ने बतया कि नया सचिव पहले वालो से भी ज्यादा भ्रष्टाचारी निकला जो आते ही ग्राम पंचायात कार्यालय जिसे आईएएस एसडीएम चुरहट अर्पित वर्मा ने सामुदायिक भवन से कर्यालय पंचायत भवन की बिल्डिंग में शिफ्ट कराया था जिसको दिलीप सिंह ने अपने रुतबे और रसूख का हवाला देते हुए फिर से सामुदायिक भवन में संचालित करने की जुगत में है क्योंकि समुदाय भवन गांव के और आदिवासी मुहल्ले के बीच में स्थित होने के चलते वहां ग्रामीणों की संख्या कम होती है | 75% जनता को यही नहीं मालूम रहता कि ग्रामसभा कब है और कब हो गई इस बात को लेकर के ग्रामीणों ने और मीडिया ने यह गंभीर मामला उजागर किया था लेकिन सीईओ द्वारा यह कसम खा ली गई है कि पड़खुरी 588 मे चाहे जितना भ्रष्टाचार हो हमें कोई लेना देना नहीं है वहां की मुर्ख जनता ने हमारा अपमान किया है मेरे सामने मेरा सचिव फर्जी साइन अगूठा लगा कर आया जिससे यह मूर्ख ग्रामीण लोग बोलने लगे कि इस रजिस्टर को सील कर दो और इसकी जांच कराई जानी चाहिए लेकिन उलटे जब सीओ साहब ने सचिव को पाक साफ बताया तो ग्रामीण बोलने लगे आप भी इनसे मिले हैं क्या ? जिस पर सीईओ गुस्सा होकर बोले कि अब हमसे कोई कार्यवाही की उम्मीद नहीं करना यहां सब मूरख है मरते रहो मेरी तरफ से | सचिव दिलीप सिंह का कहना है कि हम ऐसे घराने से हैं कि हमारे यहां सीईओ जैसे अधिकारी दिन भर दुआ सलाम करते हैं पंचायत चलाने का तजुर्बा जो हमको है वह किसी और में नहीं यहां के ग्रामीण लोग मूर्ख और चूतिया होते हैं और हमें चूतिया बनाना खूब आता भी है |ग्रामीणों की मांग है कि हमारे यहां हम लोगों की आवाज को बुलंद करने वाली संस्था जनता बोल आँखें खोल यूनियन अगेंस्ट करप्शन ने भूख हड़ताल करके भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ी थी जिसका असर व्यापक पैमाने पर हुआ था लेकिन अब नए सचिव के आ जाने से जो पड़ोसी ग्राम के हैं और सांठगांठ करके यहां का प्रभार ग्रहण किए हैं अगर जल्द ही इन्हें नहीं हटाया गया तो शायद पहले से भी ज्यादा भ्रष्टाचार होने की संभावना है दिलीप सिह की जाच कराकर निलंबित करे या तुरंत कहीं अन्यत्र भेजा जाए और निष्पक्ष सचिव जो ग्राम का विकास कर सके उस की पदस्थापना की जाए | संबंधित बात को सीईओ को बताया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा है भ्रष्टाचार हम नहीं रोक सकते खासकर तुम्हारे ग्राम पंचायत में तो बिल्कुल नहीं हमने कसम खाई है कि हम अपने जीवनकाल में कभी ग्राम पंचायत पडखुरी 588 में कदम नहीं रखेंगे चाहे कितना भी भ्रस्टाचार क्यों ना हो | अब आम आदमी सोच सकता है कि जब जिम्मेदार अधिकारी का यह कहना है तो उस ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव के हौसले किस कदर बुलंद होगे उसकी कल्पना ही की जा सकती है |