तो अब बहरी थाने के पुलिसकर्मीयों ने ट्रक ड्राइवर को सरेराह पीटा, पत्रकार को कवरेज़ से रोका, 5 दिन पूर्व मड़वास में भी एक पत्रकार को कवरेज से रोकने एवम सोसल मीडिया के माध्यम से दिलाई गई थी धमकी…..
आखिर किस अनहोनी के इंतजार में हैं नायक ! शिकायत शुदा वर्दी को आड़ में गुंडागर्दी/मनामानी/एंट्री वसूली छाप वर्दीधारियों पर इतनी रहम क्यों?
नायक के राज में कुछेक को छोड़, नालायकों का बोलबाला…
सीधी में नही थम रही पुलिस की दादागिरी,घटना के बारे में बताया गया कि एक ट्रक बहरी मे समिति का धान गोदाम मे ले जाने के लिए आया हुआ था ।जगह न होने की बजह से ट्रक चौराहे पर जाकर बैक करने लगा ।चौराहे पर पुलिस थाना बहरी की बोलेरो खडी थी । बैक करने के दौरान थोडा सा ट्रक का पीछे का भाग बोलेरो मे छू गया। बोलोरो का कोई नुकसान ज्यादा नही हुआ है।फिर भी बोलेरो मे सवार आरछक अजनी व्दिवेदी ने ट्रकचालक को उतार कर मारपीट करने लगे। चौराहे पर मारपीट देख मौजूद ग्रामीणजन समुदाय ने कहा बजार मे मारपीट न करे थाने मे लेजाकर कानूनी कार्रवाईकी जाय लोगो ने मारपीट के बीच बचाव करना चाहा लेकिन पुलिस उन सब के साथ भी हाथापाई की ।जिससे लोगो मे नाराजगी भी व्यक्त की गई ।लोगो ने कहा जव पुलिस ही गलत कर रही है ,तब किससे फरियाद किया जायेगा ।आरछक अन्जनी प्रसाद व्दिवेदी ने ट्रकचालक का हाथ तौलिये मे बांधकर घसीटतेज हुए ट्रक पर चढा रहा था ।
यह सब ट्रकचालक के साथ हो रही मारपीट व अन्याय को देख मौजूद ग्रामीणजन समुदाय ने विरोध करना सुरू किया ।तब आरछक अन्जनी प्रसाद व्दिवेदी ने थाने मे सूचना देकर पुलिसबल बुलाया ।पूरी घटना का कवरेज कर रहे मीडिया के साथ भी कहा सुनी आरक्षक व्दारा की गई।मौके पर घटना की जानकारी सुन थाना प्रभारी अभिषेक सिह , सिद्धार्थराय,और कई पुलिस बल के साथ पहुचकर घटना की सही जानकारी न लेते हुए उल्टा जनता के ऊपर धावा बोल दिये ।कई लोगो के साथ मारपीट भी किये और ड्राइवर को लेकर थाने चले गये ।
सोचने का विषय:-यदि थोडी सी समक्षाइस कर ली जाती तो सायद इतनी बडी बारदात न होती।चूकि इतना बडा हादसा नही हुआ था कि किसी की जान चली गई थी नाही बोलेरो का इतना नुकसान हुआ था ।फिर भी प्रशासन उसे शान्ति पूर्वक भी निदान कर सकती थी ।लेकिन वर्दी का रौव दिखाते हुए एक पुलिस वाले अन्जनी प्रसाद द्वेवेदी ने एक छोटी सी बात का एक कहानी बना दी ।
साथ ही अन्जनी प्रसाद तो पुलिस आरक्षक है लेकिन उनके ही दम पर एक प्राइवेट चालक उमा शंकर मिश्रा मौके की तलाश कर चौराहे पर ट्रक ड्राइवर को मारते रहे ।
बहरी ही नही, अपितु पूरे जिले की अधिकांश चौकी थानों की पुलिस इस समय वर्दी की आड़ में गुंडागर्दी और अवैध वसूली कर रही है। ऐसा ही मामला मड़वास चौकी का भी एक सप्ताह पूर्व प्रकाश में आया था जिसमे मड़वास चौकी प्रभारी द्वारा अरुण गुप्ता नामक पत्रकार को चौकी के सामने से ही भगाया गया फिर सोसल मीडिया के माध्यम से धमकी भी दी गयी, लेकिन पुलिस अधीक्षक जानकारी होने के बावजूद मानो कान में रुई डालकर बैठे हों।
पुलिस की इस मनमानी व चौराहे पर रौव बनाकर मारपीट करना,पत्रकारों को धमकाना, आम नागरिकों को परेशान करना आम बात बन चुकी है।
हैरत की बात ये है कि पुलिस अधीक्षक तरुण नायक जिनकी स्वयं की छवि इमानदार पुलिस कर्मी के रूप में है वह आखिर ऐसे भृस्ट पुलिस कर्मियों को चौकी और थानों की कमान आखिर क्यों सौंप रंखे हैं! यह बड़ा सवाल जिले के समक्ष मुह बाएं खड़ा है, की आखिर वो कौन से कारक हैं जिन वजहों से पुलिस अधीक्षक शिकायत के बावजूद ऐसे पुलिस कर्मियों पर कोई कार्यवाह नही कर पा रहे?