ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने और जातियों को जोड़ने चलाएगा अभियान
भोपाल/। मगल भारत। ऑब्ब्बीसी आरक्षण चल रही राजनीति के बीच अब मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग बनाने को लेकर घमासान शुरू हो गया है। शिवराज सरकार ने मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन को बना दिया, इसके बाद कांग्रेस ने कहा है कि शिवराज सरकार जनता को गुमराह कर रही है। इसके अध्यक्ष तो पहले से जेपी धनोपिया हैं, फिर शिवराज सरकार कैसे नया आयोग बना सकती है। हम कोर्ट में जाएंगे। वहीं सूत्रों का कहना है कि नया पिछड़ा वर्ग आयोग पुराने से अलग होगा। नया आयोग ओबीसी की योजनाओं की मॉनिटरिंग करेगा साथ ही ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने और जातियों को जोड़ऩे अभियान चलाएगा।
बता दें कि सीएम शिवराज ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में इसका ऐलान किया था। अब सरकार ने मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक गौरी शंकर बिसेन को उसका अध्यक्ष नियुक्त किया है। गौरी शंकर बिसेन बालाघाट से विधायक हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए जाते हैं।
सरकार अब इस आयोग के माध्यम से प्रदेश की आधी आबादी यानी 50 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए काम करेगी। अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग विनोद कुमार कहते हैं कि मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग दोनों अलग-अलग हैं। हमारे लिए दोनों बराबर और सम्मानीय हैं। मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। पिछड़ा वर्ग के दो अलग-अलग आयोग
प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण को लेकर सरकार ने स्थिति साफ कर दी है, इसके बावजूद भी घमासान मचा हुआ है। अब पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। सरकार ने दो दिन पहले राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का अध्यक्ष भाजपा विधायक गौरीशंकर बिसेन को नियुक्त किया है। साथ ही उन्हें मंत्री का दर्जा भी दे दिया है। इस बीच मप्र राज्य पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया ने इस नियुक्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मप्र सरकार ने भी पिछड़ा वर्ग के दो आयोगों को लेकर स्थिति साफ की है कि मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अलग-अलग हैं। 27 फीसदी आरक्षण देकर भाजपा ने मारी बाजी
प्रदेश में ओबीसी पर हो रही राजनीति में फिलहाल भाजपा ने बाजी मार ली है। शिवराज सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी कर दिया है। बता दें कि पूर्व की कमलनाथ सरकार ने राज्य में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का ऐलान किया था। जिसके बाद सरकार ने अध्यादेश लाकर मार्च 2019 में बढ़ा हुआ आरक्षण लागू भी कर दिया। हालांकि इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट ने याचिकाएं दाखिल हुईं और कोर्ट ने बढ़े हुए आरक्षण के फैसले को स्टे कर दिया। अब राज्य सरकार ने कानून के जानकारों से राय ली। जिसमें यह बात सामने आई कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने को लेकर कोई रोक नहीं है, सिर्फ जो 6 याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं उन्हीं पर 14 फीसदी आरक्षण रखने का अंतरिम आदेश दिया गया है। इसलिए प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का कानून लागू है और सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में इस आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। जिसके बाद सरकार ने आरक्षण देने का आदेश जारी कर दिया है। डेढ़ साल से गतिविधियां ठप
भाजपा नेताओं का कहना है की कमलनाथ सरकार ने जाते-जाते अपनों को उपकृत करने के लिए आयोगों में नियुक्ति दे दी थी। लेकिन मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सहित सभी आयोगों की गतिविधियां पिछले डेढ़ साल से ठप हैं। ऐसे में सरकार ने ओबीसी का फायदा पहुंचाने के लिए मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया है। इस आयोग के गठन से ये फायदा होगा कि आयोग पिछड़ा वर्ग की सूची में जातियों को जोड़ने की अनुशंसा कर सकेगा। इसके साथ ही पिछड़ा वर्ग के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं की मॉनिटरिंग कर सकेगा। क्रीमीलेयर की सीमा के संबंध में अनुशंसा कर सकेगा। पिछड़ा वर्ग आयोग लोक सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण को लेकर सलाह देगा और एक तरह से यह आयोग पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा के लिए काम करेगा। आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज
पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के गठन पर कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है। जिस पर भाजपा ने पलटवार किया है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि जब सरकार कोई अच्छा काम करती है तो कांग्रेस अड़ंगा लगाती है। खुद कांग्रेस ने कभी किसी वर्ग का कल्याण नहीं किया। हमने पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए आयोग का गठन किया तो कांग्रेस सवाल उठा रही है। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश सरकार की अक्ल पर तरस आ रहा है। हमारे लीडर कमलनाथ ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान जेपी धनोपिया को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया था। दुर्भाग्यवश कांग्रेस की सरकार चली गई और शिवराज सिंह ने बदले की भावना से उन्हें अध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया। इस निर्णय के खिलाफ हम हाईकोर्ट गए, जहां से स्टे मिल गया। लिहाजा, स्टे के अनुसार हमारे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया ने निर्णय का पालन किया। सरकार ने उस निर्णय की अवमानना की।