कांग्रेस के लिए विधायक बन रहे मुसीबत

कांग्रेस के लिए विधायक बन रहे मुसीबत.


कांग्रेस के लिए उसके विधायक और परिजन ही मुसीबत बनते जा रहे हैं। उनके मुसीबत बनने की वजह है उनका अपराधों में शामिल होना। अपराध भी कोई छोटे- मोटे नहीं बल्कि गंभीर प्रकृति के हैं। इनमें अब दो नए नाम शामिल हो गए हैं। एक नाम है बैजनाथ कुशवाहा का जो स्वयं कांग्रेस के सबलगढ़ से विधायक हैं। उनके खिलाफ छह साल पुराने एक मामले में कोर्ट के आदेश पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले में उनके परिजनों और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करने के साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी वांरट जारी करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला विधायक के भाई की पत्नी की मौत से जुड़ा हुआ है। इस मामले में मृतका के भाई ने कोर्र्ट में परिवाद पेश किया था। इसी तरह से बड़नगर से कांग्रेस विधायक मुरली मोरवाल के पुत्र पर दुष्कर्म का एक मामला दर्ज है। यह मामला उनके पांच माह से फरार चल रहे पुत्र करण पर दर्ज है। इसके बाद से ही करण फरार चल रहा है। इस मामले में पुलिस ने अब उनके इलाके में उसके पोस्टर चिपकाने का काम शुरू कर दिया है। यही नहीं कोर्ट इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कह चुका है कि अगर वह 28 सितंबर तक पेश नहीं होता है तो उसकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी। यह मामला भी ऐसे समय जोर पकड़ रहा है जबकि इस इलाके की लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है।

और असुरों का आंतक बताकर विवाद में आए आए मंत्री जी
निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। इस सीट पर अब उपचुनाव की सरगर्मी शुरू हो चुकी है। सरकार की ओर से इस जिले का प्रभार लोनिवि गोपाल भार्गव के पास है, लिहाजा जीत की जिम्मेदारी भी उन पर अधिक है। ऐसे में जब वे निवाड़ी के दौरे पर गए तो उनके द्वारा एक ऐसी टिप्पणी कर दी गई , जिससे विवाद की स्थिति बन गई है। यह बात अलग है कि इस टिप्पणी में उनके द्वारा किसी का भी नाम नहीं लिया गया है। उनके द्वारा की गई टिप्पणी में कहा गया है कि इस क्षेत्र में भी असुरों का आतंक बढ़ गया था। मैंने देखा है उस आतंक को। विधायक-मंत्री रहे लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं किया। स्वयं की संपत्ति बनाने के अलावा ऐसा कोई काम नहीं किया हो। हालांकि इस मामले में भार्गव ने सफाई देते हुए कहा है कि जन्माष्टमी के मौके पर मैंने केवल असुरों का जिक्र किया था। अब कांग्रेसी नेता इसे कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्व. बृजेंद्र सिंह राठौर से जोड़कर प्रचारित कर रहे हैं। यह बात अलग है कि उनके पुत्र और वर्तमान में कांग्रेस से टिकट के सबसे प्रबल दावेदार नितेंद्र बृजेंद्र सिंह राठौर ने इतना ही कहा है कि आपने मेरे दिवंगत पिता के लिए जिन अपशब्दों का प्रयोग राजनीतिक मंच से किया है वह उचित नहीं है। इसका जबाब जनता द्वारा दिया जाएगा।

जब सांसद ने अपने बयान पर लगवाई मुहर
अपने एक बयान की वजह से बीते दिनों सुर्खिया बटोर चुकी भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने उसी पुराने बयान पर चिकित्सकों से मुहर लगवाई है। मामला गौ मूत्र के प्रभाव से जुड़ा हुआ है। दरअसल पंड़ित खुशीलाल आयुर्वेदिक अस्पताल में वे वार्षिक कैलेंडर के विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा लेने गई थी। वहां पर जब चिकित्सकों से संवाद हो रहा था, तभी सांसद ठाकुर ने चिकित्सकों से  अपने पुराने बयान पर मुहर लगवाने के लिए पूछ लिया कि गौ मूत्र अमृत है या नही, आप खुद के विवेक से जवाब दें। इस पर चिकित्सकों ने एक स्वर में कहा कि गौ मूत्र अमृत है। उन्होंने यह भी पूछा कि गौ मूत्र का उपयोग एंटीबायोटिक दवाओं में उपयोग किया जाता है या नहीं, जिस पर भी चिकित्सकों ने हाँ में ही जवाब दिए। सांसद ने कहा कि उन्होंने पूर्व में जब गौ मूत्र को अमृत बताया था तब कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे। राजनीति ही ऐसी है। जो सही है उसे सही कहने में हर्ज नहीं होना चाहिए। उन्होंने इसके बाद अप्रत्यक्ष रूप से उनके बयान की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई प्रसन्नता का विषय आता है तो भी उसका विरोध करते हैं। गलत अर्थ निकाला जाता है। सर्जिकल स्ट्राइक के भी सबूत मांगे जाते थे। यही नहीं समझते कि यह देश हित में है या नहीं।

महाधिवक्ता पुष्पेंद्र कौरव होंगे हाईकोर्ट जज
प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता पुष्पेंद्र कौरव का हाईकोर्ट का जज बनना लगभग तय हो गया है। कॉलेजियम द्वारा उनके नाम पर अप्रूवल दे दिया गया है। अब उनके नाम का प्रस्ताव केंद्रीय विधि मंत्रालय को भेजा जाएगा। इसके बाद उनके नाम का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास जाएगा जिसके बाद वहां से नोटिफिकेशन जारी होगा। वे मप्र के नरसिंहपुर जिले के गाडरवाडा के रहने वाले हैं। उनका जन्म गाडरवारा के डोंगरगांव में 4 अक्टूबर 1976 को हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा गाडरवारा में ही हुई। उन्होंने सन 2001 में एनईएस कॉलेज से एलएलबी की। इसके बाद उनके द्वारा वकालत की प्रैक्टिस शुरू की गई थी। 2009 में वे उप महाधिवक्ता और 2012 में अतिरिक्त महाधिवक्ता बने थे। अभी वे प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।