कृषि विभाग में भर्ती परीक्षा घोटाला बना सरकार के गले की फांस, हड़कंप

भोपाल/मंगल भारत। पीईबी द्वारा अयोजित भर्ती परीक्षा

में की गई बड़ी गड़बड़ी के मामले में अब प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसकी वजह है हाईकोर्ट द्वारा दो माह के अंदर मांगी गई जांच रिपोर्ट।  इस मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट ने यह समय सीमा तय की है।  उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि सरकार दो माह के अंदर यानी 5 नवंबर तक पूरे मामले की जांच रिपोर्ट पेश करे। इसके बाद से ही माना जा रहा है कि अब इस मामले में कई सफेदपोश चेहरों का भी खुलासा हो जाएगा।
दरअसल पहले भी पीईबी द्वारा आयोजित की जाने वाली ऐसी शायद ही कोई परीक्षा रही हो जिसमें गड़बड़ियां न की गई हों। यही वजह है कि पहले इसका नाम व्यापमं था, लेकिन देशभर में हुई बदनामी के बाद इसका नाम सरकार ने बदल दिया था। इसके बाद भी गड़बड़ियों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, हाल ही कृषि विभाग की परीक्षा में भी इसी तरह से गड़बड़ियां की गई। इसका खुलासा 17 फरवरी को तब हुआ जबकि  बोर्ड द्वारा उत्तर-पुस्तिका और टॉपर्स की सूची जारी की गई।

इस परीक्षा में 23 हजार से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे, लेकिन जिनने टॉप किया उनमें एक ही कॉलेज, एक ही क्षेत्र और लगभग सभी एक ही जाति और सरनेम के उम्मीदवारों के नाम हैं। सबसे खास बात यह है कि इनमें से कई ने तो छह से 10 साल में डिग्री पूरी की लेकिन नौकरी उन्हें पहली बार में ही मिल गई।
इस मामले में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों का तो यह भी कहना है कि यह सभी टॉपर्स एक साथ घूमने, एक साथ रहने वाले भी थे। जैसे टॉपर्स की सूची सामने आयी हड़कंप मच गया। इससे नाराज छात्रों में आक्रोश फैल गया। एक छात्र सुनील उपाध्याय का कहना है कि टॉप 10 में जिनका नाम है वे सभी तय  4 साल में डिग्री पूरी नहीं कर सके हैं। इसकी वजह रही उनका बार-बार फेल होना। इसके बाद भी वे नौकरी की परीक्षा में पहली बार में ही टॉप कर गए। सिर्फ टॉप ही नहीं किए 200 में 195 और 194 नंबर लेकर नया रिकार्ड तक बना दिया।
बोर्ड के समान ही टॉपर्स ने की गलती
छात्रों का आरोप है कि एक बार यह माना जा सकता है कि त्रुटि वश बोर्ड द्वारा गलत आंसर जारी कर दिए गए हों, लेकिन टॉप आने वाले सभी ने भी वही त्रुटि क्यों की जो बोर्ड ने की? ऐसे में आरोप है कि सभी टॉपर्स को एग्जाम से पहले पीईबी की ओर से उत्तर  दिए गए और उन्होंने उसी आधार पर परीक्षा दी। छात्रों ने इसे व्यापम पार्ट-2 करार देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सीबीआई जांच की मांग की है।
सराकर को करनी पड़गई परीक्षा रद्द
तमाम प्रयासों के बाद बवाल बढ़ता देख मध्य प्रदेश सरकार ने अब यह परीक्षा रद्द कर दी है। अब यह मामला फिलहाल कोर्ट में है। इस मामले में सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि संदेह के आधार पर परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सिर्फ परीक्षा रद्द करने से काम नहीं चलेगा बल्कि मामले की जांच होगी। कोर्ट ने जांच सीबीआई को तो नहीं सौंपा है परंतु राज्य सरकार को ही दो महीने के भीतर जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी किया गया है।
बोर्ड मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में
इस मामले में मचे हो हल्ला के बाद बोर्ड ने इसे संयोग बताकर मामला खत्म करने के कई बार प्रयास किए। खास बात यह है कि इस मामले में कृषि मंत्री कमल पटेल भी संयोग बताते रहे। इस बीच इसमें की गई धांधली की कई जानकारियां छात्रों के हाथ लग गयी। छात्रों का दावा है कि सभी टॉपर्स ने तीन बेसिक सवालों के उत्तर गलत दिए। ये उत्तर बोर्ड द्वारा जारी आंसर शीट में भी गलत चयन किए गए हैं। ऐसे में छात्रों का कहना है कि जब इतने बुद्धिमान लोग थे तो बेसिक सवालों का उत्तर सही क्यों नहीं दे सके। या उन्हें ये कैसे पता चला कि बोर्ड इन सवालों का गलत आंसर शीट जारी करेगा।