राव के बयान के बाद भाजपा में दो फाड़

भोपाल।मंगल भारत। भाजपा के प्रदेश प्रभारी पी.

मुरलीधर राव के ‘नालायक’ वाले बयान के बाद अब प्रदेश भाजपा में दो फाड़ की स्थिति बन गई है। राव द्वारा एक के बाद एक दो बार की गई सख्त टिप्पणियों की वजह से पार्टी पदाधिकारियों के साथ ही वे जन प्रतिनिधि भी नाराज हैं जो लगातार जीतते आ रहे हैं। हालत यह हो गई है कि अनुशासन की वजह से जो नेता अब तक सार्वजनिक रुप से मुंह तक नहीं खोलते थे, वे अब सार्वजनिक रुप से बोलने से भी नहीं हिचक रहे हैं। यह बात अलग है कि पार्टी का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो उनके बयान के समर्थन में खड़ा दिख रहा है।
हालांकि अभी कुछ नेता ऐसे हैं जो इस मामले में नाराज तो हैं, लेकिन फिर भी खुलकर कुछ बोलने से बच रहे हैं। यही वजह है कि वे कह रहे हैं कि इस मामले की शिकायत दिल्ली में की जाएगी तो वहीं कुछ ने उनके बयान पर कहा है कि वे अगर लायक नहीं होते तो लगातार जीत कर नहीं आते। लगभग इसी तरह की कुछ राय अन्य प्रबुद्ध वर्ग की भी है। दरअसल प्रदेश में इन दिनों केन्द्र की तरह ही बदलाव की बयार चल रही है।  इसका वह नेता विरोध कर रहे हैं जो अपने इलाकों में लंबे समय से एकछत्र राज कायम किए हुए हैं। इन सभी को लग रहा है कि अगली बार विधानसभा चुनाव में कहीं उनका टिकट न कट जाए। दरअसल राव को वे नेता पसंद नहीं आ रहे हैं , जो लगातार टिकट पाकर विधायक सासंद के अलावा कई तरह के अन्य पद पाने के बाद भी सरकार व संगठन से नाराज चल रहे हैं। यही नहीं यह वे नेता हैं जो संगठन व सरकार के कामकाज में भी अपने प्रभाव की वजह से अवरोध पैदा कर रहे हैं। राव के इस बयान से पार्टी में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। इसके साथ ही यह भी कयास लगाया जाने लगा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में यदि राव की चली को पार्टी के वरिष्ठ विधायकों को चुनाव लड़ने का पार्टी से मौका ही नहीं मिलेगा। फिलहाल भाजपा के 26 विधायक ऐसे हैं जो चौथी बार से लेकर आठवीं बार तक विधायक बनते चले आ रहे हैं। इनमें मुख्यमंत्री से लेकर स्पीकर, गृहमंत्री से लेकर कई मंत्री एवं वरिष्ठ विधायक भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि राव का यह पहला बयान नहीं हैं, इसके पहले भी वे इसी तरह के बयान दे चुके हैं। वे एक बार प्रदेश की कोर कमेटी को अवैध तक बता चुके हैं। इसके बाद उनके द्वारा हाल ही में राजगढ़ की प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में माह में 15 दिन का प्रवास न करने वालों को पद तक छोड़ने की नसीहत दे डाली थी। यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि उनके द्वारा 4-5 बार से विधायक-सांसद मौका नहीं मिलने पर रोते हैं तो वे नालायक हैं।

उन्हें कुछ नहीं मिलना चाहिए। उनका कहना था कि 17 साल से सत्ता में रहने के बाद भी जब भी प्रवास पर जाता हूं तो देखता हूं कि चार -पांच बार से विधायक जीत रहे हैं। जनता के इतने आशीर्वाद के बाद भी रोते हैं कि उन्हें मौका नहीं मिल रहा। इसके बाद रोने के लिए कोई जगह नहीं है कि ये नहीं मिला, वो नहीं मिला। इसके बाद भी रोएंगे कि कुछ नहीं मिला तो उनसे नालायक आदमी कोई नहीं है। ऐसे लोगों को कुछ नहीं मिलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ विधायक जो कई बार विधायक बनने के बाद भी  मंत्री नहीं बन पाने की वजह से नाराज हैं, जबकि जो मंत्री बने हैं उनमें भी कई संतुष्ठ नहीं है। उन्हें भी पॉवरफुल नहीं होने का मलाल है।
कई बार से विधायक बन रहे इन नेताओं के नाम
राव के बयान के बाद माना जा रहा है कि अगर टिकट वितरण में उनकी चली तो पार्टी के वरिष्ठ विधायकों को टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है। इनमें कई विधायक चार से लेकर आठ बार से तक के विधायक हैं। इनमें चार बार विधायक बनने वालों में 11 विधायक  हैं। इनमें यशोधरा राजे (शिवपुरी), भूपेन्द्र सिंह(खुरई), गिरीश गौतम (देवतालाब),राजेन्द्र शुक्ल (रीवा), केदारनाथ शुक्ल (सीधी), नागेन्द्र सिंह(गुढ़),अजय विश्नोई(पाटन), देवसिंह सैय्यम (मंडला),देवेन्द्र वर्मा (खंडवा), महेन्द्र हार्डिया(इंदौर-5), ओम प्रकाश सकलेचा (जावद) का नाम शामिल है। इसी तरह से आधा दर्जन नेता पांच बार से विधायक हैं इनमें नागेन्द्र सिंह (नागौद), जयसिंह मरावी (जयसिंह नगर),मीना सिंह मांडवे(मानपुर), कमल पटेल (हरदा), शिवराज सिंह चौहान (बुधनी), प्रेम सिंह पटेल (बड़वानी) है। इसी तरह से आधा दर्जन बार विधायक बनने वालों में नरोत्तम मिश्रा (दतिया), गोपालाल जाटव (गुना),रामपाल सिंह (सिलवानी), पारस चंद्र जैन (इंदौर उत्तर), जगदीश देवड़ा (मल्हारगढ़) के नाम शामिल हैं, जबकि सात बार विधायक बनने वालों में गौरीशंकर बिसेन (बालाघाट) ,करण सिंह वर्मा (इछावर),विजय शाह(खंडवा) तो आठ बार विधायक बनने वालों में सिर्फ अब एक नाम गोपाल भार्गव का है।
वरिष्ठों की वजह से यह काम अटके
पार्टी सूत्रों की माने तो पीढ़ी परिवर्तन के इस दौर में संगठन में नए चेहरों को मैदानी स्तर तक मौका दिया जा रहा है। इसकी वजह से वरिष्ठ नेता पिछड़ते जा रहे हैं। इसकी वजह से जिलों की कार्यकारिणी में यह वरिष्ठ नेता रोड़ा बन रहे हैं। जिसकी वजह से एक तिहाई यानि की 20 जिलों में अब तक जिलाध्यक्षों को बगैर टीम के ही काम करना पड़ रहा है। जिलों में कार्यकारिणी न बन पाने में पार्टी के सीनियर नेता ही रोड़ा साबित हो रहे हैं। जिन जिलों में यह काम अटका हुआ है उनमें भोपाल के अलावा इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, सतना, रीवा, रतलाम और छतरपुर का नाम शामिल है। इसकी वजह से बार-बार प्रदेश संगठन को नई टीम गठन के लिए तारीखों की घोषणा करनी पड़ रही है।
कौन क्या कहता है
राव के बयान को लेकर आधा दर्जन बार से विधायक बन रहे और प्रदेश के गृह मंत्री का दायित्व संभाल रहे गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि राव ने किसी व्यक्ति विशेष के लिए यह नहीं कहा। वे किसी विचार या व्यवहार के संबंध में बोल रहे होंगे। इसी तरह से पूर्व मंत्री व 6 बार के विधायक  रामपाल सिंह का कहना है कि वे दूसरे राज्य के हैं। इसलिए भाषा में कुछ अंतर रहा होगा। हिंदी-अंग्रेजी का भी फर्क हो सकता है। उनकी भावना ऐसा कुछ कहने की नहीं होगी। वैसे भी मप्र में सभी सीनियर नेताओं को मौका मिला है। इसी तरह से तीन बार के विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि वे हिंदी भाषी नहीं हैं। इसलिए शब्दों के चयन में गलती हो सकती है। उनकी मंशा होगी कि जो लोग पद या मंत्री नहीं बन पाते वे अनावश्यक पार्टी या नेतृत्व की आलोचना करते हैं। उन्हें इससे बचना चाहिए। लगभग इसी तरह से चार बार के विधायक अजय विश्नोई का कहना है कि ‘बॉस इज ऑलवेज राइट’, उनको अधिकार है। वो हमारे नेता हैं। रोक तो नहीं सकते, लेकिन इसमें बुरा मानने वाली बात नहीं है। उनके उलट पूर्व मंत्री और आधा दर्जन बार से विधायक बन रहे पारस जैन का कहना है कि वे अगर नालायक होते तो छह बार चुनाव नहीं जीतते। मैंने पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा। जब भी मिला, पार्टी ने दिया और भगवान से मिला। मप्र में कोई नालायक नहीं, सब लायक हैं। यही नहीं पूर्व विस अध्यक्ष और वर्तमान में विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा राव के बयान पर बेहद नाराज हैं। उनका यहां तक कहना है कि उन्होंने किसी की दया पर राजनीति नहीं की, यहां वे अपमानित होने नहीं आए।  उनका कहना है कि उन्हें संदर्भ की जानकारी नहीं, लेकिन इस बात और भाषा से आपत्ति है। अपनी मेहनत, ईमानदारी और सिद्धांतों पर ही वे 5 बार जीतकर आए हैं। उनकी ही तरह तीन बार से विधायक बन रहे राजेंद्र पांडे का कहना है कि उनकी दो-तीन पीढ़ियां लगातार पार्टी की सेवा कर चुकी हैं। विचारधारा सम्मान चाहती है। यह अपमानित करने वाली अभिव्यक्ति है। मन को दुख हुआ।