भोपाल।मंगल भारत। मध्य प्रदेश के आईपीएस संवर्ग के
कॉडर रिव्यू के मामले में तीन माह बाद भी कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह है इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय और डीओपीटी के बीच समन्वय नहीं बन पाना । इसकी वजह से प्रदेश में आईपीएस के सीनियर पदों की संख्या में 34 पदों की वृद्धि नहीं हो पा रही है।
अगर भेजे गए रिव्यू प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो मप्र में आईपीएस अफसरों की मौजूदा संख्या 166 से बढ़कर 200 हो जाएगी। इस मामले में भेजे गए प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय ने कुछ क्वारी निकाली थी , जिसे मप्र की ओर से दी जा चुकी है। इसके बाद से ही केंद्र से मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मप्र आईपीएस संवर्ग का पिछला कॉडर रिव्यू छह साल पहले 2015 में हुआ था। उसके बाद से अब तक केडर रिव्यू नहीं किया गया है। इस बीच पुलिस मुख्यालय द्वारा दो साल पहले 55 पद बढ़ाने का प्रस्ताव प्रदेश के गृह मंत्रालय को भेजा गया था, जहां से उसे वित्त विभाग को भेज दिया गया था, लेकिन वित्त विभाग ने उस पर आपत्ति लगा दी थी। उस समय वित्त विभाग द्वारा सीनियर पदों को 166 से बढ़ाकर 200 किए जाने पर सहमति दी गई, जिसके चलते 2020 में होने वाला कॉडर रिव्यू 2021 में होने जा रहा है, लेकिन अब ये बीते तीन माह से केंद्र सरकार के पास अटका हुआ है।
…तो आईपीएस के पदोन्नति के बढ़ जाएंगे अवसर
पिछले कॉडर रिव्यू में मप्र आईपीएस संवर्ग के लिए 305 पद मंजूर हुए थे। इस बार भेजे गए प्रस्ताव में इन पदों में वृद्वि कर उन्हें 345 पद करने का आग्रह किया गया है। यह बात अलग है कि केन्द्र सरकार 340 से अधिक पदों में वृद्धि करने को तैयार नहीं है। यदि ये पद बढ़ते हैं, तो आईपीएस सहित राज्य पुलिस सेवा के अफसरों का आईपीएस में प्रमोशन पाने के अवसर बढ़ जाएंगे।
यह है मप्र सीनियर पदों की स्थिति
वर्तमान में डीजी के पांच पद हैं। इनमें कोई वृद्वि नहीं की जाएगी जिसकी वजह से यह पद यथावत बने रहेंगे। प्रस्ताव के तहत अगर पदों में वृद्धि होती है तो एडीजी के मौजूदा 16 पदों में दो की वृद्वि हो जाएगी। जिससे यह पद बढ़कर 18 हो जाएंगे। इसी तरह से आईजी के मौजूदा 41 पदों में 8 पदों की वृद्धि हो जाएगी, जिससे उनके पदों की संख्या 49 हो जाएगी। इसी तरह से डीआईजी के पांच पदों में वृद्धि होकर उनकी संख्या 25 से 30 और एसपी एवं अन्य के पदों की संख्या में 19 की वृद्धि होने से उनकी संख्या 92 की जगह 111 हो जाएगी।
अभी एक दर्जन हैं डीजी पदस्थ
डीजीपी विवेक जौहरी के अलावा डीजी के रूप में विजय यादव, पवन कुमार जैन, डॉ. अरुणा मोहन राव, शैलेष सिंह, राजेंद्र कुमार मिश्रा, अरविंद कुमार, आरके टंडन, सुधीर कुमार शाही, अनमेष मंगलम, कैलाश मकवाना तथा निलंबित चल रहे पुरुषोत्तम शर्मा का भी नाम शामिल हैं।