भोपल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भले ही राजनैतिक
वीथिकाओं में हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे सूत्र खूब चलता है, लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों प्रदेश की अफसरशाही से बेहद नराज चल रहे हैं। यही वजह है कि विभागों की समीक्षा बैठक में जैसे ही इससे संबधित कोई मामला उनके संज्ञान में आता है तो वे भड़क जाते हैं। दरअसल इसकी वजह है कई मामले सार्वजनिक रुप से सामने आने के बाद भी उन पर अफसर कोई प्रभावी कार्रवाई करने की जगह उन्हें संरक्षण देने में जुट जाते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में एक जनपद पंचायत सीईओ का भी सामने आ चुका है। इस मामले में भी मुख्यमंत्री को सीधे कार्रवाई के निर्देश देने पड़े तब कहीं जाकर उसे निलंबित किया गया। इसके बाद कलेक्टर भी मुख्यमंत्री की फटकार के बाद सक्रिय हुए और उनके द्वारा पूरा मामला ईओडब्ल्यू को भेजा गया। बीते रोज भी वे भ्रष्टाचार के मामले में ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग की समीक्षा में अफसरों पर जमकर बरसे। इस दौरान उन्होंने साफतौर पर कहा कि सभी के मन में भ्रष्टाचार के खिलाफ आग होना चाहिए। अगर कोई रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाए, तो वह नौकरी करने लायक नहीं है। प्रदेश में हालात यह हैं कि आला अफसर अपने चहेते अफसरों के भ्रष्टाचार में मामलों में पकड़े जाने के बाद या तो कार्रवाई ही नहीं करते हैं और जब अधिक दबाव के बाद कार्रवाई करनी भी पड़ती है तो कुछ समय बाद ऐसे कर्मचारी को बहाल कर उसके मलाईदार या फिर संबंधित कर्मचारी की पसंद की जगह पदस्थ करवा देते हैं। इसकी वजह से ऐसे कर्मचारियों के हौंसले बुंलद हो
जाते हैं और फिर से वे पुराने ढर्रे पर काम करने लगते हैं। तेजस्वनी समूहों के कामकाज में भी अफसरों की लापरवाही को लेकर सीएम ने काफी फटकार लगाई। सीएम शिवराज ने विभागीय समीक्षाओं में अफसरों को नए सिरे से लक्ष्य तय करके काम करने की नसीहत देते हुए कहा है कि दफ्तर में बैठने से काम नहीं चलेगा। फील्ड में जाओ। उसका रिकॉर्ड मेंटेन करो। पीएचई विभाग के अफसरों से दौरों का पूरा रिकॉर्ड सीएम ने तलब किया है। उन्होंने पीएचई विभाग की समीक्षा में अफसरों के दौरे न होने और रिकॉर्ड मेंटेन न होने पर नाराजगी जताई। कहा कि आप लोगों के दौरों का पूरा रिकॉर्ड मुझे चाहिए। बिना पानी के इंतजाम के पाइपलाइन कहीं पर न डाली जाए।
जनहितैषी योजनाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं: शिवराज ने कहा कि जनहितैषी योजनाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो लक्ष्य रखे जा रहे हैं, उनके हिसाब से काम किए जाएं। राज्य मंत्रालय विभागीय समीक्षा में ही प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन हेतु मोबाइल एप्प लॉन्च किया गया। उन्होंने इस दौरान शिवराज ने कहा कि विभागीय पोर्टल पर स्व-सहायता समूह की चीजें भी प्रदर्शित की जाए। शिवराज ने मनरेगा में वेलहा
मॉडल की सराहना की। इसमें सिंचाई क्षमता 350 एकड़ से बढ़ाकर 2700 एकड़ की गई जिसकी प्रशंसा की गई। सीएम ने प्रत्येक गांव के स्तर पर ग्राम स्वराज दिवस मनाने के निर्देश भी दिए।
मंत्रालय में खुलेगा दीदी कैफे
शिवराज ने कहा कि दीदी कैफे को और पापुलर करें। यह ब्रांड पूरे प्रदेश में फैल जाए। अब मंत्रालय, सतपुड़ा और विध्यांचल भवन में भी एक-एक दीदी कैफे खोला जाए। सीएम के निर्देश के बाद अब दीदी कैफे के लिए तीनों भवनों में जगह तलाशी जाएगी। यह कैफे आगामी आठ मार्च से शुरू किए जाएंगे।
भ्रष्टाचार के यह हाल हैं मप्र में
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भ्रष्ट लोकसेवकों को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन ईमानदारों का संरक्षण भी जरूरी है, लेकिन ठीक उल्टा हो रहा है, यह कानून बेईमान अधिकारियों को संरक्षण प्रदान कर रहा है। प्रदेश में सैकड़ों सरकारी कर्मचारी व आला अधिकारी कानून की आड़ में खुलेआम अरबों-खरबों रुपए का भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी कर रहे हैं। इन सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के भ्रष्टाचार में राजनैतिक व प्रशासनिक हस्तियां पूर्ण रूप से लिप्त हैं व भ्रष्टाचार निवारण के लिए बनाए गए कानूनों की आड़ में इन्हें पूर्ण संरक्षण प्रदान कर रखा है। जब कभी जांच एजेंसियां इनके भ्रष्टाचार के मामले में न्यायालय में मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति मांगती हैं तो इन भ्रष्ट अधिकारियों की फाइलों का निराकरण करने में सरकारें व भ्रष्ट प्रशासनिक अमला अव्वल तो देता ही नहीं है और यदि देता भी है तो सालों लग जाते हैं, तब तक ये भ्रष्ट अधिकारी बड़े आराम से अपने पद पर बने रहते हैं और अरबों रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहते हैं। प्रदेश में आकले लोकायुक्त के ही लगभग ढाई सौ तो ईओडब्ल्यू मे भी दर्जनों मामले ऐेसे हैं, जिनमें अनुमति के अभाव में चालान पेश नही हो पा रहे हैं। यह उनसे जुड़े मामले हैं जो सरकार व शासन में बड़ा रसूख रखते हैं।