मिशन 2023 के लिए कांग्रेस में तैयार हो रही रणनीति भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। ग्रेस आलाकमान मप्र में हर हाल में सत्ता में वापसी करना चाहता है। इसके लिए अभी से रणनीति बनने लगी है। इस रणनीति के तहत मिशन 2023 के लिए प्रियंका गांधी को मप्र का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है। गौरतलब है कि यूपी चुनाव के नतीजे कुछ दिन बाद आने वाले हैं। नतीजों से पहले यह साफ है कि यहां मुकाबला सपा और भाजपा में है। ऐसे में कांग्रेस के अंदर यह चर्चा शुरू हो गई है कि यूपी के बाद प्रियंका गांधी क्या करेंगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें मप्र की जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रियंका गांधी ने यूपी में अपनी पूरी ताकत झोंक तो दी, पर अब यह तय हो चुका है कि कांग्रेस वहां मुख्य लड़ाई से बाहर है। राज्य की मुख्य लड़ाई भाजपा-सपा के बीच ही है। चर्चा यह हो रही है कि यूपी के चुनावी नतीजे आने के बाद प्रियंका गांधी किस भूमिका में होंगी? क्या वह यूपी की प्रभारी बनी रहेंगी या उन्हें किसी दूसरे राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है? पार्टी के अंदर एक राय यह बन रही है कि प्रियंका गांधी को मप्र का प्रभारी बना देना चाहिए। दरअसल मप्र ऐसा राज्य है जो कांग्रेस के लिए आगले विधसानसभा चुनाव में सबसे मुफीद माना जा रहा है। बीते चुनाव में कांग्रेस को इस राज्य में भाजपा की तुलना में बढ़त भी मिल चुकी है। इसके अलावा मप्र में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच ही होता आया है। मप्र में उप्र जैसी स्थिति भी नहीं है। सत्ता में वापसी के लिए जमावट
मप्र में अगले साल चुनाव होने हैं और वहां पर कांग्रेस यूपी से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में है। मप्र में चुनावी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होती है। 2018 में कांग्रेस ने चुनाव जीता भी था, यह अलग बात है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बागी हो जाने के बाद कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ गई। प्रियंका को प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने की पैरवी करने वालों के दो तर्क हैं। एक तो यह कि प्रियंका गांधी ने यूपी में जितनी मेहनत की, अगर उसकी आधी भी उन्होंने प्रदेश में कर दी तो नतीजे उम्मीद से बेहतर हो सकते हैं। दूसरा यह कि यूपी के जरिए प्रियंका गांधी पर हार का जो धब्बा लगेगा, उसे मप्र की जीत से हटाया जा सकता है। अभी वासनिक है प्रभारी
मध्यप्रदेश में अभी बतौर प्रभारी के रूप में मुकुल वासनिक जिम्मा संम्हाल रहे हैं। उनके साथ चार अन्य सह प्रभारी भी हैं। यह वे चेहरे हैं , जो पार्टी के बड़े चेहरे तो माने जाते हैं , लेकिन उनको लेकर प्रदेश के आमजन में कोई क्रेज नहीं है। यह बात अलग है कि यह नेता प्रदेश में सक्रियता दिखाते रहते हैं। पार्टी में सबसे बड़ी दिक्कत अभी प्रदेश को लेकर यह है कि प्रदेश कांग्रेस की कमान कमलनाथ के पास है। उनका पार्टी के अन्य नेताओं की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर कद बहुत बड़ा है। इसकी वजह से सह प्रभारी तो ठीक प्रभारी तक को अपनी रिपोर्ट से लेकर निर्णय तक में उनका लिहाजा करना पड़ता है। प्रियंका गांधी के प्रभारी बनने पर यह दुविधा समाप्त हो जाएगी। पहले भी उठ चुकी है मांग
गौरतलब है कि प्रियंका गांधी की भूमिका लेकर मप्र के भी कई नेता पैरोकार रहे हैं। यूपी में चुनावी अभियान शुरू करने से पहले भी प्रियंका गांधी एमपी आई थीं। दतिया में मां पीतांबरा से आशीर्वाद लेकर उन्होंने अभियान शुरू किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रियंका गांधी ने मप्र में कई रोड शो किए थे। वैसे चुनाव बाद प्रियंका गांधी किस भूमिका में रहना चाहेंगी, यह उन्हीं को तय करना है।